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Nepal Gen Z Protest: कौन हैं बलेंद्र शाह 'बालेन', जो नेपाल में बने Gen Z के हीरो? रैपर से मेयर तक का सफर और अब प्रधानमंत्री!

बालेन शाह की लोकप्रियता उनकी रैप बैकग्राउंड, बेबाक राजनीतिक छवि और मेयर रहते सुधारात्मक फैसलों की वजह से तेजी से बढ़ी है. विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल की राजनीति अब नए दौर में प्रवेश कर सकती है, जिसमें युवा नेतृत्व की भूमिका सबसे अहम होगी.

Nepal Gen Z Protest: नेपाल की राजनीति इस समय एक बड़े मोड़ पर खड़ी है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने लगातार एक हफ्ते तक चले हिंसक प्रदर्शनों के दबाव में इस्तीफा दे दिया है. इन प्रदर्शनों ने न सिर्फ सरकार को हिला कर रख दिया बल्कि नेपाल की सियासत में एक नया चेहरा भी उभरा है—काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह, जिन्हें लोग प्यार से 'बालेन' (Balen Shah) कहते हैं.

क्यों देना पड़ा ओली को इस्तीफा

नेपाल में बवाल उस समय शुरू हुआ जब सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और X जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने का विवादास्पद फैसला लिया. इसे आलोचकों ने अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया.

यह कदम सरकार पर उल्टा भारी पड़ा. देशभर में खासकर युवा पीढ़ी और छात्र-छात्राओं ने सड़कों पर उतरकर इसका जोरदार विरोध किया. सोमवार को हालात बिगड़े और पुलिस की सख्त कार्रवाई में प्रदर्शन हिंसक हो गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक सिर्फ काठमांडू में ही 18 छात्रों समेत अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है और 345 से ज्यादा लोग घायल हुए.

हॉस्पिटल खचाखच भर गए और लोग खून देने के लिए ब्लड बैंक्स के बाहर लंबी कतारों में खड़े दिखाई दिए. इस हिंसा ने जनता का गुस्सा और भड़काया और आखिरकार मंगलवार को ओली ने इस्तीफा दे दिया.

कौन हैं बलेंद्र शाह 'बालेन'?

प्रदर्शनों के बीच बालेन शाह का नाम सबसे ज़्यादा लिया जा रहा है। 34 वर्षीय मेयर बालेन पहले से ही युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं. भले ही उन्होंने खुद प्रधानमंत्री पद की दावेदारी की घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रदर्शनकारी 'Gen Z' का प्रतिनिधि चेहरा मानते हुए उन्हें आगे आने की अपील कर रहे हैं.

बालेन ने प्रदर्शनकारियों का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'यह आंदोलन Gen Z का है, जिनके लिए शायद मैं भी बूढ़ा हूं. नेताओं और पार्टियों को इस आंदोलन का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए नहीं करना चाहिए.'

ओली के इस्तीफे के बाद बालेन ने युवाओं से शांति बनाए रखने और हिंसा से दूर रहने की अपील की.

रैपर से मेयर तक का सफर

राजनीति में कदम रखने से पहले बालेन नेपाल की अंडरग्राउंड हिप-हॉप सीन में रैपर और गीतकार के रूप में मशहूर थे. उनके गाने 'बलिदान' (Balidan) और कई अन्य ट्रैक्स भ्रष्टाचार, असमानता और राजनीतिक सड़ांध पर सीधे वार करते थे.

उनका एक मशहूर लाइन आज भी युवाओं की जुबान पर है, 'देश बचाने वाले मूर्ख हैं, नेता सब चोर हैं, देश को लूट रहे हैं.'

2022 में बालेन ने काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी मेयर चुनाव में बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार जीत हासिल की. 33 साल की उम्र में यह जीत ऐतिहासिक रही क्योंकि उन्होंने नेपाल की पारंपरिक और ताकतवर राजनीतिक पार्टियों को धूल चटा दी.

बालेन के काम और विवाद

मेयर बनने के बाद बालेन ने कई बड़े कदम उठाए.

नगरपालिका बैठकों की लाइव टेलीकास्ट शुरू की, ताकि जनता सीधे देख सके कि फैसले कैसे लिए जा रहे हैं.

काठमांडू की सबसे बड़ी समस्या कचरा निपटान को हल करने के लिए ठोस कदम उठाए.

लेकिन विवाद भी उनके साथ जुड़े। उन्होंने सड़क पर छोटे दुकानदारों पर सख्ती की, जिस पर मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए.

वहीं, उन्होंने फिल्म आदिपुरुष में सीता को 'भारत की बेटी' कहे जाने पर भारतीय फिल्मों पर बैन लगाया, जिसे बाद में कोर्ट के आदेश पर वापस लेना पड़ा.

बालेन: जनता का नेता या अगला पीएम?

आज बालेन सिर्फ काठमांडू के मेयर नहीं, बल्कि नेपाल के युवाओं की आवाज़ और उम्मीद बन चुके हैं. आलोचक उन्हें विवादित कहते हैं, लेकिन समर्थक मानते हैं कि यही वो नेता हैं जो नेपाल की राजनीति को भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से निकालकर नई दिशा दे सकते हैं.

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या बालेन शाह वाकई नेपाल की सत्ता में कदम रखेंगे और पीएम की दौड़ में उतरेंगे, या फिर सिर्फ युवाओं की आवाज़ बने रहेंगे?

नेपाल की राजनीति का अगला अध्याय इसी सवाल पर टिका हुआ है.

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