यह शराफत अली और शरारती खान के बीच की लड़ाई... बीच रात में राज्यसभा में वक्फ पर क्या बोल गए बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी?
Waqf Amendment Bill: बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष के इस दावे खारिज किया कि हिंदू भी वक्फ को दान दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब इस्लाम में गैर-मुसलमानों की प्रार्थना स्वीकार नहीं की जा सकती तो हिंदुओं का दान कैसे स्वीकार किया जा सकता है?

Waqf Amendment Bill: तमाम तानातानी के बीच वक्फ संशोधन विधेयक पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से पास हो गया. राज्यसभा में पास होने के दौरान खुब बहसबाजी हुई और नेताओं ने अपनी-अपनी दलीलें दी. ऐसे में राज्यसभा में पूरा पॉलिटिकल ड्रामा देखने को मिला. वक्फ संशोधन विधेयक पर बोलते हुए बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह शराफत अली और शरारती खान के बीच की लड़ाई है.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'यह शराफत अली और शरारती खान के बीच की लड़ाई है. हमारी सरकार शराफत अली और गरीब व वंचित मुसलमानों के साथ खड़ी है. यह सिर्फ अमीरी और गरीबी के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि वंचितों के असली दर्द और कट्टरपंथी वोट दलालों के अहंकार के बीच की लड़ाई है.'
Delhi: BJP MP Sudhanshu Trivedi says, "....This is a battle between Sharafat Ali and Sharaarat Khan. Our government stands with Sharafat Ali, with poor and underprivileged Muslims. This is not just a fight between wealth and poverty but between the true pain of the… pic.twitter.com/Lf9snAxToK
'इस्लामिक देशों में वक्फ नहीं तो भारत में क्यों'
सुधांशु त्रिवेदी आगे कहा, 'जेपी नड्डा जी ने पहले ही कहा है कि हमारी वक्फ समिति ने इस विधेयक के लिए बहुत विस्तृत तरीके से काम किया है. इंडोनेशिया, तुर्की, इराक और सीरिया जैसे कई इस्लामिक देशों में वक्फ नहीं है, तो भारत में क्यों है? अगर हम भारत की बात करें तो क्या सिखों, पारसियों और ईसाइयों के पास ऐसी शक्तियां हैं?'
उन्होंने ये भी कहा, 'हमने इस विधेयक को 'UMEED' नाम दिया है, लेकिन कुछ लोगों ने 'UMAH' का सपना देखा है. 'उमाह' का मतलब है एक पूरा इस्लामी राष्ट्र. जो लोग 'उम्मीद' चाहते थे, उन्हें उम्मीद की किरण दिख रही है, लेकिन जो लोग 'उमाह' चाहते थे, वे निराश दिख रहे हैं.' बता दें कि वक्फ बिल के अब नए नाम से जाना जाएगा. अब इसका नामयूनिफाइड मैनेजमेंट इंपॉरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (UMEED) बिल होगा.
वक्फ को लेकर कांग्रेस पर निशाना
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'जब हमें आज़ादी मिली, तो क्या किसी ने वक़्फ़ बोर्ड की मांग की थी? फिर इसे क्यों दिया गया? पहले मुस्लिम समुदाय को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, हसरत जयपुरी और कैफ़ी आज़मी जैसे नामों से जाना जाता था. लेकिन अब यह इशरत जहां, मुख्तार अंसारी और दाऊद इब्राहिम तक पहुंच गया है. यह सब तब शुरू हुआ जब 1976 में भारत 'धर्मनिरपेक्ष' बन गया.
ये भी देखिए: बीजेपी ने नीतीश कुमार का किया अपहरण... बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव का बड़ा आरोप-बस इन्हें कुर्सी प्यारी