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भारत में परिवार छोटा, भविष्य के लिए बड़ा सवाल! प्रजनन दर ऐतिहासिक गिरावट पर, जानिए क्या होगा असर

India Fertility Rate 2025: संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) घटकर 1.9 हो गई है, जो जनसंख्या स्थिरता के लिए जरूरी 2.1 के स्तर से नीचे है. रिपोर्ट बताती है कि 2025 तक भारत की आबादी 146 करोड़ होगी और 2060 के बाद इसमें गिरावट आ सकती है.

India Fertility Rate 2025: संयुक्त राष्ट्र (UN) की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate - TFR) अब घटकर 1.9 हो गई है. ये आंकड़ा 2.1 के उस स्तर से नीचे है जिसे 'रिप्लेसमेंट लेवल' कहा जाता है. इसका मतलब है कि अब भारत में औसतन एक महिला के जीवनकाल में 1.9 बच्चे पैदा हो रहे हैं, जबकि स्थिर जनसंख्या बनाए रखने के लिए ये आंकड़ा 2.1 होना चाहिए.

भारत की जनसंख्या 2025 तक कितनी होगी?

UN की 'State of World Population Report 2025' के अनुसार भारत की आबादी 2025 तक 1.46 अरब यानी 146 करोड़ तक पहुंच जाएगी. लेकिन इसके बाद की दशकों में जन्मदर गिरने के कारण जनसंख्या धीरे-धीरे घटने लगेगी. रिपोर्ट कहती है कि 2060-70 तक भारत की जनसंख्या 170 करोड़ पर पहुंचकर नीचे आने लगेगी.

आखिर क्यों घट रही है भारत की जन्मदर?

महिलाओं की बढ़ती पढ़ाई और जागरूकता:

आज महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं, करियर को लेकर सजग हैं और वे अब अपनी मर्जी से फैसला ले रही हैं कि बच्चे कब और कितने पैदा करने हैं.

कामकाजी महिलाओं की संख्या में इजाफा:

महिलाएं अब नौकरी और आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दे रही हैं. मां बनने का फैसला अब अकेला उनका नहीं रहा, वो सोचती हैं कि साथी का सहयोग कितना मिलेगा.

परिवार नियोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार:

भारत में दशकों से परिवार नियोजन अभियान चलाए जा रहे हैं. साथ ही बच्चों की मृत्यु दर भी घटी है, इसलिए अब लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने की जरूरत नहीं लगती.

विदेश में बसने की चाहत:

युवा पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश जा रहे हैं, वहां बस रहे हैं, इससे देश में उनकी संतानें नहीं हो रही हैं.

दक्षिण भारत को क्यों है चिंता?

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जन्मदर और भी नीचे है. इन राज्यों को डर है कि संसद में उनकी सीटें घट जाएंगी क्योंकि आबादी कम हो रही है, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों की जनसंख्या अभी भी बढ़ रही है.

क्या सच में चिंता की बात है?

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अभी बहुत घबराने की जरूरत नहीं है. हां, आने वाले दशकों में भारत की उम्रदराज़ आबादी बढ़ेगी. 2050 तक हर पांचवां भारतीय 60 साल से ऊपर होगा। इससे दिक्कतें भी आएंगी

  • बुजुर्गों की देखभाल के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत बढ़ेगी.
  • कम युवा जनसंख्या होने से कामगारों की कमी हो सकती है.
  • पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पर खर्च बढ़ेगा.
  • ओल्ड ऐज होम्स और सामुदायिक सहायता केंद्रों की ज़रूरत पड़ेगी.

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क्या इससे कुछ फायदे भी होंगे?

महिलाओं की मज़बूत भागीदारी: कम बच्चे होने से महिलाएं शिक्षा और काम में आगे बढ़ेंगी.

पुरुषों की ज़िम्मेदारी बढ़ेगी: घर-गृहस्थी और बच्चों की देखभाल में पुरुषों को भी हाथ बंटाना पड़ेगा.

बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक सुरक्षा: सरकार को अब बुढ़ापे को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनानी होंगी.

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