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ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बढ़ी कर्ज की मांग, मेट्रो शहरों में दिखी गिरावट, देखिए पूरा आंकड़ा

Credit demand India: मार्च 2025 तिमाही में ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में कर्ज मांग मजबूत बनी रही, जबकि मेट्रो शहरों में इसमें गिरावट देखी गई. 26-35 उम्र के युवा वर्ग में कर्ज पूछताछ घटी, लेकिन 36-45 आयु वर्ग में थोड़ी बढ़ोतरी दिखी. व्यक्तिगत लोन, क्रेडिट कार्ड जैसे कर्ज में धीरे-धीरे रिकवरी के संकेत मिले हैं.

Credit demand India: देश में जहां एक ओर मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में कर्ज मांग में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों ने मजबूत कर्ज मांग बरकरार रखी है. ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 को समाप्त तिमाही में ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कर्ज के लिए पूछताछ (Credit Enquiry) में तेजी देखने को मिली है.

ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में मजबूत रही क्रेडिट डिमांड

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों की कुल क्रेडिट पूछताछ में हिस्सेदारी 22% तक पहुंच गई, जो मार्च 2023 और मार्च 2024 में 20% थी। यानी ग्रामीण भारत में कर्ज लेने की इच्छा में इजाफा हुआ है.

इसी तरह, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कुल पूछताछ का हिस्सा 30% तक पहुंच गया, जो एक साल पहले 29% और मार्च 2023 में 28% था. यह दिखाता है कि इन इलाकों में क्रेडिट की मांग लगातार बढ़ रही है.

मेट्रो शहरों में गिरावट, शहरी क्षेत्रों में स्थिरता

मेट्रो शहरों में इस दौरान क्रेडिट पूछताछ में गिरावट देखी गई है. मार्च 2023 में जहां यह 32% थी, वहीं मार्च 2025 तक घटकर 29% रह गई. वहीं शहरी इलाकों में कर्ज पूछताछ का आंकड़ा 19-20% के बीच स्थिर रहा.

इससे साफ है कि अब क्रेडिट की मांग छोटे शहरों, कस्बों और गांवों की तरफ ज्यादा खिसक रही है.

युवा वर्ग में दिखी कर्ज मांग में कमी

26-35 साल की उम्र के उपभोक्ता, जो पारंपरिक रूप से कर्ज लेने वाले सबसे बड़े समूह होते हैं, उनकी कर्ज पूछताछ में भी कमी दर्ज की गई है. 

मार्च 2023 और 2024 में यह हिस्सेदारी 41% थी, जो मार्च 2025 में घटकर 39% रह गई.

25 साल से कम उम्र के उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी 17-18% के बीच स्थिर रही.

36-45 आयु वर्ग में हल्की बढ़त दर्ज की गई है, जहां इनकी हिस्सेदारी 24% से बढ़कर 25% हो गई.

वहीं 45-55 साल और 55 साल से ऊपर के उपभोक्ताओं में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है.

कंजम्पशन लोन में दिखे रिकवरी के संकेत

रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी राशि वाले होम लोन और टू-व्हीलर लोन जैसी कैटेगरी में डिमांड बढ़ी है. हालांकि व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan), कंज़्यूमर ड्यूरेबल लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़े कर्जों में सितंबर 2024 से तिमाही दर तिमाही स्थिरता देखी गई है, जो इस सेगमेंट में धीरे-धीरे सुधार के संकेत दे रही है.

वित्तीय समावेशन को मिलेगा बढ़ावा

इस ट्रेंड से यह संकेत मिलता है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और आर्थिक विकास की संभावनाएं बढ़ी हैं. बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए यह नए ग्राहक वर्गों तक पहुंचने का बड़ा मौका हो सकता है.

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