अनुरा दिसानायके बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, वामपंथी नेता की ऐतिहासिक जीत, जानिए भारत के प्रती क्या है उनका रुख?
Sri Lanka new president Anura Kumara Dissanayake: दिसानायके ने जीत के साथ ही श्रीलंका की भ्रष्ट राजनीतिक संस्कृति को बदलने का संकल्प लिया. तमिल अल्पसंख्यकों के सवाल के बजाय देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखा गया.

Sri Lanka new president Anura Kumara Dissanayake: जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के व्यापक गठबंधन नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के नेता 55 साल के अनुरा कुमारा दिसानायके को देश के आर्थिक संकट के बाद हुए पहले चुनावों के बाद श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है. देश के इतिहास में पहली बार किसी मार्क्सवादी नेता ने यह पद संभाला है. नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन के 56 वर्षीय नेता दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनाव में मामूली अंतर से जीत हासिल की है. यह जीत द्वीप राष्ट्र श्रीलंका के इतिहास में पहली बार हुई है.
श्रीलंका के चुनाव आयोग ने रविवार शाम को औपचारिक रूप से परिणामों की घोषणा की, जिसमें पुष्टि की गई कि दिसानायके ने निवर्तमान रानिल विक्रमसिंघे को हराया है. अनुरा कुमारा दिसानायके ने एक्स पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'सदियों से हमने जो सपना देखा था, वह आखिरकार साकार हो रहा है. यह उपलब्धि किसी एक व्यक्ति के काम का नतीजा नहीं है, बल्कि आप जैसे लाखों लोगों के सामूहिक प्रयास का नतीजा है. आपकी प्रतिबद्धता ने हमें यहां तक पहुंचाया है और इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं. यह जीत हम सबकी है. यहां तक हमारी यात्रा इतने सारे लोगों के बलिदानों से बनी है जिन्होंने इस उद्देश्य के लिए अपना पसीना, आंसू और यहां तक कि अपनी जान भी दे दी.'
The dream we have nurtured for centuries is finally coming true. This achievement is not the result of any single person’s work, but the collective effort of hundreds of thousands of you. Your commitment has brought us this far, and for that, I am deeply grateful. This victory… pic.twitter.com/N7fBN1YbQA
— Anura Kumara Dissanayake (@anuradisanayake) September 22, 2024
दिसानायके ने की श्रीलंका के भविष्य की बात
उन्होंने आगे कहा, 'उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता. हम उनकी उम्मीदों और संघर्षों का राजदंड थामे हुए हैं, यह जानते हुए कि इसके साथ कितनी जिम्मेदारी जुड़ी है. उम्मीद और अपेक्षा से भरी लाखों आंखें हमें आगे बढ़ाती हैं और हम मिलकर श्रीलंका के इतिहास को फिर से लिखने के लिए तैयार हैं. यह सपना केवल एक नई शुरुआत से ही साकार हो सकता है. सिंहली, तमिल, मुस्लिम और सभी श्रीलंकाई लोगों की एकता इस नई शुरुआत का आधार है. हम जिस नए पुनर्जागरण की तलाश कर रहे हैं, वह इस साझा ताकत और दृष्टि से ही उभरेगा. आइए हम हाथ मिलाएं और मिलकर इस भविष्य को आकार दें.'
ऐतिहासिक है दिसानायके की जीत
श्रीलंका की चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि दिसानायके ने 42.31% वोट के साथ राष्ट्रपति पद जीता, जिससे विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा दूसरे स्थान पर और मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे केवल 16% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. दिसानायके को सोमवार को शपथ लेनी है. चुनाव को श्रीलंका को उसके गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकालने के उद्देश्य से आर्थिक सुधारों पर जनमत संग्रह के रूप में देखा गया था. कई मतदाता मुख्य रूप से देश में बढ़ती मुद्रास्फीति, जीवन की बढ़ती लागत और बढ़ती गरीबी से चिंतित थे.
दिसानायके की जीत श्रीलंका की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, क्योंकि देश 2022 में गोटाबाया राजपक्षे को सत्ता से बेदखल करने वाले बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद की स्थिति से जूझ रहा है. नए राष्ट्रपति के सामने मुद्रास्फीति और जीवन यापन की लागत जैसे ज्वलंत मुद्दों का समाधान करते हुए देश को आर्थिक सुधार की ओर ले जाने की चुनौती होगी.
भारत के प्रति क्या है दिसानायके का रुख?
दिसानायके ऐतिहासिक रूप से भारत विरोधी जनता विमुक्ति पेरमुना (JVP) के नेता हैं. जेवीपी के संस्थापक नेता दिवंगत रोहाना विजेवीरा ने 1980 के दशक में भारतीय विस्तारवाद पर व्याख्यान दिया था और पाठों में भारत को श्रीलंकाई का दुश्मन बताया था. पार्टी ने 1987 के भारत-लंका समझौते का भी कड़ा विरोध किया था, जिस पर श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने और भारत के राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए थे.
समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद जेवीपी ने श्रीलंका पर भारतीय प्रभाव के विरोध में विद्रोह का नेतृत्व किया. इसे सरकारी बलों ने हिंसक रूप से दबा दिया गया था. अपनी पार्टी के भारत विरोधी रिकॉर्ड और चीन समर्थक झुकाव के बावजूद, दिसानायके ने भारत के साथ जुड़ने और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की इच्छा व्यक्त की है.
नए श्रीलंका के राष्ट्रपति ने रुख में बदलाव का संकेत दिया है, जो भारत सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अभिनेताओं के साथ काम करने की तत्परता को दर्शाता है, जिसकी श्रीलंका में महत्वपूर्ण रुचि है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक दौड़ में श्रीलंका किसी भी शक्ति के अधीन नहीं होगा.
दिसानायके की भारत यात्रा
दिसानायके फरवरी 2024 की शुरुआत में भारत सरकार के निमंत्रण पर नई दिल्ली आए और विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की. बैठक के दौरान, उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और संबंधों को और गहरा करने के पारस्परिक लाभों पर चर्चा की. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी पड़ोसी प्रथम और सागर नीतियों के साथ हमेशा श्रीलंका का एक विश्वसनीय मित्र और भरोसेमंद साझेदार रहेगा.
नई दिल्ली से लौटने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए, दिसानायके ने जोर देकर कहा था कि भारत के साथ उच्च स्तरीय बैठकों से पार्टी की राजनीतिक या आर्थिक नीतियों में बदलाव का संकेत नहीं मिलता है. उन्होंने कहा था, 'सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों की बात करें तो हम भारत से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं.' उन्होंने कहा कि एनपीपी ऐसे क्षेत्रों में भारत की सहायता की उम्मीद कर रही है.