BREAKING:
Xiaomi की बड़ी टेक पार्टी! Redmi K80 Ultra, Xiaomi Pad 7S Pro और Mix Flip 2 के साथ मचेगा तहलका, जानिए लॉन्च डेट और फीचर्स       'शिमला समझौते पर इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव में किए थे दस्तखत', बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का बड़ा हमला       सलमान खान का बड़ा खुलासा, इन 3 गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं 'भाईजान', फिर भी कर रहे हैं दमदार काम       Free Fire MAX Redeem Codes for June 23: डायमंड्स, हथियार और एक्सक्लूसिव स्किन्स पाने का गोल्डन मौका       Aaj Ka Rashifal 23 June 2025: राशियों पर चमकेगा किस्मत का सितारा, जानिए धन, प्रेम और करियर में कौन होगा सबसे लकी       5G के साथ मिल रही है दमदार बैटरी और कैमरा, सिर्फ ₹9,999 में Redmi A4 5G की बंपर सेल शुरू       Indian Coast Guard Bharti 2025: Indian Coast Guard में 630 पदों पर बंपर भर्ती, 10वीं-12वीं पास तुरंत करें आवेदन       MHA Recruitment 2025: गृह मंत्रालय में डायरेक्टर पदों पर बंपर भर्ती, 1.23 लाख से 2.15 लाख तक सैलरी       गुलामी की मानसिकता से बाहर आइए... राहुल गांधी पर भड़के निशिकांत दुबे, हिंदी-इंग्लिश पर मचा सियासी घमासान       Tesla के दीवानों के लिए खुशखबरी! जुलाई में खुलेगा पहला शोरूम, जानिए शुरुआती कीमत      

ईरान के तानाशाह की जड़ें भारत के गांव से! इस गांव के रहने वाले थे सुप्रीम लीडर खुमैनी के दादा

Iran Supreme Leader India Connection: ईरान के पहले सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खुमैनी की जड़ें भारत के उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंतूर गांव से जुड़ी हैं. उनके दादा सैयद अहमद मुसावी ने यहीं जन्म लिया था. बाद में उनका परिवार इराक होते हुए ईरान के खुमैन शहर में बसा. खुमैनी की सादगी, ईमानदारी और धार्मिक आस्था ने ईरान की राजनीति को नई दिशा दी.

Iran Supreme Leader India Connection: मिडिल ईस्ट में ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव के बीच ईरान ने साफ कहा है कि वह अमेरिका के दबाव या इज़रायली मिसाइलों के सामने झुकेगा नहीं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस इस्लामिक क्रांति के जनक और ईरान के पहले सुप्रीम लीडर की जड़ें भारत के एक छोटे से गांव से जुड़ी हैं?

भारत के गांव किंतूर से शुरू हुई थी कहानी

ईरान में इस्लामी क्रांति के नायक और 1979 में ईरान के पहले सर्वोच्च नेता (Supreme Leader) बनने वाले आयतुल्लाह रूहोल्लाह मुसावी खुमैनी के दादा, सैयद अहमद मुसावी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के छोटे से गांव किंतूर में जन्मे थे. 

19वीं सदी की शुरुआत में जन्मे सैयद अहमद मुसावी ने बाद में धार्मिक शिक्षा के लिए इराक के नजफ शहर का रुख किया और फिर 1834 में ईरान के खुमैन शहर में बस गए.

उनके नाम के साथ 'हिंदी' शब्द भी जुड़ा था, जो आज भी ईरानी रिकॉर्ड्स में दर्ज है। यह उनकी भारतीय विरासत का साक्षी है. किंतूर गांव को शिया मुस्लिम विद्वता का केंद्र माना जाता है, जहां से उनके धार्मिक विचारों की नींव पड़ी.

दादा से मिली रुहानी प्रेरणा

कहा जाता है कि सैयद अहमद मुसावी की धार्मिक सोच और आध्यात्मिकता ने उनके पोते आयतुल्लाह खुमैनी को गहराई से प्रभावित किया. यही वजह थी कि खुमैनी ने बाद में इस्लामिक क्रांति का नेतृत्व किया और ईरान की राजनीति, धर्म और समाज को पूरी तरह बदल डाला.

कौन थे आयतुल्लाह खुमैनी?

आयतुल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी 1979 की इस्लामिक क्रांति के नेता बने, जिसमें उन्होंने ईरान के पश्चिम समर्थक शाह मोहम्मद रजा पहलवी की सत्ता समाप्त कर इस्लामिक रिपब्लिक की स्थापना की. इसके बाद वे ईरान के पहले सुप्रीम लीडर बने. 1989 में उनका निधन हुआ.

खुमैनी की पहचान एक सादा और विनम्र नेता के रूप में रही. सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी वे तेहरान के एक साधारण एकमंजिला मकान में रहते थे. इस मकान में आज भी कोई शाही ठाठ नहीं है, जो पूर्व शाह पहलवी के महलों के विपरीत है.

यह मकान भी उन्हें मुफ्त में दिया गया था, लेकिन खुमैनी ने इसके लिए 1,000 रियाल चुकाए थे. उनके समर्थकों ने दीवारों पर टाइल्स लगाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने जनता के पैसे से अपने घर को सजाने से मना कर दिया.

आज भी उनके पदचिन्हों पर चल रहा है ईरान

आज उनके उत्तराधिकारी आयतुल्लाह अली खामेनेई ईरान के सुप्रीम लीडर हैं. हाल ही में टेलीविजन पर दिए गए संबोधन में उन्होंने कहा कि चाहे अमेरिका का कितना भी दबाव हो या इज़राइली हमले हों, ईरान पीछे नहीं हटेगा.

ईरान-इज़रायल टकराव जारी

ईरान और इज़रायल के बीच सातवें दिन भी मिसाइलों का आदान-प्रदान जारी रहा. इज़रायल का मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके अस्तित्व के लिए खतरा है, इसलिए वह कभी भी ईरान को परमाणु शक्ति नहीं बनने देगा. दूसरी ओर, ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है.

हाल के वर्षों में ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन को 60% तक पहुंचा दिया है, जो कि 90% के हथियार-ग्रेड स्तर के बेहद करीब है.

ये भी देखिए: पाकिस्तान पर क्यों इतना मेहरबान है अमेरिका? जानिए ट्रम्प के डाइनिंग टेबल पर मुनीर ने क्या-क्या लुटाया