Paetongtarn Shinawatra: पिता को किया गया था सत्ता बेदखल, बेटी बनी थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री, जानिए प्रेगनेंट लेडी की दमदार कहानी
Paetongtarn Shinawatra: पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने महज 37 साल की उम्र में थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनकर थाई राजनीति में नई पीढ़ी के लिए एक बड़ा संदेश जारी किया है. उन्होंने अपने बेटे को जन्म देने के कुछ ही हफ्तों बाद प्रधानमंत्री की भूमिका संभाली है.

Paetongtarn Shinawatra: पैतोंगटार्न शिनावात्र ने 37 वर्ष की उम्र में थाईलैंड (Thailand) प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली तीसरी करीबी पारिवारिक सदस्य बन गयी हैं. उनसे पहले उनके पिता और अरबपति बिजनेसमैन थाकसिन शिनावात्र (Thaksin Shinawatra) और उनकी चाची यिंगलक शिनावात्रा (Yingluck Shinawatra) थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. थाकसिन की तीन संतानों में सबसे छोटी पैतोंगटार्न को अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुना गया है.
पैतोंगटार्न ने अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती होने के दौरान थाईलैंड में सक्रिय रूप से चुनाव प्रचार किया, जिसका जन्म चुनाव से सिर्फ दो सप्ताह पहले हुआ था. पैतोंगटार्न शिनावात्रा के पिता थाकसिन शिनावात्रा को 2006 में एक सैन्य तख्तापलट कर पद से हटा दिया गया था और प्रभावशाली शिनावात्रा राजनीतिक वंश को आगे बढ़ा रही हैं. राजनीति में प्रवेश करने से पहले, पैतोंगटार्न का व्यवसायिक कार्यकारी के रूप में करियर था.
2021 में राजनीति में प्रवेश और 2024 में प्रधानमंत्री पद
पैतोंगटार्न शिनावात्र (who is prime minister of thailand) ने आधिकारिक तौर पर 2021 में राजनीति में प्रवेश किया जब उन्हें फ्यू थाई पार्टी की समावेश और नवाचार सलाहकार समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया. सत्ता में रहते हुए पैतोंगटार्न की नीतियां उनके पिता और फ्यू थाई पार्टी की नीतियों से काफी मिलती-जुलती दिखती हैं, जिनमें नकद सहायता और पर्यटकों के प्रवेश के नियमों में ढील जैसे आर्थिक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
पैतोंगटार्न शिनावात्र के पास है कई चुनौतियां
पैतोंगटार्न परिवार अभी भी चुनौतियों का सामना कर रहा है. उनकी चाची यिंगलक कानूनी मुद्दों के कारण निर्वासन में हैं, जो पैतोंगटार्न के राजनीतिक भविष्य के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है. शिनावात्रा का चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को संवैधानिक न्यायालय द्वारा बर्खास्त किए जाने के दो दिन बाद हुआ है. पैतोंगटार्न के सामने थाईलैंड की ठप पड़ी अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की चुनाती है.
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