BREAKING:
क्या है रेपो रेट, जिसमें 50 बेसिस पॉइंट की हुई कटौती? जानिए इसका आम लोगों के जेब पर कैसे पड़ता है असर       भूतों को मिल रही सैलरी! ₹230 करोड़ का घोटाला, फिल्मों की तरह इन 5 सीन में मध्य प्रदेश के 'सैलरी स्कैम' की पूरी कहानी       कैसे काम करता है भारत का एयर डिफेंस सिस्टम? समझिए Step by Step, देखिए देश की मिसाइलों की LIST, जिससे थर्रा जाते चीन-पाकिस्तान       एपस्टीन के सेक्स नेटवर्क में ट्रम्प! मस्क के दावों से मचा कोहराम, क्या 20 साल पुराने सच से उठेगा पर्दा?       कितनी पढ़ी-लिखी हैं महुआ मोइत्रा और कितनी संपत्ति की मालकिन? जानिए यहां TMC सांसद के बारे में सबकुछ       Aaj Ka Rashifal 6 June 2025: चंद्रमा का बदलता मूड, किसकी किस्मत चमकेगी आज?       OnePlus Pad 3: 12000mAh बैटरी और 80W चार्जिंग के साथ ताकतवर टैबलेट, फीचर्स कर देगा हैरान       भारत के लिए क्यों अहम है चिनाब पुल? जानिए दुनिया का सबसे ऊंचे रेल आर्च ब्रिज की खासियत       फ्यूजलेज क्या होता है? राफेल की रीढ़, जिसका निर्माण अब भारत में टाटा-डसॉल्ट करेगी? नहीं देखना होगा विदेशियों का मुंह       बेंगलुरु भगदड़ के लिए कौन जिम्मेदार है? RCB, कर्नाटक सरकार या फिर दोनों, सबक कब सिखेगी सरकारें?      

Medha Patkar को मानहानि मामले 5 महीने की जेल, नर्मदा बचाओ आंदोलन में रही है अहम भुमिका

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा 23 साल पहले दायर की गई मानहानि की याचिका पर सजा सुनाई है. जानिए क्या है पूरा मामला.

Medha Patkar: दिल्ली की एक कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को 23 साल पुराने मानहानि के एक मामले में पांच महीने के साधारण कारावास की सोमवार को सजा सुनाई है. यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने उनके खिलाफ उस वक्त दायर किया था जब वह (सक्सेना) गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) का नेतृत्व कर रहे थे. 

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने यह कहते हुए पाटकर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया कि उनके जैसे व्यक्ति द्वारा झूठे आरोप लगाने से अपराध गंभीर हो गया है. इसके साथ ही कोर्ट ने मेधा पाटकर से यह राशि वी के सक्सेना को देने को कहा. हालांकि, कोर्ट ने 70 वर्षीय पाटकर को फैसले के खिलाफ अपीलीय अदालत में जाने का मौका देने के लिए सजा को एक महीने की अवधि के लिए निलंबित कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि पाटकर की उम्र और बीमारियां उन्हें 'गंभीर' अपराध से मुक्त नहीं करती हैं क्योंकि सक्सेना की 'प्रतिष्ठा, विश्वसनीयता और सामाजिक प्रतिष्ठा को गहरी क्षति पहुंची है. 

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटकर ने कहा कि उनके वकील इस आदेश को चुनौती देंगे. उन्होंने कोर्ट के बाहर कहा, 'सत्य को पराजित नहीं किया जा सकता. हम जो भी काम कर रहे हैं, वह गरीबों, आदिवासियों और दलितों के लिए है... हम विकास के नाम पर विनाश और विस्थापन नहीं चाहते हैं. हमारी किसी को बदनाम करने की कोई इच्छा नहीं है. मेरे वकील आगे कानूनी उपाय करेंगे... हम इसे (अदालती आदेश) चुनौती देंगे.'

आपको बता दें कि पाटकर और सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से ही एक कानूनी लड़ाई जारी है, जब पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के विरुद्ध एक वाद दायर किया था. सक्सेना ने एक टीवी चैनल पर उनके (सक्सेना) खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और प्रेस में मानहानिकारक बयान जारी करने के लिए भी पाटकर के खिलाफ 2001 में दो मामले दायर किए थे.

ये भी देखिए: Kangana Ranaut: 'राहुल गांधी एक अच्छा स्टैंडअप कॉमेडियन हैं...' हिन्दू पर की गई टिप्पणी पर क्वीन कंगना का पलटवार