'अपमान का यह कड़वा घूंट...', पूर्व CM Champai Soren का भावुक पत्र, झारखंड में BJP का मास्टरस्ट्रॉक
Champai Soren: 67 वर्षीय राजनेता को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था, जब हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित भूमि घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. अब उनके दिल्ली पहुंचने पर कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड में इस बार सत्ता ही नहीं पूरी राजनीति बदलने वाली है.

Champai Soren: झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में बीजेपी ने बड़ा खेला कर दिया है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कोल्हान टाईगर के नाम से मशहूर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता चंपाई सोरेन ने मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन की निंद उड़ा दी है. उनके दिल्ली पहुंचते ही खबर आ रही है कि कोल्हान टाईगर जल्द ही अब बीजेपी का हाथ थामने वाले हैं. इस बीच एक्स पर चंपाई सोरेन ने एक बेहद भावुक पोस्ट अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया है. जिसमें उन्होंने उनकी ही पार्टी से मिले अपमान को लेकर चर्चा की.
चंपाई सोरेन ने लिखा, "आज समाचार देखने के बाद आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे. आखिर ऐसा क्या हुआ? जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया. 31 जनवरी को इंडिया गठबंधन ने मुझे झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा करने के लिए चुना. अपने कार्यकाल के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन यानी 3 जुलाई तक मैंने पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया."
'अपमान का यह कड़वा घूंट...' चंपाई सोरेन
पूर्व सीएम ने आगे लिखा, "इसी बीच हूल दिवस के अगले दिन मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है. पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते. क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया."
'तीन दिनों से अपमानजनक व्यवहार से हूं भावुक'
चंपाई सोरेन ने लिखा, "पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था. लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था. मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है. कोई अस्तित्व ही नहीं है. जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता. इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया."
चंपाई सोरेन की ने तीन विकल्प की बात
चंपाई सोरेन ने लिखा, "मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि - "आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है." इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे."
- पहला, राजनीति से सन्यास लेना,
- दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना
- तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना.
'आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था' -चंपाई सोरेन
चंपाई सोरेन ने लिखा, "पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा. सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता? बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया. मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था. इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था."
रविवार को चंपई सोरेन तमाम अटकलों के बीच दिल्ली के लिए रवाना हो गए. दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से कहा कि उन्होंने किसी भाजपा नेता से मुलाकात नहीं की है और वह एक निजी यात्रा पर राष्ट्रीय राजधानी में हैं.
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