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तमिलनाडु में तमिल-मीडियम स्कूलों में घट रहा एडमिशन... फिर किसके लिए लड़ रहे CM Stalin? जानिए किस भाषा की ओर हो रहा झुकाव

Tamil Nadu three-language Conflict: तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच तीन भाषा को लेकर चल रही लड़ाई के बीच एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. इन कुछ सालों में तमिल मीडियम स्कूलों में एडमिशन घट रहा है. इस बीच DMK ने जोर देकर कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का 'दावा' तीन-भाषा फॉर्मूला लागू करने को उचित नहीं ठहरा सकता.

Tamil Nadu three-language Conflict: तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन लगातार केंद्र सरकार पर तीन भाषा थोपने का आरोप लगा रहे हैं. उनकी और उनकी पार्टी का कहना है कि सरकार तमिलनाडु पर जबरन हिंदी थोप रही है. इस बीच आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य में तमिल-मीडियम के स्कूलों में छात्र नामांकन की संख्या में तेजी से गिरावट आई है, जबकि इंग्लिश-मीडियम के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के पिछले सप्ताह राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में तमिल-मीडियम के स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या 2018-19 में 65.87 लाख से घटकर 2023-24 में 46.82 लाख हो गई.वहीं सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में इंग्लिश-मीडियम नामांकन 2018-19 में 55.18 लाख से बढ़कर 2023-24 में 82 लाख हो गया. 

राज्य की वर्तमान दो-भाषा नीति को लेकर तमिलनाडु और केंद्र के बीच तीखी नोकझोंक के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि राज्य सरकार की वर्तमान नीति के विपरीत NEP क्लास 5 तक मातृभाषा के माध्यम से सीखने की सिफारिश करती है, जिसमें बच्चों को अंग्रेजी में सीखने की अनुमति दी गई है. 

सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं महाराष्ट्र में भी इंग्लिश पर जोर

रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में मुंबई में मराठी मीडियम के स्कूलों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने  2014-15 में लगभग 368 मराठी मीडियम स्कूल संचालित किए और 2023-24 में यह संख्या घटकर 262 रह गई. 

केंद्र vs तमिलनाडु सरकार

NEP 2020 के तहत कह गया है कि छात्र तीन भाषाएं सीखें, जिनमें से कम से कम दो भारत की मूल भाषाएं होनी चाहिए. यह सरकारी और निजी स्कूलों दोनों पर लागू होता है और भारतीय भाषाओं को चुनने की स्वतंत्रता देता है. NEP 2020 माध्यमिक स्तर पर विदेशी भाषाओं के अध्ययन की भी सिफारिश करता है. 

लगभग सभी राज्यों ने क्लास 8 तक तीन भाषा फार्मूला लागू कर दिया है और कुछ राज्यों ने इसे क्लास 10 तक बढ़ा दिया है. तमिलनाडु इसमें अपवाद है, जिसने इसके बजाय दो-भाषा नीति को अपनाया है. हालांकि, तमिलनाडु उन पहले राज्यों में से एक था, जिसने क्षेत्रीय भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करवाई थी. 

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