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ब्रह्मोस से लेकर आकाश तक... कैसे भारत के स्वदेशी हथियारों के आगे घुटने टेका पाकिस्तान? ताकत देख थर्रा उठा चीन और तुर्की

𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚-𝐏𝐚𝐤𝐢𝐬𝐭𝐚𝐧 𝐓𝐞𝐧𝐬𝐢𝐨𝐧: 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत के लिए दोहरी सफलता रही है. इसने न केवल देश की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित किया, बल्कि हथियार के मामले में भारत में निर्मित ब्रह्मोस से लेकर आकाश तक को साबित भी कर दिया है कि ये दुनिया को मजा चखाने के लिए काफी हैं. भारत में बने हथियारों में चीनी या तुर्की निर्मित हथियारों को हवा में ही मार गिराया... जिसने आज भारत के सभी दुश्मन देशों को कड़ा मैसेज दिया है.

India-Pakistan Tension: 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत के लिए सिर्फ पाकिस्तान को करारा जवाब देना ही नहीं था, बल्कि दुनिया को ये बताना भी था कि भारत किसी भी अटैक से खुद की रक्षा करने में सक्षम है और ये सब भारत किसी विदेशी शक्ति के जरिए नहीं कर पाया बल्कि अपने देश में बनाए गए हथियार से भारत ने पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम किया. इसके साथ ही पाकिस्तान को ऐसा करारा जवाब दिया है, जो शायद वो कई दशकों तक याद रखेगा... 

ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसा सैन्य अभियान है जिसे भारत और पूरी दुनिया लंबे समय तक याद रखेगी. भारत ने इस मिशन में पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादी ठिकानों और सैन्य संस्थानों पर सटीक हमला किया. यह साबित हुआ कि भारत में सिर्फ आतंक से लड़ने का हौसला ही नहीं, बल्कि ज़रूरी हथियार भी हैं. 

Made-in-India हथियारों से पाक की हवा टाइट

इस ऑपरेशन को खास बनाने वाली बात यह है कि इसमें कई स्वदेशी यानी Made-in-India हथियारों का इस्तेमाल हुआ, जबकि पाकिस्तान अभी भी लगभग पूरी तरह से चीन और तुर्की के हथियारों पर निर्भर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित करते हुए इस पर जोर दिया कि इस ऑपरेशन में हमारे मेड-इन-इंडिया हथियारों की ताकत साबित हुई है. आज दुनिया देख रही है कि 21वीं सदी के युद्ध में भारत के बनाए हथियारों का वक्त आ गया है.

चार दिन चले इस भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद के बाद अब हम एक नज़र डालते हैं. उन स्वदेशी हथियारों पर जो ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हुए और जिन्होंने कमाल कर दिखाया.

ब्रह्मोस – भारत की सुपरसोनिक मिसाइल

10 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयरबेस पर जब हमला किया, तो उसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का पहला इस्तेमाल हुआ. इस मिसाइल ने पाकिस्तान के एयरबेस में भारी तबाही मचाई. अधिकारियों का दावा है कि पाकिस्तान की वायुसेना की 20% क्षमता इस हमले में खत्म हो गई.

यह मिसाइल भारत के DRDO और रूस की कंपनी NPO Mashinostroyenia ने मिलकर बनाई है. ब्रह्मोस की रफ्तार Mach 2.8 से Mach 3.0 होती है, यानी यह आवाज़ से लगभग तीन गुना तेज़ चलती है. इससे दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का वक्त नहीं मिलता. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'ब्रह्मोस सिर्फ एक हथियार नहीं, भारत की सैन्य शक्ति का संदेश है.'

आकाश मिसाइल – भारत का अपना 'Iron Dome'

जब भारत ने पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर हमला किया, उसके अगले ही दिन पाकिस्तान ने जवाबी हमला किया. उसने चीन और तुर्की के ड्रोन और मिसाइलों की झड़ी लगा दी. लेकिन भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली ने इन्हें रोक दिया.

DRDO द्वारा विकसित और भारत डायनामिक्स द्वारा बनाई गई यह शॉर्ट-रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल है. यह एक साथ 4 हवाई लक्ष्यों को 25 किमी दूर से गिरा सकती है. कुछ विशेषज्ञ इसे इज़राइल के आयरन डोम जैसा मानते हैं. इसमें ECCM तकनीक भी है, जो दुश्मन के जैमिंग और चकमा देने वाले प्रयासों को नाकाम कर देती है.

सामर सिस्टम – दूसरी सुरक्षा परत

जब पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का हमला किया, तब भारत की मल्टी-लेयर सुरक्षा प्रणाली एक्टिव हो गई. इसमें IAF द्वारा विकसित सामर मिसाइल सिस्टम की अहम भूमिका रही.

यह सिस्टम कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और यूएवी को जल्दी पहचान कर खत्म करने की क्षमता रखता है. यह रडार और मिसाइल तकनीक से लैस है और आधुनिक युद्ध में इसका रोल बेहद अहम हो गया है.

डी-4 – ड्रोन संहारक

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान DRDO द्वारा विकसित D4 एंटी-ड्रोन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया. यह सिस्टम ड्रोन को पकड़ने, रोकने और खत्म करने के लिए बनाया गया है.

यह इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और स्पूफिंग तकनीक से दुश्मन के ड्रोन को फेल कर देता है. साथ ही इसमें लेज़र हथियार भी हैं, जो ड्रोन के अहम हिस्सों को पिघला देते हैं और उसे मार गिराते हैं.

स्कायस्ट्राइकर और बराक-8 – भारत-इज़राइल की ताकत

इसके अलावा भारत ने इस ऑपरेशन में दो और हथियारों का इस्तेमाल किया जो इज़राइल के साथ मिलकर बनाए गए हैं:

  1. SkyStriker – एक आत्मघाती ड्रोन जो दुश्मन पर सीधा गिरता है.
  2. Barak-8 – मीडियम रेंज की सर्फेस-टू-एयर मिसाइल.

भारत के सैटेलाइट्स की दुश्मनों पर पैनी नजर

जहां भारत के हथियारों की चर्चा हो रही है, वहीं यह भी याद रखना ज़रूरी है कि इसरो के सैटेलाइट्स ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई. इसरो प्रमुख वी नारायणन के अनुसार, कम से कम 10 उपग्रहों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रणनीतिक निगरानी में मदद की.

आत्मनिर्भरता की ओर भारत का कदम

ऑपरेशन सिंदूर ने साफ दिखा दिया कि भारत के स्वदेशी हथियार कितने कारगर और खतरनाक हैं. यह आत्मनिर्भर भारत के रक्षा निर्माण के सपने को एक नई दिशा देता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत को अभी लंबा रास्ता तय करना है. 2020 से 2024 के बीच भारत अब भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदार है, जिसकी वैश्विक हथियार आयात में 8.3% हिस्सेदारी है.

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