BREAKING:
क्या है रेपो रेट, जिसमें 50 बेसिस पॉइंट की हुई कटौती? जानिए इसका आम लोगों के जेब पर कैसे पड़ता है असर       भूतों को मिल रही सैलरी! ₹230 करोड़ का घोटाला, फिल्मों की तरह इन 5 सीन में मध्य प्रदेश के 'सैलरी स्कैम' की पूरी कहानी       कैसे काम करता है भारत का एयर डिफेंस सिस्टम? समझिए Step by Step, देखिए देश की मिसाइलों की LIST, जिससे थर्रा जाते चीन-पाकिस्तान       एपस्टीन के सेक्स नेटवर्क में ट्रम्प! मस्क के दावों से मचा कोहराम, क्या 20 साल पुराने सच से उठेगा पर्दा?       कितनी पढ़ी-लिखी हैं महुआ मोइत्रा और कितनी संपत्ति की मालकिन? जानिए यहां TMC सांसद के बारे में सबकुछ       Aaj Ka Rashifal 6 June 2025: चंद्रमा का बदलता मूड, किसकी किस्मत चमकेगी आज?       OnePlus Pad 3: 12000mAh बैटरी और 80W चार्जिंग के साथ ताकतवर टैबलेट, फीचर्स कर देगा हैरान       भारत के लिए क्यों अहम है चिनाब पुल? जानिए दुनिया का सबसे ऊंचे रेल आर्च ब्रिज की खासियत       फ्यूजलेज क्या होता है? राफेल की रीढ़, जिसका निर्माण अब भारत में टाटा-डसॉल्ट करेगी? नहीं देखना होगा विदेशियों का मुंह       बेंगलुरु भगदड़ के लिए कौन जिम्मेदार है? RCB, कर्नाटक सरकार या फिर दोनों, सबक कब सिखेगी सरकारें?      

Loksabha election 2024: एक उम्मीदवार कितनी सीटों पर लड़ सकता है चुनाव? जानिए, इस बार किन दिग्गजों ने चुनी एक से अधिक सीटें

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33, उम्मीदवारों को अधिकतम दो सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति देती है, जो देश में लोकतंत्र की बदलती गतिशीलता को दर्शाती है.

चुनाव अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवार एक या उससे अधिक सीट पर चुनाव लड़ते हैं और अब ये बात आम होती जा रही है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33, उम्मीदवारों को अधिकतम दो सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति देती है, जो देश में लोकतंत्र की बदलती गतिशीलता को दर्शाती है. अपने राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए नेता अक्सर एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ते हैं. यदि वे दोनों सीटें जीतते हैं, तो वे आम तौर पर अपनी सुविधा के अनुसार एक सीट से इस्तीफा दे देते हैं, जो एक कानूनी आवश्यकता है. 

दोनों सीट जीतने पर क्या होता है?

हालांकि, जब कोई उम्मीदवार दोनों सीट से चुनाव जीत जाता है तो उसे कानूनन एक सीट से इस्तीफा देना पड़ता है. नियमों के मुताबिक, खाली सीट पर छह महीने के भीतर  कराना जरूरी है. जब किसी सीट पर उपचुनाव होता है तो फिर से उतना ही खर्च होता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने लगभग पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे.

उपचुनाव में कितना होता है खर्च

एक सीट पर औसतन 9.20 करोड़ रुपये. अब उपचुनाव की स्थिति में फिर से लगभग इतना ही खर्च करना पड़ता है. इसे लेकर चुनाव आयोग ने सिफारिश की थी कि अगर कोई उम्मीदवार दोनों सीटों से चुनाव जीत जाता है और एक सीट से इस्तीफा दे देता है, तो वहां होने उपचुनाव का खर्च भी ही देना चाहिए.

इन दिग्गजों ने आजमाया दो सीटों पर किस्मत

पिछली बार की तरह ही इस बार भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दो सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल इस बार केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दो सीटों- उत्तर प्रदेश के वाराणसी और गुजरात के वड़ोदरा से चुनाव लड़ा था. वो दोनों ही जगह जीत गए थे.  इसके बाद वड़ोदरा सीट से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इस बार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. लोकसभा के साथ ही ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं. नवीन पटनायक ने हिंजली और कांटाबांजी सीट से नामांकन दायर किया है.

चुनाव आयोग की अपील

इस मामले पर 2024 में चुनाव आयोग ने एक सीट से एक व्यक्ति के चुनाव लड़ने का नियम लागू करने का प्रयास किया. इसके अतिरिक्त, आयोग ने प्रस्ताव दिया कि यदि एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की वर्तमान व्यवस्था को बनाए रखना है, तो उन उम्मीदवारों को उनके इस्तीफे के परिणामस्वरूप होने वाले किसी भी उप-चुनाव का खर्च भी वहन करना चाहिए. इस प्रस्ताव के कारण सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसने अंततः इसे खारिज कर दिया.

ये भी देखिए: 'AAP' ने दिल्ली LG को बताया BJP का एजेंट, केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की सिफारिश पर मचा बवाल