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बिहार बना देश का पहला राज्य जहां मोबाइल से होगी वोटिंग, जानिए कैसे चलेगा डिजिटल लोकतंत्र का नया अध्याय

Bihar election 2025: बिहार ने रचा इतिहास! देश में पहली बार मोबाइल से वोटिंग की शुरुआत, जानिए कैसे डाउनलोड करें ऐप, कौन कर सकेगा मोबाइल से मतदान और कितनी सुरक्षित है यह तकनीक.

Bihar Mobile Voting: बिहार ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है. अब वोट डालने के लिए लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं, बूथ तक पहुंचने की मजबूरी नहीं क्योंकि बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां मोबाइल फोन से वोटिंग की जा सकेगी. यह अनोखा और क्रांतिकारी कदम शुक्रवार शाम राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने खुद ऐलान किया.

शनिवार को पटना, रोहतास और पूर्वी चंपारण जिले के छह नगर परिषदों में होने वाले चुनावों में ये नई व्यवस्था लागू की जा रही है. हालांकि विधानसभा चुनाव में इस सुविधा का इस्तेमाल होगा या नहीं, इस पर अभी संशय बना हुआ है.

कैसे काम करेगा मोबाइल से वोटिंग का सिस्टम?

राज्य निर्वाचन आयोग ने 'e-SECBHR' नामक एक खास ऐप विकसित किया है, जिसे सिर्फ एंड्रॉयड मोबाइल पर फिलहाल चलाया जा सकता है. इस ऐप के जरिए वे लोग वोट डाल सकते हैं जो चुनाव के दिन किसी कारणवश बूथ पर नहीं पहुंच सकते.

इनमें शामिल हैं:

  • बुजुर्ग नागरिक
  • दिव्यांग व्यक्ति
  • गर्भवती महिलाएं
  • बाहर काम करने वाले प्रवासी मतदाता

दीपक प्रसाद के अनुसार, वोटर को वही मोबाइल नंबर इस्तेमाल करना होगा जो पहले से वोटर लिस्ट में रजिस्टर्ड हो. इसके बाद ऐप के जरिए चेहरे की पहचान, स्कैनिंग और ID वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना होगा.

डिजिटल सुरक्षा होगी टॉप लेवल की

चुनाव आयोग ने दावा किया है कि यह पूरा सिस्टम ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जिससे हर वोट का पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा.

एक मोबाइल नंबर से अधिकतम दो वोटर्स ही लॉगिन कर सकते हैं.

हर वोट की पुष्टि वोटर ID से क्रॉसचेक की जाएगी.

VVPAT जैसी ऑडिट ट्रेल भी बनाई जाएगी, जिससे हर वोट के डेटा को ट्रैक किया जा सकेगा.

बिना मोबाइल वालों के लिए भी विकल्प

जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, वे बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के माध्यम से वोट डाल सकते हैं. यानी कोई भी तकनीकी वजह से लोकतंत्र से बाहर नहीं रह जाएगा.

कितने लोगों ने दिखाया भरोसा?

अब तक करीब 10,000 वोटर रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं और उम्मीद है कि लगभग 50,000 लोग बिना बूथ जाए वोटिंग करेंगे. 10 से 22 जून तक एक जागरूकता अभियान चलाया गया, ताकि लोग इस नई सुविधा को समझें और इसका लाभ लें.

एक राज्य, बड़ा बदलाव

बिहार इस कदम से सिर्फ तकनीकी विकास की मिसाल नहीं पेश कर रहा, बल्कि लोकतंत्र को और ज्यादा समावेशी और सहज बनाने की दिशा में बड़ी छलांग भी लगा रहा है. अगर यह प्रयोग सफल होता है तो जल्द ही देश के बाकी राज्यों में भी मोबाइल वोटिंग की गूंज सुनाई दे सकती है.

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