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दूरियां, गिला-शिकवा और मतभेद... PM Modi के स्मृति मंदिर दौरा से BJP-RSS के रिश्तों में कितनी मिलेगी संजीवनी?

पीएम मोदी का हेडगेवार और गोलवलकर को श्रद्धांजलि अर्पित करना और विकसित भारत योजना में संघ की भूमिका पर जोर देना कई मायनों में संघ और BJP के लिए कारगार साबित हो सकती है.

PM Modi-BJP-RSS: बीजेपी की सत्ता वापसी और पीएम नरेंद्र मोदी का 2014 में शपथ लेने में आरएसएस ने बड़ी भूमिका निभाई थी. ऐसे में पीएम मोदी 2014 में सत्ता संभालने के बाद 30 मार्च 2025 को पहली बार नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय स्मृति मंदिर का दौरा किया. मोदी पिछली बार 2012 में इस स्थान पर आए थे. ये दौरा हाल के दिनों में पार्टी और संगठन के बीच की बढ़ती दूरियों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है. 

पीएम मोदी का संगठन के लिए तारीफ को वैचारिक माता-पिता के प्रति बीजेपी के रुख में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा, 'आरएसएस भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का विशाल वट वृक्ष है. जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी शाखाओं और तनों की तरह हैं जो निस्वार्थ भाव से अटूट समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा कर रहे हैं.'

आरएसएस और बीजेपी के बीच दूरियों को कम करने की कोशिश

पीएम मोदी की हेडगेवार स्मृति मंदिर जाना संघ के भीतर बीजेपी के प्रति जान फूंकने का काम किया. इसे बीजेपी और आरएसएस के आपसी मतभेद दूर करने और एकजुट मोर्चा बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'भले ही कई नेताओं ने अपने करियर को आकार देने में संघ को श्रेय दिया हो, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि इसने उनके शासन या राजनीतिक एजेंडे को प्रभावित या संचालित नहीं किया.'

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीजेपी को आरएसएस से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बता दिया था, जिससे पार्टी और संगठन के बीच दूरियां उत्पन्न हुई और इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा ने अपनी राह सुधारी और कथित तौर पर संघ से संपर्क करने के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनावों में जोरदार जीत दर्ज की. 

महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, 'आरएसएस हमारा वैचारिक मार्गदर्शक है. आज प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में संघ की भूमिका को दोहराया.' पीएम का ये दौरा बेहद खास है, क्योंकि ये आने वाले समय के लिए भी 

RSS के लिए स्मृति मंदिर क्यों है खास? 

नागपुर में स्थित रेशिमबाग स्मृति मंदिर या डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक का स्मारक है. यहां से संगठन की वैचारिक जड़ें से गहराई से जुड़ी है. यहां संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का स्मारक है. 

यहां आरएसएस की शाखाएं और वैचारिक चर्चाएं होती हैं. जो कि लगभग एक सदी से संघ को आगे बढ़ा रही है. यह वह जगह भी है, जहां संघ के इतिहास की प्रमुख हस्तियों को याद किया जाता है. स्मृति मंदिर इस बात का भी प्रमाण है कि कैसे आरएसएस ने समय के साथ अपनी विरासत को न सिर्फ आगे बढ़ाया, बल्कि 3 बड़े प्रतिबंधों और विरोध में खड़ी सरकारों का सामना करते हुए अपने अस्तित्व को बचाए रखा. 

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