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Mpox: क्या है एमपॉक्स? WHO ने घोषित किया वैश्विक महामारी, नाइजीरिया के बाद भारत तक पहुंचा, जानिए उपचार से लेकर बचने के उपाय

Mpox: एमपॉक्स की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. इस साल की शुरुआत से ही अफ्रीका में फैल रहा है. नाइजीरिया से शुरू होकर ये बीमारी अब भारत में भी अपना पांव पसार रहा है. इससे अब तक पूरी दुनिया में 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

Mpox: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अफ्रीका में एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, जिसे पहले मंकीपॉक्स (monkeypox) के नाम से जाना जाता था. यह बीमारी पहली बार 1970 में सामने आई थी और ज़्यादातर इसी महाद्वीप तक सीमित थी. हालांकि, 2022 के अंत में  नाइजीरिया में शुरू हुआ आखिरी प्रकोप पूरी दुनिया में फैल गया था. 

मौजूदा हालात की बात करें तो इस साल की शुरुआत से ही फैल रहा है. यह एक एक क्लेड या वैरिएंट है जो अफ्रीकी महाद्वीप तक सीमित है. कई अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में मामले पाए गए हैं, जिनमें महाद्वीप का मध्य भाग हॉटस्पॉट है. 

अफ्रीका (Africa) में अब तक एमपॉक्स क्लेड 1 के 17,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें 500 से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी है. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में सबसे अधिक मामले देखे गए हैं, जो इस साल 8,000 से अधिक है. इसमें मई में 350 से अधिक मौतें हुई है. 

एमपॉक्स के हैं दो क्लेड

एमपॉक्स के दो क्लेड रिपोर्ट किए गए हैं. क्लेड 2 को आम तौर पर मध्य अफ्रीका में देखा गया है, लेकिन इस बार क्लेड 1 अधिक तेजी से फैल रहा है. DRC के अलावा पूर्वी अफ्रीकी देशों केन्या, युगांडा, रवांडा और बुरुंडी ने पहली बार मामले रिपोर्ट किए हैं. इससे यहां एक मजबूत और अधिक संक्रामक वैरिएंट के उभरने की चिंता पैदा हो गई है. 

एमपॉक्स क्या है? 

मंकीपॉक्स वायरस एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है. यह एक संक्रामक रोग है जो सबसे पहले बंदरों में पाया गया था. इसके कारण इसका पहले नाम मंकीपॉक्स रखा गया था. हालांकि, जब ये पता चला कि ये सिर्फ बंदरों में नहीं होता है, तो इस नाम को गलत माना गया. इसके अलावा इस नाम ने अफ्रीका में इस बीमारी के खिलाफ नस्लवादी अर्थ और कलंक को भी जन्म दिया, जिसके कारण नवंबर 2022 में इसका नाम बदलकर एमपॉक्स कर दिया गया. 

 ऐसे फैलता है एमपॉक्स 

एमपॉक्स मंकीपॉक्स वायरस से फैलता है, जो चेचक से संबंधित है. यह एक जूनोटिक बीमारी है, जो दूसरे जानवरों में फैला और फिर इंसानों में फैल गया. चेचक, काऊपॉक्स, हॉर्सपॉक्स और कैमलपॉक्स ऐसी बिमारियां है जो जूनोटिक बीमारी है या फिर लोगों से एक-दूसरे में फैलती है.

एमपॉक्स क्लेड 1 ज़्यादा गंभीर है, जबकि क्लेड 2 अब दुनिया भर में ज़्यादा फैल रहा है. यह मनुष्यों में संक्रामक है और संक्रमित त्वचा या शारीरिक तरल पदार्थ के सीधे संपर्क से फैल सकता है. यह छूने, यौन संपर्क, संक्रमित मांस को संभालने या संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने से फैल सकता है. यह बीमारी आज लगभग सभी अन्य देशों और अन्य प्रजातियों में पाई गई है , जिसमें कुत्ते भी शामिल हैं. अफ्रीका के बाहर पहला मामला 2003 में संयुक्त राज्य अमेरिका में दर्ज किया गया था. 

क्या हैं इसके लक्षण? 

एमपॉक्स के लक्षण संक्रमण के संक्रमित व्यक्ति में लगभग 4-10 दिन बाद दिखने लगते हैं, हथेलियों और पैरों, चेहरे, मुंह और जननांगों पर दाने या घाव के रूप में। ये तरल पदार्थ और मवाद से भर जाता है और कुछ दिनों के बाद गायब हो जाते हैं. यह चिकनपॉक्स के धब्बों की तरह दिखता है. कई लोगों में यह बिना किसी लक्षण के भी हो सकता है और शरीर के अंदर 21 दिनों तक रह सकता है, जिससे बीमारी और संक्रमण हो सकता है. इसके साथ अक्सर बुखार, शरीर और मांसपेशियों में दर्द और अत्यधिक थकान भी होती है. 

अधिक गंभीर मामलों में, यह एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), निमोनिया (फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाना), सेप्सिस (रक्तप्रवाह में संक्रमण), अंधापन और भविष्य की गर्भावस्था में समस्याओं का कारण बन सकता है. लगभग 1 प्रतिशत मामलों में मृत्यु हो जाती है. अधिकांश संक्रमित लोग 2-4 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. शरीर के अंदर वायरस का काल 1 से 20 दिनों तक हो सकता है, और इसका उपचार टीका लगाकर तुरंत किया जाता है. 

एमपॉक्स की रोकथाम और उपचार के उपाय

एमपॉक्स के खिलाफ़ 3 टीके हैं, हालांकि सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं, जिन्हें कुछ देश जोखिम वाले व्यक्तियों के टीकाकरण के लिए सुझा रहे हैं. एमपॉक्स के रोकथाम और उपचार एमवीए-बीएन टीके से किया जाता है, जिसे मूलतः चेचक के लिए बनाया गया था. इसे संक्रमण से पहले या बाद में लगाया जाता है. एमपॉक्स वाले देशों में रहने वाले लोगों को आवारा और खेत जानवरों, गैर-मानव प्राइमेट्स और जंगली जानवरों, मृत और जीवित दोनों के संपर्क से बचने की सलाह दी जाती है. जोखिम वाले लोगों को मास्क, दस्ताने और चश्मा पहनने की भी सलाह दी जाती है. 

इन देशों में है एमपॉक्स का खतरा

नवंबर 2022 में नाइजीरिया से शुरू हुए प्रकोप के बाद एमपॉक्स अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पूरे यूरोप, एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप सहित अधिकांश देशों में पाया गया है. अमेरिका में कथित तौर पर तीन नए मामलों की पुष्टि हुई है.

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