'कैसे कुछ लोग भारत और बांग्लादेश...', जगदीप धनखड़ ने सलमान खुर्शीद और कांग्रेस पर कुछ यूं किया अटैक
Jagdeep Dhankhar slams Salman Khurshid: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सलमान खुर्शीद के हालिया बयान पर निशाना साधा. पूर्व विदेश मंत्री ने हाल में ही भारत की तुलना बांग्लादेश में हो रही हिंसा से कर दी थी. जिसे लेकर उपराष्ट्रपति ने सबको सतर्क रहने की सलाह भी दी है.

Jagdeep Dhankhar slams Salman Khurshid: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्र को उन राष्ट्र-विरोधी ताकतों के प्रयासों के प्रति आगाह किया, जो यह कहानी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत को पड़ोसी बांग्लादेश (Bangladesh) के जैसे हालातों का सामना करना पड़ेगा. कांग्रेस नेताओं सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर ने भारत और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थितियों के बीच तुलना की थी और कहा था कि भारत में भी बांग्लादेश जैसे हालात हो सकते हैं.
किसी का नाम लिए बगैर धनखड़ ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि कैसे कुछ लोग भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच समानताएं ढूंढने में जल्दबाजी करते हैं और उन्हें गुमराह करार दिया. उन्होंने शनिवार को जोधपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में कहा, 'सतर्क रहें!! कुछ लोगों द्वारा यह कहानी फैलाने का प्रयास किया जा रहा है कि जो हमारे पड़ोस में हुआ, वह हमारे भारत में भी होगा, यह अत्यंत चिंताजनक है.'
बिना नाम लिए उपराष्ट्रपति ने साधा निशाना
उपराष्ट्रपति ने कहा, 'इस देश का एक नागरिक जो संसद सदस्य रह चुका है, तथा दूसरा जो विदेश सेवा में काफी समय बिता चुका है, यह कहने में देर नहीं लगाता कि जो पड़ोस में हुआ, वह भारत में भी होगा!' उन्होंने कहा, 'यह सर्वोच्च प्राथमिकता है, एकमात्र प्राथमिकता है और हम किसी भी चीज से पहले राष्ट्र को सर्वोपरि रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
सलमान खुर्शीद का बयान
सलमान खुर्शीद ने बांग्लादेश में हो रहे हिंसा के बीच कहा था कि भारत में सामान्य स्थिति के बावजूद, बांग्लादेश जैसी घटनाएं यहां भी हो सकती हैं. पूर्व राजनयिक और केंद्रीय मंत्री अय्यर ने भी इसी तरह की तुलना की थी. जिसके बाद उन दोनों को हर ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा था.
उपराष्ट्रपति ने आपातकाल को बताया सबसे काला दौर
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौर पर भी बात की और इसे स्वतंत्रता के बाद का सबसे काला दौर बताया. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इस दौरान न्यायपालिका का सर्वोच्च स्तर भी, जो आमतौर पर बुनियादी अधिकारों का दुर्जेय गढ़ होता है, निर्लज्ज तानाशाही शासन के आगे झुक गया था.
ये भी देखिए: यूट्यूब क्रिएटर्स को स्टार बनाने वाली सुसान वोज्स्की का निधन, इनके छोटे से गैराज से शुरू हुआ था गूगल का सफर