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योगी सरकार के फैसले से पहले FSSAI कसेगा शिकंजा, जानिए कैसे ढाबा और रेस्तरां मालिकों का नाम आएगा सामने

योगी सरकार के दुकान पर नेमप्लेट लगाने वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. हालांकि लखनऊ में कुछ दुकानदार योगी सरकार के आदेश के बाद अपने दुकान पर नेमप्लेट लगाना शुरू कर दिया है.

Kawar yatra: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों के नाम लिखने वाले आदेश में पूरे देश में राजनीति गरमा दी है. हर कोई इसे लेकर अपनी-अपनी दलील दे रहा है. मामला जब सुप्रीम कोर्ट गया तो कोर्ट ने दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने ये फैसला कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दायर याचिका पर सुनाया था.

हालांकि ऑप इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि 2006 में भारत खाद्य सुरक्षा के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट के अंतर्गत एक कानून लाया गया था, जिसमें कहा गया था कि कोई ढाबा, रेस्तरां या किसी भी होटल में खाने का कुछ भी बेचता हो, उसे FSSAI से इसका सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है. 

दुकानदार को FSSAI का सर्टिफिकेट दिखाना है अनिवार्य 

FSSAI के जारी सर्टिफिकेट को दुकानदार को या तो दुकान के आगे लगाना पड़ेगा या फिर अगर कोई कस्टमर मांगता है तो उसे देना पड़ेगा. इससे कस्टमर को दुकानदार के नाम के साथ वह क्या-क्या बेच रहा है इसकी जानकारी भी सामने आ जाएगी. 

कांग्रेस सरकार में बना था कानून

अनोखी बात ये भी है कि जिस कांग्रेसी नेता ने ये याचिका कोर्ट में लगाई उनकी सरकार ने ही साल 2006 में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट कानून लागू किया था. FSSAI के जारी सर्टिफिकेट में दुकानदार की पूरी डिटेल्स होती है. इसमें नाम पता से लेकर गांव और कहां का रहने वाला है? ये जानकारी भी रहती है.

कुछ दुकानदार कर रहे हैं सरकार के आदेश का पालन

कोर्ट ने आदेश जारी कर भले ही इसे रोकने का आदेश जारी किया है. लेकिन नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ में कई दुकानदारों ने अपनी मर्जी से ही दुकान पर नेमप्लेट लगा लिया है. उनके इस पहल की हिंदू महासभा ने तारीफ करते हुए स्वागत किया है. उनका कहना है कि इसको लेकर धर्म की पवित्रता बनी रहेगी. 

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