कैसे सुलझेगा मणिपुर हिंसा और तनाव का मामला? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया एक्शन प्लान-बस एक मुश्किल है सामने
Amit Shah On Manipur Violance: अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि मणिपुर के दोनों समुदायों को बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए, अगली बैठक दिल्ली में होगी. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सात साल पहले मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी. साल में 225 दिन कर्फ्यू रहता था... मुठभेड़ों में 1500 लोग मारे गए.

Amit Shah On Manipur Violance: मणिपुर में दो समुदायों के बीच का झगड़ा तनाव और हिंसा का कारण बना हुआ है. फिलहाल यहां राष्ट्रपति शासन लगा है. इससे पहले यहां बीजेपी की सरकार थी. कई दौर में हथियार समर्पण भी कराए गए हैं. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा और तनाव को खत्म करने का केंद्र सरकार का एक्शन प्लान राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए बताया है.
अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के दोनों समुदाय समझेंगे और बातचीत का रास्ता अपनाएंगे. उन्होंने कहा कि मणिपुर के दो युद्धरत समुदायों की अगली बैठक जल्द ही दिल्ली में होने वाली है. राज्यसभा में विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष की राजनीतिक चालें मणिपुर में हिंसा से पीड़ित लोगों के घावों को ठीक नहीं कर सकती हैं.
मणिपुर में क्यों लगाया गया राष्ट्रपति शासन?
अमित शाह ने कहा, 'हमने सरकार गिराने के लिए राष्ट्रपति शासन (मणिपुर) नहीं लगाया, जैसा कि कांग्रेस करती थी... 11 फरवरी को, सीएम ने इस्तीफा दे दिया, और सभी ने दावा किया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही थी. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि उस सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं था क्योंकि कांग्रेस के पास ऐसा प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त सदस्य नहीं थे. इस्तीफे के बाद किसी भी पार्टी ने सरकार का प्रस्ताव नहीं रखा और उस स्थिति में यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा.'
अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना
उन्होंने आगे कहा कि इस्तीफे से पहले और आज तक महीनों तक कोई हिंसा नहीं हुई है. उन्होंने आगे कहा, 'यह मिथक नहीं बनाया जाना चाहिए कि राष्ट्रपति शासन इसलिए लगाया गया क्योंकि हम स्थिति को संभालने में असमर्थ थे... सात साल पहले मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी... साल में 225 दिन कर्फ्यू रहता था... मुठभेड़ों में 1500 लोग मारे गए... नस्लीय हिंसा और नक्सलवाद में अंतर है और दोनों से निपटने के तरीके अलग-अलग हैं... दो समुदायों के बीच हिंसा राज्य के खिलाफ हिंसा से अलग है.'
'तृणमूल कांग्रेस की महिलाओं के खिलाफ दोहरी चल'
अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर 'दोहरे मानदंड' अपनाने का आरोप लगाया उन्होंने कहा, 'मैं इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहता... डेरेक ओ ब्रायन ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया. नस्लीय हिंसा हुई और दोनों समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ थे. कई महिलाओं को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा. पश्चिम बंगाल में कुछ नहीं हुआ और संदेशखली में सैकड़ों महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ. आरजी कर अस्पताल की घटना में कोई कार्रवाई नहीं की गई. आपकी सरकार ने कुछ नहीं किया... और आपकी ही पार्टी का एक व्यक्ति इसके पीछे था जिसे आपको निलंबित करना पड़ा... हम दोनों का समर्थन नहीं करते, लेकिन आपका दोहरा रवैया नहीं हो सकता.'
मणिपुर में क्यों भड़की इतनी बड़ी हिंसा?
अमित शाह ने आगे कहा कि दोनों समुदायों के साथ 13 बैठकें हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, 'यह हाई कोर्ट का आदेश था, जिसने मई 2023 में राज्य में हिंसा को जन्म दिया. आदेश की व्याख्या ने आदिवासी समुदाय में आरक्षण की स्थिति खोने को लेकर असुरक्षा की भावना पैदा की और यह आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी मुद्दा बन गया. दोनों समुदायों के साथ 13 बैठकें हो चुकी हैं. बैठक जारी रहने के कारण प्रस्ताव सदन में देर से लाया गया. जब बजट सत्र चल रहा था, तब भी दो बैठकें हुईं और जल्द ही दिल्ली में दोनों समुदायों के साथ तीसरी और अंतिम बैठक होगी.
बातचीत ने निकलेगा समाधान का रास्ता
अमित शाह ने अंत में कहा, 'मुझे उम्मीद है कि दोनों समुदाय इसे समझेंगे और बातचीत का रास्ता अपनाएंगे.' केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में एक दिन के लिए भी राष्ट्रपति शासन जारी रखने के पक्ष में नहीं है. अमित शाह ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के लिए राष्ट्रपति की घोषणा को मंजूरी देने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया और संसद ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की पुष्टि की.
कांग्रेस चीफ खड़गे ने लगाए सरकार पर ये आरोप
कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर हिंसा की जांच की मांग की और केंद्र सरकार से सदन में श्वेत पत्र पेश करने को कहा. खड़गे ने राज्यसभा में कहा, 'दो साल से मणिपुर जल रहा है और सरकार हिंसा रोकने में विफल रही है. 260 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 60,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. परिवार बिखर गए हैं, फिर भी बीजेपी चुपचाप देखती रही. मणिपुर की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है. जीएसटी संग्रह गिर गया है. राज्य ने भयावह स्थिति देखी है.'
मणिपुर में हिंसा और राष्ट्रपति शासन
बता दें कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के अपने पद से इस्तीफा देने के पांच दिन बाद 13 फरवरी को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच हिंसा 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) की एक रैली के बाद भड़की थी.