गुजरात में आप की धमाकेदार जीत, क्या 2027 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिलेगी कड़ी चुनौती?
AAP vs BJP Gujarat 2027: आप की इस जीत ने साफ कर दिया है कि गुजरात की सियासत में तीसरी ताकत की दस्तक हो चुकी है. आने वाले दो साल AAP के लिए काफी अहम होंगे. अगर पार्टी सही रणनीति बनाती है तो गुजरात में नया राजनीतिक समीकरण देखने को मिल सकता है.

AAP vs BJP Gujarat 2027: गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने आम आदमी पार्टी (AAP) को नयी उम्मीदें दी हैं. दिल्ली में करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी को गुजरात के विसावदर सीट पर मिली ऐतिहासिक जीत ने उसकी राजनीतिक जमीन को मजबूत किया है.
इसके साथ ही पंजाब के लुधियाना (पश्चिम) सीट पर भी आप ने अपना कब्ज़ा बरकरार रखा. इस जीत को 2027 गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
गुजरात में क्यों खास है AAP की जीत?
गुजरात लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गढ़ माना जाता है. ऐसे में AAP के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष किरीट पटेल को 17,000 से ज्यादा वोटों से हराकर बड़ी सेंध लगाई है. इटालिया वही नेता हैं जो 2015 के पाटीदार आंदोलन के वक्त सुर्खियों में आए थे.
इस सीट पर दिलचस्प बात ये है कि BJP पिछले 17 साल से इस सीट को जीतने के लिए कोशिश कर रही थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई. इस बार मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से लेकर केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल तक ने यहां प्रचार किया, लेकिन नतीजा AAP के पक्ष में गया.
पंजाब में भी AAP का परचम बरकरार
पंजाब के लुधियाना (पश्चिम) सीट पर भी AAP के संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस के भरत भूषण आशु को 10,600 से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी. पंजाब इस वक्त देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां AAP की सरकार है। ऐसे में इस जीत ने पार्टी का आत्मविश्वास और बढ़ा दिया है.
क्या बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है ये हार?
इस जीत ने गुजरात की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. जहां पहले BJP और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर हुआ करती थी, अब AAP एक नया विकल्प बनकर उभर रही है। खासकर युवाओं और नए वोटरों में इसका असर दिखने लगा है.
2015 और 2020 में दिल्ली में जिस तरह AAP ने जमीन पकड़ी थी, वैसा ही कुछ गुजरात में होता दिख रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही AAP ने सिर्फ 5 सीटें जीती थीं, लेकिन उपचुनाव में गोपाल इटालिया की बड़ी जीत ने बता दिया कि पार्टी अब यहां हल्के में लेने लायक नहीं रही.
2027 चुनाव की तैयारी में जुटी AAP?
इस उपचुनाव ने अरविंद केजरीवाल को ये संकेत दे दिया है कि दिल्ली में हार के बावजूद गुजरात में उनके लिए संभावनाएं खुली हैं. 2027 विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर सकती है. ऐसे में BJP और कांग्रेस दोनों के लिए यह खतरे की घंटी है.
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