'अंत में पाकिस्तान को नहीं होगा कुछ भी हासिल', टेंशन के बीच सीएम उमर अब्दुल्ला ने क्यों किया 1971 का जिक्र?
India-Pakistan Tensions: जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में पाकिस्तान द्वारा ड्रोन और मिसाइल हमलों के एक दिन बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को आगाह किया कि तनाव बढ़ाने से उसे ही नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि भारत ने यह संकट शुरू नहीं किया बल्कि पाहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जवाब देना जरूरी था. जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा कि यह पाकिस्तान के साथ भारत का आखिरी युद्ध होना चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ियां शांति में रह सकें.
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India-Pakistan Tensions: जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों के एक दिन बाद राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को हालात को और बिगाड़ने के बजाय उन्हें शांत करने की दिशा में काम करना चाहिए.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि गुरुवार रात को पाकिस्तान ने पहले रात 9 बजे और फिर तड़के 4:30 बजे दो बार हमला किया. उन्होंने कहा, 'ये पूरी तरह से हालात को और गंभीर बनाने की कोशिश थी, लेकिन सबसे ज़्यादा नुकसान खुद पाकिस्तान को ही होगा.
#WATCH | Samba: On India-Pakistan tensions, J&K CM Omar Abdullah says, " Biggest thing is they have tried to target civilians...they used drones...but the credit goes to our defence forces, they shot down all the drones...in Kashmir's Anantnag ammunition depot was also targeted… pic.twitter.com/uoMrtiNLsp
'पाकिस्तान को इसका फायदा नहीं होगा'
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने नागरिकों को निशाना बनाने की कोशिश की है. उन्होंने ड्रोन का इस्तेमाल किया, लेकिन इसका श्रेय हमारे रक्षा बलों को जाता है, उन्होंने सभी ड्रोन को मार गिराया. कश्मीर के अनंतनाग में गोला-बारूद डिपो को भी निशाना बनाया गया, लेकिन कोशिश नाकाम कर दी गई.
उन्होंने आगे कहा, 'हमने यह स्थिति शुरू नहीं की, पहलगाम में निर्दोष लोग मारे गए और हमें जवाब देना पड़ा...पाकिस्तान स्थिति को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और इससे उन्हें किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा. उन्हें अपने हथियार डाल देने चाहिए...उन्हें तनाव बढ़ाने के बजाय डी-एस्केलेशन के साथ आगे बढ़ना चाहिए.'
जम्मू पर 1971 के बाद सबसे बड़ा हमला
उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार रात को जम्मू पर हुए हमले को 1971 की भारत-पाक जंग के बाद का सबसे बड़ा हमला बताया. उन्होंने आगे कहा, 'जिस तरह आम नागरिकों को निशाना बनाया गया, वैसा पहले कभी नहीं हुआ.'
पूंछ को सबसे बुरी तरह से प्रभावित इलाक़ा बताया गया, जहां सबसे ज़्यादा मौतें हुईं. अब तक 13 नागरिकों की मौत हो चुकी है और 40 से ज़्यादा लोग घायल हैं. पूंछ की 80% आबादी सुरक्षित इलाकों जैसे सुरनकोट, राजौरी और जम्मू शहर में शरण ले चुकी है.
'सेना ने बचाए सैकड़ों जानें'
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारतीय सेना की तत्परता की तारीफ की और बताया कि कैसे ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया गया. जम्मू से लेकर अनंतनाग के एक गोला-बारूद डिपो तक कई जगहें टारगेट थीं, लेकिन सभी हमलों को रोका गया. उन्होंने राहत शिविरों का दौरा किया, अस्पतालों में घायलों से मुलाक़ात की और कहा कि सरकार मेडिकल और सभी सुविधाएं मुहैया करा रही है.
महबूबा मुफ्ती और मीरवाइज ने की शांति की अपील
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और कश्मीर के धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक ने भी दोनों देशों से हालात शांत करने की अपील की है. महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'सेना कार्रवाई सिर्फ लक्षणों का इलाज करती है, बीमारी की जड़ नहीं. इससे शांति नहीं आएगी.'
महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस-यूक्रेन युद्ध पर दिए गए बयान का ज़िक्र किया – 'ये युद्ध का समय नहीं है.' मीरवाइज ने कहा, 'भारत-पाक तनाव का सबसे बड़ा असर जम्मू-कश्मीर के लोगों पर होता है. अब और तबाही नहीं चाहिए.'
'अगर ये जंग है तो आख़िरी होनी चाहिए'
जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने कहा कि अगर जंग हो रही है तो ये पाकिस्तान के साथ हमारी आख़िरी जंग होनी चाहिए. राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती इलाकों का दौरा करते हुए उन्होंने कहा कि पीढ़ियों से यहां के लोग गोलाबारी झेल रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, 'हमारे बुज़ुर्गों ने ये देखा, हम देख रहे हैं और हमारे बच्चे भी देखेंगे? क्या जंग ही हमारी किस्मत है?'