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पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट पर महासंग्राम! SIR को लेकर TMC-BJP आमने-सामने, आरोपों की जंग तेज

TMC ने SIR को साइलेंट रिगिंग बताया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में आंदोलन का ऐलान किया, जबकि बीजेपी ने दावा किया कि राज्य में घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेज़ जारी किए गए और SIR से TMC घबराई हुई है. मामले को लेकर दोनों दल चुनाव आयोग से आमने-सामने हैं और सियासी घमासान लगातार बढ़ रहा है.

West Bengal SIR: पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ने सियासी हलचल मचा दी है. वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में जबरदस्त टकराव शुरू हो गया है. दोनों दल एक-दूसरे पर वोटर मैनिपुलेशन और दस्तावेजों के दुरुपयोग के आरोप लगा रहे हैं.

बीजेपी पहुंची EC, लगाया दस्तावेज़ों के दुरुपयोग का आरोप

राज्य में मतदाता सूची संशोधन के बीच विवाद उस समय और गहरा गया जब बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात की और एक विस्तारपूर्वक ज्ञापन सौंपा. इसमें पार्टी ने दावा किया कि बंगाल में दस्तावेज़ों की व्यापक स्तर पर फर्जी तरीके से हेरफेर किया जा रहा है. बीजेपी ने SIR प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका है.

TMC ने इसे बताया 'साइलेंट, इनविज़िबल रिगिंग'

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने SIR प्रक्रिया के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि इसे सड़क से लेकर दिल्ली तक विपक्ष का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने घोषणा की कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को एक ऐतिहासिक रैली निकालेंगी और आम नागरिकों से इसमें शामिल होने की अपील की.

अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि SIR ने राज्य में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. उनके मुताबिक, SIR की घोषणा के बाद से अब तक छह लोगों ने आत्महत्या कर ली, जबकि दिनहाटा के एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने इस प्रक्रिया को बीजेपी की चुनिंदा वोटर चुनने की चाल बताया.

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सोनाली खातून को बांग्लादेश भेज दिया गया, जबकि उनके माता-पिता के नाम 2002 की SIR लिस्ट में मौजूद हैं. इसी तरह, स्वीटी खातून के माता-पिता का नाम ड्राफ्ट रोल में है, लेकिन उन्हें बांग्लादेशी टैग कर दिया गया.

बीजेपी के नागरिकता संबंधी रुख पर सवाल उठाते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'कल अमित शाह ने कहा कि जो भारत में पैदा नहीं हुए, वे वोट नहीं डाल सकते. तो फिर एल.के. आडवाणी ने यहां कैसे वोट डाला?'

TMC ने SIR की निगरानी के लिए बूथ लेवल एजेंट्स की नियुक्ति की है, जो बूथ लेवल ऑफिसर्स की गतिविधियों पर नजर रखेंगे. साथ ही, पार्टी ने वार रूम भी तैयार किए हैं, जहां सांसद और विधायक मिलकर मतदाताओं की मदद करेंगे.

'घुसपैठियों को जारी किए गए फर्जी दस्तावेज़'

TMC के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा कि आरोप बेबुनियाद हैं. पश्चिम बंगाल चुनाव सह-प्रभारी बिप्लब देव ने चुनाव आयोग अधिकारियों से मुलाकात के बाद कहा कि तृणमूल किसी भी अस्पताल में बीमारी से होने वाली मौत को SIR से जोड़ रही है.

बीजेपी के पश्चिम बंगाल सह-प्रभारी अमित मालवीय ने ममता सरकार पर घुसपैठियों को अवैध दस्तावेज़ जारी करने का आरोप लगाया और कहा कि SIR की घोषणा से ही तृणमूल घबराई हुई है.

उन्होंने कहा, 'हमने देखा है कि तृणमूल डरी हुई है क्योंकि उन्होंने अवैध घुसपैठियों को बड़े पैमाने पर फर्जी दस्तावेज़ जारी किए हैं. BLO सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, जो बताता है कि गड़बड़ी कितनी बड़ी है.' मालवीय ने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि हर दस्तावेज़ की गहन जांच की जाएगी.

बीजेपी की EC से मांग: बंगाल को स्पेशल केस माना जाए

दिल्ली पहुंचे बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल में समिक भट्टाचार्य, अमित मालवीय और बिप्लब देव शामिल थे. उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की कि बंगाल को विशेष मामला मानते हुए दस्तावेज़ों की जांच की जाए, क्योंकि राज्य में बैकडेटेड और फर्जी दस्तावेज़ों के बड़े पैमाने पर जारी होने की शिकायतें हैं, जो कथित रूप से दुआरे सरकार जैसी योजनाओं के जरिए किए गए.

बीजेपी ने दस्तावेज़ों की जांच के लिए आयोग को कई सिफारिशें सौंपीं:

जन्म प्रमाणपत्र: 24 जून 2025 के बाद जारी प्रमाणपत्र मान्य न हों, क्योंकि देरी से पंजीकरण में बढ़ोतरी हुई है.

स्थायी निवास प्रमाणपत्र: केवल ग्रुप-ए अधिकारियों द्वारा जारी और सत्यापित प्रमाणपत्र ही स्वीकार हों.

वन अधिकार प्रमाणपत्र: केवल 2 अप्रैल 2025 से पहले जारी प्रमाणपत्र मान्य हों, क्योंकि अधिकारियों की नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप हैं.

OBC-A जाति प्रमाणपत्र: 2011 से 2024 के बीच जारी प्रमाणपत्रों को बाहर रखा जाए, क्योंकि कई अवैध घुसपैठियों को दिए जाने का आरोप है.

फैमिली रजिस्टर: 24 जून 2025 के बाद तैयार किए गए रजिस्टर और मनरेगा के तहत बने रजिस्टर स्वीकार न हों.

बीजेपी ने साथ ही सुझाव दिया कि भूमि खातीान (Records of Rights) जो 2020 में पहले दुआरे सरकार कैंप से पहले दर्ज किए गए हों, और PROFLAL के तहत पिछली SIR से पहले हुए रजिस्ट्रेशन को मान्य माना जाए.

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