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असम में सिर्फ इन 3 लोगों को ही मिली नागरिकता, CAA विवाद पर CM हिमंत सरमा ने दिया जवाब

गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दी है. वहीं, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने खुलासा किया कि अब तक राज्य में सिर्फ तीन लोगों को ही नागरिकता मिली है.

Himanta Biswa Sarma CAA statement: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर असम और पूर्वोत्तर राज्यों में लंबे समय से बहस और विरोध होता रहा है. लेकिन मंगलवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि राज्य में अब तक इस कानून के तहत सिर्फ तीन लोगों को ही नागरिकता दी गई है. वहीं, केंद्र सरकार ने एक और अहम कदम उठाते हुए इस कानून के तहत आवेदन के लिए भारत में प्रवेश की कट-ऑफ तारीख को 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया है.

क्या है नागरिकता संशोधन कानून?

नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA) का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है. पहले इसके लिए शर्त थी कि ये लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों, लेकिन अब केंद्र ने इस तारीख को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया है.

असम में सिर्फ तीन लोगों को मिली नागरिकता

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'अब तक असम में सिर्फ तीन लोगों को नागरिकता मिली है. राज्य में कुल 12 आवेदन आए थे, जिनमें से 9 पर अभी विचार चल रहा है.'

उन्होंने यह भी कहा कि जब कानून लागू हुआ था, तब आशंका जताई जा रही थी कि असम में 20 से 25 लाख लोग नागरिकता ले लेंगे। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट निकली है.

विरोध और आशंकाओं पर सीएम सरमा का जवाब

मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों और संगठनों पर निशाना साधते हुए कहा, 'लोगों ने बेवजह डर फैलाया था कि लाखों प्रवासी नागरिकता ले लेंगे और असम की संस्कृति पर संकट आ जाएगा. लेकिन अब आप ही बताइए कि जब केवल 12 आवेदन आए हैं, तो क्या वाकई इस पर इतना विवाद होना चाहिए?'

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार CAA को लेकर अफवाहों और भ्रम को दूर करने के लिए लगातार काम कर रही है.

असम में क्यों है CAA को लेकर संवेदनशीलता?

असम में नागरिकता का मुद्दा हमेशा से बेहद संवेदनशील रहा है। राज्य में पहले ही अवैध प्रवासियों का बड़ा सवाल खड़ा रहा है. 1979 से 1985 तक चला असम आंदोलन इसी मुद्दे पर हुआ था, जिसका नतीजा असम समझौता था. इसलिए जब CAA लागू हुआ तो यहां के बड़े वर्ग ने आशंका जताई थी कि यह कानून राज्य की भाषाई और सांस्कृतिक पहचान पर असर डाल सकता है.

आगे की राह

गृह मंत्रालय के फैसले के बाद अब उन प्रवासियों के लिए एक नई खिड़की खुल गई है जो 2014 के बाद भारत आए थे. हालांकि, मुख्यमंत्री के ताज़ा बयान ने यह साफ कर दिया है कि असम में अब तक CAA का असर उतना व्यापक नहीं हुआ है, जितनी आशंकाएं जताई जा रही थीं.

केंद्र और राज्य सरकार अब यह देखने पर ध्यान दे रही हैं कि आने वाले महीनों में कितने नए आवेदन आते हैं और उनमें से कितनों को नागरिकता दी जाती है.

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