क्या होता है QR-SAMs, जिसके लिए भारत सरकार खर्च करेगी ₹30000 करोड़? टेंशन में आया चीन और पाकिस्तान
QR-SAMs System: भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय 30,000 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QR-SAM) सिस्टम की तीन रेजीमेंट खरीदने की तैयारी कर रहा है. यह फैसला हाल ही में सफल रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद लिया गया है, जिसमें पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया गया था.

QR-SAMs System: भारत के रक्षा मंत्रालय ने सेना की वायु सुरक्षा क्षमता को और मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. रक्षा मंत्रालय जल्द ही भारतीय सेना के लिए 30,000 करोड़ रुपये की लागत से तीन रेजीमेंट स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QR-SAM) सिस्टम की खरीद के प्रस्ताव पर विचार करेगा.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने के अंत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होने वाली Defence Acquisition Council (DAC) की बैठक में इस प्रस्ताव को प्रारंभिक मंजूरी (Acceptance of Necessity) मिलने की संभावना है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद QR-SAM खरीद की अहमियत बढ़ी
यह फैसला ऐसे समय में हो रहा है जब भारत ने हाल ही में 7 से 10 मई के बीच चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए तुर्की मूल के ड्रोन और चीन निर्मित मिसाइलों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया. इस ऑपरेशन में भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के कई ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया था.
QR-SAMs क्या होता है?
QR-SAM (Quick Reaction Surface to Air Missile) सिस्टम चलते-फिरते दुश्मन के हवाई हमलों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने में सक्षम है. साथ ही यह कम समय के ठहराव (Short Halt) के दौरान भी दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला कर सकता है.
QR-SAM सिस्टम की खासियत
QR-SAM सिस्टम को DRDO ने विकसित किया है और पिछले कुछ सालों में इसका कई बार परीक्षण किया जा चुका है. यह सिस्टम दिन और रात दोनों में काम करने में सक्षम है. इसके उत्पादन में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) मिलकर योगदान देंगे.
इस सिस्टम की खास बात यह है कि यह चलते-फिरते भी दुश्मन के हवाई खतरों जैसे विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को 25-30 किलोमीटर की रेंज में मार गिराने में सक्षम है. QR-SAM पूरी तरह से मोबाइल है और यह टैंकों व इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ battlefield में आगे बढ़ सकता है. यानी कि इसे कहीं भी किसी भी परिस्थिति में तैनात कर सकते हैं.
सेना के लिए कितनी जरूरत?
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान शानदार प्रदर्शन करने वाली आर्मी एयर डिफेंस (AAD) ने इस सिस्टम की जरूरत को और भी सामने लाकर रख दिया है. सेना को कुल 11 रेजीमेंट QR-SAM की आवश्यकता है, जो मौजूदा 'आकाश मिसाइल सिस्टम' (जिसकी रेंज 25 किलोमीटर है) की पूरक होगी.
भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम होगा और मजबूत
QR-SAM की तैनाती से भारतीय सेना और वायुसेना दोनों की मौजूदा मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क को जबरदस्त मजबूती मिलेगी. इस नेटवर्क में पहले से शामिल हैं:
- S-400 'Triumf' मिसाइल सिस्टम (रेंज: 380 किमी, रूस)
- Barak-8 मध्यम दूरी की मिसाइलें (रेंज: 70 किमी, भारत-इज़राइल परियोजना)
- Igla-S कंधे पर दागी जाने वाली मिसाइलें (रेंज: 6 किमी, रूस)
- अपग्रेडेड L-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन (रेंज: 3.5 किमी)
- स्वदेशी ड्रोन डिटेक्शन और इंटरसेप्शन सिस्टम (रेंज: 1–2 किमी)
QR-SAM के जुड़ने से यह नेटवर्क और घातक व प्रभावी हो जाएगा.
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