रूस, ईरान और पाकिस्तान का यार यूं ही नहीं बन बैठा है चीन! पर्दे के पीछे ड्रैगन की बड़ी चालबाजी, बिलबिला उठा अमेरिका
China Arms Exports: चीन हाल के वर्षों में दुनिया के कई युद्धों और संघर्षों में अपने हथियारों के ज़रिए अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहा है. पाकिस्तान से लेकर रूस और अफ्रीका तक, चीनी ड्रोन, मिसाइल और हथियार कई राज्यों और आतंकी संगठनों के हाथों में पहुंच चुके हैं.

China Arms Exports: जहां दुनिया में एक तरफ संघर्षों और युद्धों की आग फैली हुई है, वहीं दूसरी तरफ चीन इन युद्धों को आग में घी देने का काम कर रहा है और मुनाफा भी कमा रहा है.
अब तक अमेरिका और रूस को हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता माना जाता था, लेकिन हाल के सालों में चीन ने खामोशी से हथियारों के बाजार पर पकड़ मजबूत कर ली है और यह पकड़ अब युद्धग्रस्त क्षेत्रों में साफ दिखाई दे रही है.
44 देशों में भेज चुका है चीन सैन्य हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने हाल के वर्षों में 44 देशों को मिसाइल, ड्रोन, फाइटर जेट और अन्य सैन्य डिवाइस बेचे हैं. इन हथियारों का इस्तेमाल केवल सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि सीधे-सीधे युद्धों और संघर्षों में किया गया है.
चीन-पाकिस्तान गठजोड़
रिपोर्ट के अनुसार, चीन के कुल हथियार निर्यात का 63% हिस्सा पाकिस्तान को जाता है. पाकिस्तान को चीन की ओर से मिलने वाले हथियारों में शामिल हैं:
- जेएफ-17 लड़ाकू विमान
- मिसाइल प्रणाली
- एयर डिफेंस सिस्टम
- और कामिकाज़ी ड्रोन
इन हथियारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ 2020 के बाद एलओसी पर संघर्षों में भी हुआ है. पाकिस्तानी सेना अब चीन के तकनीकी और सैन्य सहयोग पर पहले से कहीं ज्यादा निर्भर हो चुकी है.
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की भागीदारी
हालांकि चीन ने यूक्रेन युद्ध में खुलकर पक्ष नहीं लिया, लेकिन उसकी भूमिका काफी संदिग्ध और अप्रत्यक्ष रूप से रूस समर्थक रही है.
चीन की मदद से रूस ने युद्ध जारी रखा:
- चीन ने ड्यूल-यूज़ टेक्नोलॉजी (जैसे मशीन टूल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स) भेजे
- चीन से ही मिल रहे हैं 90% हाई प्रायोरिटी गुड्स
- सैन्य ड्रोन और अन्य उपकरणों की भी आपूर्ति की गई
तक्षशिला संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के लगभग सभी महत्वपूर्ण मिलिट्री मशीन टूल्स अब चीन से ही आते हैं.
वेस्ट एशिया से लेकर नागोर्नो-काराबाख तक
हूथी विद्रोही और चीन का सौदा
अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हुए हमले में ईरान समर्थित यमन के हूथी विद्रोहियों ने चीन निर्मित हथियारों का इस्तेमाल किया. बदले में चीन को रेड सी में जहाजों की निर्बाध आवाजाही मिली.
अर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध
नागोर्नो-काराबाख संघर्ष में भी चीन के हथियारों का उपयोग किया गया. यहां तक कि दोनों पक्षों के पास चीनी ड्रोन्स और रॉकेट लॉन्चर मौजूद थे.
अफ्रीका के लिए हथियारों का नया मैदान बना चीन
अफ्रीका में गृहयुद्ध और जातीय संघर्षों में चीन की मौजूदगी तेजी से बढ़ी है.
कहां-कहां हुए चीनी हथियार इस्तेमाल:
सूडान और दक्षिण सूडान: सरकार और RSF दोनों पक्षों द्वारा
नाइजीरिया: आतंकवाद विरोधी अभियानों में चीनी गाड़ियां और हथियार
माली, बुर्किना फासो, इथियोपिया और कांगो: गृहयुद्धों में चीनी ड्रोन और राइफल्स
पश्चिमी अफ्रीका: हर चौथा सैन्य सिस्टम चीन निर्मित
चीन का गोला-बारूद फैक्ट्री नाइजीरिया में
चीन की एक प्रमुख डिफेंस कंपनी ने नाइजीरिया में ही अम्युनिशन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खोल दिया है. इससे ये साफ है कि चीन अब केवल एक्सपोर्टर नहीं, स्थानीय हथियार निर्माता भी बन चुका है.
क्या है चीन की मंशा?
चीन अपनी सैन्य आपूर्ति को:
- रणनीतिक दबाव बनाने का जरिया बना रहा है
- कूटनीतिक पहुंच बढ़ाने के लिए हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है
- रूस और ईरान जैसे देशों के लिए बैकडोर सप्लायर की भूमिका निभा रहा है
चीन की नीति साफ है. सीधे युद्ध में शामिल नहीं होना, लेकिन हथियार देकर युद्ध को लंबे समय तक खींचना. इससे उसे मुनाफा भी मिलता है और वैश्विक रणनीतिक बढ़त भी.
चीन धीरे-धीरे दुनिया का हथियार आपूर्तिकर्ता बन रहा है और उसका असर युद्धग्रस्त इलाकों में साफ दिख रहा है. चाहे पाकिस्तान-भारत की सीमा हो, रूस-यूक्रेन का मोर्चा या अफ्रीकी देशों में जारी गृहयुद्ध हर जगह चीन के हथियार जलती आग में घी डाल रहे हैं.
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