'ताड़ी पॉलीटिक्स' पर क्यों जोर दे रहे तेजस्वी यादव? बिहार चुनाव 'पासी' पर RJD की पैनी नजर का समझिए पूरा गणित
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में पासी समाज की पारंपरिक भूमिका ताड़ी उत्पादन और बिक्री करना है, जो शराबबंदी के कारण आक्रोश में रहा है. पारंपरिक रूप से पासी समुदाय ताड़ी (खजूर या ताड़ी के पेड़ से निकाली गई प्राकृतिक मदिरा) निकालने और बेचने का काम करते रहे हैं. बिहार के ग्रामीण इलाकों में यह पेशा आज भी कई जगह प्रचलित है.
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Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जाती समीकरण साधने में लगे हैं. इसमें इन दिनों वह 'ताड़ी पॉलीटिक्स' के जरिए पासी समुदाय के वोट पर पैनी नजर बनाने में लगे हैं. स्टेज पर ताड़ी के मटके को कंधे पर लेकर वह पूरे बिहार में पासी समुदाय को साथ आने का मैसेज जे रहे हैं... लेकिन इसका कारण है कि बिहार के कई विधानसभा सीटों पर पासी समुदाय निर्णायक वोटर साबित होते हैं.
दरअसल, बिहार में शराबबंदी के साथ ही ताड़ी पर भी बैन लग गया, जिससे इस समाज का मुख्य धंधा, जो कि ताड़ी बनाना था, वह चौपट हो गया... हालांकि, सरकार इन्हें पढ़ाई-लिखाई के जरिए मुख्यधारा में लाने का काम करती रही है, लेकिन समय - समय में ये अपने पारंपरिक काम को लेकर सरकार का विरोध भी करते हैं. पासी आसमान में ऊंचे खड़े ताड़ के पेड़ों पर चढ़ते हैं और ताड़ी उतारते हैं. ताड़ी यानी एक ऐसा पेय पदार्थ, जो प्रकृति देती तो वरदान के रूप में है, लेकिन मनुष्य उसे भी मादक के तौर पर उपयोग करता है.
तेजस्वी यादव की अपील
आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, 'शुरू से ही हम चाहते थे और हमने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से भी कहा था कि ताड़ी को बिहार उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 से छूट दी जानी चाहिए. दलित और पिछड़े समुदायों के लोगों को ताड़ी पीने के लिए जेल में डाला जा रहा है. ताड़ी को बिहार उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 से छूट दी जानी चाहिए.'
#WATCH | Patna, Bihar | RJD leader and former Bihar Dy CM Tejashwi Yadav says, "...From the start we wanted and we also told Bihar CM Nitish Kumar that Toddy should be exempted from the Bihar Excise Act 2016...People from the Dalit and backwards communities are being put in jail… pic.twitter.com/SVNCrfqBW8
बिहार चुनाव में पासी समाज की कितनी है भूमिका?
बिहार में 22 दलित समुदाय के लोग रहते हैं, जिसमें एक पासी समुदाय भी है. अखिल भारतीय पासी समाज के मुताबिक़ बिहार में इस समाज की आबादी 20 लाख से ज़्यादा है जो कि कुल आबादी के 1% से भी कम है यानी कि 0.9853% है. पासी समुदाय पहले से ही आरजेडी का वोटर रहा है, क्योंकि लालू यादव ने अपने कार्यकाल में ताड़ी पर से टैक्स खत्म कर दिया था.
बिहार में छपरा, गया, पटना, समस्तीपुर समेत कई जिलों के कई विधानसभा क्षेत्र में पासी समाज निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां ये समाज बिहार के कई विधानसभा सीट पर सरकार बनाने तक का काम करते हैं. ऐसे में आरजेडी इसके जरिए न सिर्फ पासी समाज को अपने पाले में कर रही है, बल्कि शराब बंदी से नाराज लोगों को भी तेजस्वी यादव टारगेट कर रहे हैं और उन्हें मैसेज दे रहे हैं कि अगर सरकार बनी तो शराबबंदी कानून वापस ले लिया जाएगा... हालांकि वो अलग बात है कि इससे राज्य के समाज को नुकसान होगा या नहीं!
पासी समाज का मुख्य काम क्या है?
पासी समाज, जो मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में पाया जाता है, एक परंपरागत दलित समुदाय है. पासी समाज का मुख्य काम ऐतिहासिक रूप से तालाब और कुएं बनाना और उनकी देखरेख करना, पेड़ (खजूर और ताड़ी) से रस निकालना और कृषि से संबंधित कार्य करना है. हालांकि बिहार में ये मुख्य रुप से ताड़ी निकालने का काम ही करते हैं.
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