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पाकिस्तान ने खुद को ही क्यों बताया 'एहसान फरामोश'? पाक मंत्री का बड़ा बयान-पैसे के लिए पल-पल तरस रहा देश

पाकिस्तान जैसा की पिछले कुछ सालों से अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर है और दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है. 2023 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज मिलने के बाद देश एक बड़े आर्थिक संकट से तो बच गया लेकिन अब तक अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पाया है.

पाकिस्तान जैसा की पिछले कुछ सालों से अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर है और दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है. 2023 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज मिलने के बाद देश एक बड़े आर्थिक संकट से तो बच गया लेकिन अब तक अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पाया है.

वहीं दूसरी ओर आए दिन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने खुद स्वीकार किया है कि देश ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है और आर्थिक स्थिरता पाने के लिए संघर्ष कर रहा है.

पाक ने बताई आर्थिक सुधारों की जरूरत

पाकिस्तान के वित्त मंत्री औरंगजेब ने देश में बड़े आर्थिक सुधारों की जरूरत पर जोर दिया है और कर प्रणाली में बदलाव की वकालत की है. उन्होंने सीनेट की जलवायु परिवर्तन समिति को संबोधित करते हुए घोषणा की कि अब उनकी मंत्रालय कर प्रणाली की निगरानी करेगा जबकि संघीय राजस्व बोर्ड (FBR) का मुख्य काम केवल कर संग्रह करना होगा.

वहीं औरंगजेब ने देश में संरचनात्मक सुधार लाने की भी बात कही ताकि समावेशी और सतत आर्थिक विकास हासिल किया जा सके.

IMF से एक और किश्त का इंतजार

भले ही पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने कर प्रणाली में बदलाव और आर्थिक सुधारों की बात कही हो लेकिन सच्चाई यह है कि देश अभी भी विदेशी मदद पर निर्भर है. पाकिस्तान IMF से 1 अरब डॉलर और एशियन डेवलपमेंट बैंक से 500 मिलियन डॉलर की अगली किश्त का इंतजार कर रहा है.

ना अर्थव्यवस्था संभल रही ना प्रांत!

सिर्फ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि उसका एक प्रांत भी उसके हाथ से निकलने की कगार पर है. देश एक बार फिर 1971 जैसे टूटने की स्थिति में पहुंच रहा है जब वह पूर्वी पाकिस्तान को खो बैठा था और बांग्लादेश बना था.

कुछ दिन पहले पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में एक सांसद ने कहा कि वे जल्द ही बलूचिस्तान प्रांत को भी खो सकते हैं. 

पाक सांसद मौलाना फज़ल-उर-रहमान ने संसद में भारी मन से कहा कि बलूचिस्तान के 5-7 जिले अगर अपनी आज़ादी की घोषणा कर दें तो संयुक्त राष्ट्र उसे मान्यता दे देगा और पाकिस्तान एक बार फिर 1971 की तरह टूट जाएगा.

 

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