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Sushila Karki कौन हैं, जिन्हें Gen Z बनाना चाहते हैं नेपाल की प्रधानमंत्री? भारत से है गहरा नाता

नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है. जेन-ज़ी आंदोलन के बाद KP शर्मा ओली की सरकार गिर गई और पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री चुना गया. BHU में पढ़ी कार्की अपने भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों और निडर छवि के लिए जानी जाती हैं.

Nepal Gen Z Protest 2025: काठमांडू की सड़कों पर दिनों से चल रहे जेन-ज़ी आंदोलन ने आखिरकार नया मोड़ ले लिया है. भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उठी इस जनलहर ने न सिर्फ प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देने पर मजबूर किया, बल्कि अब नेपाल को नया नेतृत्व भी देने की ओर कदम बढ़ा दिया है. 

सूत्रों के मुताबिक, नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस और देश की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की अगुवाई के लिए चुना गया है.

Gen Z की वर्चुअल वोटिंग से चुनी गईं सुशीला कार्की

बुधवार को नेपाल के जेन-ज़ी प्रदर्शनकारियों की एक अहम वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें 5,000 से ज्यादा युवा शामिल हुए. करीब 4 घंटे तक चली इस चर्चा में सुशीला कार्की को बहुमत का समर्थन मिला.

Gen Z की नेता रक्ष्या बम ने बताया, 'हमने सुशीला कार्की को नए अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर प्रस्तावित किया है. आज इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से सेना प्रमुख से परामर्श के बाद आगे बढ़ाया जाएगा.'

पहले काठमांडू के मेयर बालन शाह को इस दौड़ का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों की सहमति सुशीला कार्की के पक्ष में बन गई.

कौन हैं सुशीला कार्की?

सुशीला कार्की सिर्फ नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस ही नहीं, बल्कि एक निडर और निष्पक्ष जज के रूप में जानी जाती हैं. 2016 में उन्होंने इतिहास रचा था जब नेपाल की तीनों शीर्ष संवैधानिक पदों राष्ट्रपति, संसद अध्यक्ष और चीफ जस्टिस पर महिलाएं विराजमान थीं.

उनकी पहचान एक ऐसे जज के रूप में बनी, जिसने भ्रष्टाचारियों पर सीधे प्रहार किए. सबसे चर्चित फैसला तब आया जब उन्होंने तत्कालीन मंत्री जय प्रकाश गुप्ता को भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेजा. यह नेपाल में पहली बार हुआ जब कोई मंत्री पद पर रहते हुए जेल गया.

BHU से पढ़ाई, न्यायपालिका में लंबा सफर

सुशीला कार्की का भारत से भी गहरा नाता है. उन्होंने 1975 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU), वाराणसी से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की. 1979 में बिराटनगर में वकालत से करियर की शुरुआत की और 2009 में नेपाल सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं.

उनके कार्यकाल में कई संवेदनशील और ऐतिहासिक फैसले हुए:

  • शांति मिशनों में भ्रष्टाचार की जांच
  • निजगढ फास्ट ट्रैक प्रोजेक्ट पर सुनवाई
  • महिलाओं को बच्चों को नागरिकता देने का अधिकार

ये फैसले उन्हें सुधारवादी और प्रगतिशील न्यायाधीश के रूप में स्थापित करते हैं.

जब सरकार से टकराईं और सामना करना पड़ा महाभियोग से

2017 में सुशीला कार्की के कई आदेशों ने तत्कालीन सरकार को नाराज़ कर दिया. खासतौर पर पुलिस प्रमुख की नियुक्ति को लेकर दिए गए फैसले पर ओली सरकार ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला दिया. आरोप था कि उन्होंने कार्यपालिका के अधिकारों में हस्तक्षेप किया. हालांकि, कार्की ने हर दबाव के बावजूद अपने फैसलों पर डटे रहकर 'निर्भीक जज' की छवि बनाई.

नेपाल की राजनीति में महिला नेतृत्व का नया अध्याय

के.पी. ओली के इस्तीफे के बाद जिस तरह जेन-ज़ी आंदोलन ने सुशीला कार्की को आगे किया है, वह नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है. युवाओं के लिए कार्की न सिर्फ एक साफ-सुथरे नेतृत्व का चेहरा हैं, बल्कि महिलाओं की ताकत का प्रतीक भी हैं.

अब सबकी निगाहें नेपाल की सेना और राजनीतिक दलों पर टिकी हैं कि वे इस जनमत को किस तरह से स्वीकार करते हैं. अगर सुशीला कार्की वास्तव में अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं, तो यह नेपाल के इतिहास का एक नया अध्याय होगा—जहां सड़कों पर उतरे युवा और न्यायपालिका से निकली एक महिला मिलकर देश का भविष्य तय करेंगे.

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