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समुद्र में समा रहा है थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक, नई राजधानी की तलाश हुई तेज, क्यों मंडरा रहा हैं खतरे के बादल?

बैंकॉक के वजूद पर खतरे के बादल मंडरा रहा है. तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से बैंकॉक का समुद्र में डूबने का खतरा बढ़ गया है.

थाईलैंड में हर साल लाखों टूरिस्ट घूमने जाते हैं, जिनका पसंदीदा शहर देश की राजधानी बैंकॉक है. लेकिन अब खबर आ रही है कि बैंकॉक के वजूद पर खतरे के बादल मंडरा रहा हैं. दरअसल, तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से बैंकॉक का समुद्र में डूबने का खतरा बढ़ गया है. 

थाईलैंड के क्लाइमेट चेंज ऑफिस के मुताबिक, समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण थाईलैंड को अपनी राजधानी बैंकॉक को ट्रांसफर करने पर विचार करना पड़ सकता है. वैसे भी चकाचौंध वाला यह शहर बारिश के दिनों में भारी बाढ़ से जूझने लगता है.  क्लाइमेट चेंज ऑफिस के रिपोर्ट में ये भी आगाह किया गया कि, हमारी धरती पहले से ही 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान से ऊपर है. ऐसे में हमें जल्द ही इसे कम करना होगा. 

क्लाइमेट सेंट्रल नाम के प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के कई शहर 2050 तक समुद्र में समा सकते हैं, जिनमें अमेरिका का सवाना और न्यू ऑरिलिएंस, गुएना की राजधानी जॉर्जटाउन, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक, भारत के कोलकाता और मुंबई, वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी, इटली की वेनिस सिटी, इराक का बसरा, नीदरलैंड्स का एम्सटर्डम का नाम शामिल है.

रिपोर्ट में बताया गया कि, जमीन के भीतर बहुत सा कॉर्बन अलग-अलग रूपों में मौजूद है. ये कॉर्बन लाखों साल से धरती में मौजूद है. इस कॉर्बन को इतने साल तक रहने की वजह से धरती ने इसे अपने सीने से लगाए रखा और उससे एक लगाव सा हो गया. यह कॉर्बन पेट्रोलियम, गैस या कोयले के रूप में मौजूद रहा हैं.

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि, शहरों के आधुनिकीकरण और इंडस्ट्रियलाइजेशन की वजह से हमने धरती के भीतर के कॉर्बन को निकालना शुरू कर दिया. जब हमने धरती से कॉर्बन निकाल लिया तो वह गैस के रूप में गर्मी भी साथ रखता है. जैसे ही यह धरती से बाहर आया तो वातावरण में गर्मी फैलनी शुरू हो गई. इससे ग्लेशियर या ध्रुवों की बर्फ पिघलनी शुरू हो गई. वहीं भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई हर 2 मिलीमीटर की दर से समुद्र में समा रही है, जिसकी बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है. 

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