प्लेटें खिसक रहीं, समुद्र बन रहा! कैसे दो भागो में बंट रहा अफ्रीका? पृथ्वी का बदल जाएगा नक्शा
अफार क्षेत्र के नीचे धरती की सतह पर एक नियमित धड़कननुमा गतिविधि पाई गई है, जिससे अफ्रीका धीरे-धीरे दो भागों में बंट रहा है. यह प्रक्रिया मैंटल में उठते मैग्मा के दबाव से शुरू होती है, जो प्लेटों को अलग कर रहा है.

Africa continental split: अफ्रीका के नीचे धरती की गहराइयों से एक रहस्यमयी हृदयस्पंदन (heartbeat) की खोज हुई है, जो इस विशाल महाद्वीप को धीरे-धीरे दो भागों में बांट रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया एक नए महासागर की उत्पत्ति की ओर इशारा कर रही है. एक ऐसा महासागर जो भविष्य में अफ्रीका को दो हिस्सों में बांट देगा.
अफ्रीका के नीचे धड़कता भूवैज्ञानिक हृदय
ब्रिटेन की University of Southampton के वैज्ञानिकों की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने इथियोपिया के अफार (Afar) क्षेत्र के नीचे एक नब्ज जैसी धड़कन की पहचान की है. यह स्पंदन धरती के अंदर स्थित गर्म मैग्मा द्वारा उत्पन्न होता है, जो सतह की ओर दबाव बनाता है और टेक्टॉनिक प्लेट्स को धीरे-धीरे अलग कर रहा है.
कैसे हुई ये खोज?
शोधकर्ताओं ने अफार और मेन इथियोपियन रिफ्ट से 130 से अधिक ज्वालामुखीय चट्टानों के नमूने लिए. इसके साथ ही उन्होंने पुराने आंकड़ों और एडवांस्ड स्टैटिस्टिकल मॉडल्स का उपयोग कर क्रस्ट और मैंटल की संरचना का गहराई से अध्ययन किया.
इस अध्ययन ने पहली बार यह स्पष्ट किया है कि अफार के नीचे स्थित मैंटल प्लूम (Mantle Plume) न सिर्फ असमान है बल्कि समय-समय पर धड़कता है — बिल्कुल एक हृदय की तरह.
जियोलाॅजिकल बारकोड से हुई बड़ी जानकारी
शोधकर्ताओं ने पाया कि अफार के नीचे मौजूद मैंटल में कुछ रासायनिक बैंड्स (chemical bands) हैं जो एक विशेष तरीके से दोहराए जाते हैं जैसे कोई जियोलॉजिकल बारकोड. ये बैंड्स टेक्टॉनिक प्लेट्स के फैलाव की गति और क्रस्ट की मोटाई के अनुसार आकार और दूरी में बदलते हैं.
इससे यह साबित हुआ कि मैंटल की धड़कन प्लेट्स की गतिविधि पर निर्भर करती है, और यह पूरी प्रक्रिया स्थिर न होकर जीवंत और प्रतिक्रियाशील है.
कौन-कौन थे शामिल?
इस अध्ययन में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन, स्वानसी यूनिवर्सिटी, फ्लोरेंस और पीसा की यूनिवर्सिटीज़, GEOMAR जर्मनी, डबलिन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, अदीस अबाबा यूनिवर्सिटी और जीएफ़ज़ेड रिसर्च सेंटर जैसे 10 से अधिक संस्थानों ने भाग लिया.
क्या बन सकता है नया महासागर?
इस शोध से ये भी स्पष्ट हुआ कि अफार क्षेत्र में प्लेटों के फैलाव से एक नया महासागर बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ मिलियन वर्षों में यह दरार इतनी बड़ी हो जाएगी कि हिंद महासागर का पानी इसमें प्रवेश कर जाएगा, और एक नया महासागर अफ्रीका को दो भागों में बांट देगा.
क्या यह प्रक्रिया तेज हो रही है?
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केन मैकडोनाल्ड ने जनवरी में बताया था कि यह विभाजन अपेक्षा से कहीं तेज़ी से हो रहा है. उनके अनुसार, सोमालिया, इथियोपिया, केन्या और तंज़ानिया के कुछ हिस्से भविष्य में अलग होकर एक नया भूखंड बना सकते हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पूर्ण विभाजन अभी लाखों वर्षों दूर है, लेकिन इसके संकेत अभी से दिखने लगे हैं.
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