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प्रवासी-विरोधी नारों से गूंज रही लंदन की सड़कें, क्या संकेत दे रहे हैं विरोध प्रदर्शन और क्यों हो रहा ये?

लंदन में शनिवार को 'Unite the Kingdo' मार्च ने हिंसा का रूप ले लिया. यह रैली कट्टरपंथी नेता टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में निकाली गई थी, जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए. रैली में प्रवासी विरोधी और मुस्लिम विरोधी नारे लगे. एलन मस्क और फ्रांस के फायराइट लीडर एरिक ज़ेम्मूर ने भी इसका समर्थन किया.

London Unite the Kingdom Protest: ब्रिटेन की राजधानी लंदन शनिवार (13 सितंबर) को बड़े पैमाने पर हिंसा का गवाह बनी. दक्षिणपंथी कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन (Tommy Robinson) के नेतृत्व में निकाले गए 'Unite the Kingdom' मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. इस दौरान 26 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

क्या है मामला?

शनिवार को करीब एक लाख लोग लंदन की सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनकारियों ने सेंट जॉर्ज का लाल-सफेद झंडा और यूनियन जैक (UK का राष्ट्रीय ध्वज) लहराया. यह मार्च दिखावटी तौर पर "फ्री स्पीच" के समर्थन में था, लेकिन इसमें एंटी-इमिग्रेंट और एंटी-मुस्लिम नारों ने माहौल गरमा दिया.

प्रदर्शनकारियों ने 'We want our country back', 'Stop the boats', 'Send them home' जैसे नारे लगाए. कई पोस्टरों पर प्रवासियों के खिलाफ संदेश लिखे थे.

टॉमी रॉबिन्सन का बयान

मार्च के दौरान टॉमी रॉबिन्सन ने कहा, 'आज ब्रिटेन में सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत है. यह हमारा समय है. देशभक्ति ही भविष्य है और हमें अपनी सीमाओं और बोलने की आज़ादी चाहिए.'

उन्होंने आरोप लगाया कि आज प्रवासियों को अदालतों में ब्रिटिश नागरिकों से ज्यादा अधिकार मिल रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय चेहरों की मौजूदगी

इस रैली में कई चर्चित हस्तियां भी शामिल हुईं.

फ्रांसीसी कट्टरपंथी नेता एरिक ज़ेमूर ने कहा, 'हम सब अपने पूर्व उपनिवेशों से आए मुसलमानों द्वारा उपनिवेश बनाए जा रहे हैं.'

एलन मस्क (टेस्ला और X के मालिक) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ते हुए ब्रिटेन की प्रवासी नीति पर हमला बोला. उन्होंने कहा, 'यहां अनियंत्रित प्रवास के कारण ब्रिटेन तेजी से कमजोर हो रहा है. अगर लोग अभी नहीं संभले तो भविष्य अंधकारमय होगा.'

कैसे भड़की हिंसा?

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जब भीड़ बहुत बड़ी हो गई और व्हाइटहॉल इलाके में समा नहीं पाई तो पुलिस ने बैरिकेड लगाए. इसी दौरान टकराव शुरू हो गया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बोतलें, फ्लेयर्स और अन्य सामान फेंके. कई पुलिसकर्मियों को मुक्कों और लातों से भी चोटें आईं.

चार अफसरों को गंभीर चोटें लगीं – जिनमें दांत टूटना, सिर में चोट (कंशन), नाक टूटने की आशंका और रीढ़ की हड्डी में चोट शामिल हैं.

काउंटर-प्रोटेस्ट भी हुए

इसी दौरान हजारों एंटी-रेसिज्म प्रदर्शनकारी भी सड़कों पर उतर आए. उन्होंने 'Refugees Welcome' और 'Smash the far right' जैसे नारे लगाए. लेबर पार्टी की सांसद जारा सुल्ताना और डायने एबॉट भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुईं.

एबॉट ने रॉबिन्सन और उनके समर्थकों पर आरोप लगाया कि वे प्रवासियों के खिलाफ 'झूठ और खतरनाक प्रचार' फैला रहे हैं.

सरकार की प्रतिक्रिया

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा, 'लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन पुलिस पर हमला और प्रवासियों के खिलाफ डर का माहौल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ब्रिटेन विविधता और सहिष्णुता पर गर्व करता है. हमारा झंडा हिंसा और नफरत का प्रतीक नहीं बनने दिया जाएगा.'

गृह मंत्री शबाना महमूद ने चेतावनी दी कि हिंसा में शामिल हर व्यक्ति को कानून के अनुसार कड़ी सजा मिलेगी. वहीं बिजनेस सेक्रेटरी पीटर काइल ने एलन मस्क की टिप्पणी को 'असमझ और अनुचित' बताया.

आखिर गुस्से की वजह क्या?

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस पूरे प्रदर्शन के पीछे दो मुख्य कारण हैं:

1. इमिग्रेशन (प्रवासी मुद्दा): आरोप है कि प्रवासी लोग ब्रिटेन की नौकरियां और संसाधन छीन रहे हैं.

2. फ्री स्पीच (अभिव्यक्ति की आज़ादी): हाल ही में सरकार ने फिलिस्तीन समर्थक संगठन Palestine Action पर प्रतिबंध लगाया था और उससे जुड़े 800 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था. इसे लेकर फ्री स्पीच पर बहस तेज हो गई.

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