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एक्टिंग छोड़ कारगिल वार में पाकिस्तान के छुड़ाए छक्के, आज जी रहा साधारण जिंदगी, कौन है बॉलीवुड का वो दमदार एक्टर?

Nana Patekar: 1999 का करगिल युद्ध भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस संघर्ष के दौरान एक बॉलीवुड अभिनेता ने साहसिक फैसला लिया और अपनी चमकती फिल्मी करियर को रोककर सेना में सेवा देने के लिए आगे बढ़े.

Nana Patekar: 1999 का करगिल युद्ध भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस संघर्ष के दौरान एक बॉलीवुड एक्टर ने साहसिक फैसला लिया और अपनी चमकती फिल्मी करियर को रोककर सेना में सेवा देने के लिए आगे बढ़े.  

यह एक्टर ने प्रसिद्धि के बजाय देश सेवा को चुना, जो तीन बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं. उनका यह निर्णय न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में बल्कि युद्ध के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. उनकी इस त्याग और सेवा भावना ने उन्हें सिर्फ एक अभिनेता नहीं बल्कि देशभक्त के रूप में भी अमर कर दिया.

अभिनेता से देशभक्त तक का सफर 

नाना पाटेकर जो अपनी दमदार अभिनय शैली के लिए जाने जाते हैं सिर्फ अपनी फिल्मों की वजह से ही नहीं बल्कि भारतीय सेना के प्रति उनके समर्पण के कारण भी चर्चा में रहे हैं. हाल ही में कौन बनेगा करोड़पति 16 के एक एपिसोड में उन्होंने इस बारे में खुलासा किया कि उन्होंने करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की सेवा क्यों और कैसे की.

 

अपनी फिल्मी करियर की ऊंचाइयों पर होने के बावजूद पाटेकर के दिल में देश के लिए कुछ करने की तीव्र इच्छा थी. हालांकि सेना के साथ उनका जुड़ाव अचानक नहीं हुआ था. 90 के दशक की शुरुआत में जब उन्होंने अपनी फिल्म प्रहार: द फाइनल अटैक (1991) पर काम किया तब उन्होंने मराठा लाइट इन्फैंट्री के साथ तीन साल तक कड़ा सैन्य प्रशिक्षण लिया. इस दौरान उनका सेना के प्रति इतना गहरा लगाव हो गया कि वे इसे सिर्फ एक फिल्मी अनुभव नहीं बल्कि जीवनभर की प्रेरणा मानने लगे.  

करगिल युद्ध के दौरान सेना में जाने की जिद

1999 में जब करगिल युद्ध शुरू हुआ तो नाना पाटेकर ने खुद को रोक नहीं पाया. वे हर हाल में सेना की मदद करना चाहते थे. हालांकि एक अभिनेता होने के कारण उन्हें सेना के साथ सीधे जुड़ने की अनुमति नहीं मिली लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

उन्होंने सीधे उस समय के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से संपर्क किया और अपनी इच्छा व्यक्त की उन्होंने मंत्री से कहा,'मैंने मराठा लाइट इन्फैंट्री के साथ तीन साल तक कठिन प्रशिक्षण लिया है. मैं सेना के साथ रहना चाहता हूं.'

नाना पाटेकर की इस लगन को देखकर जॉर्ज फर्नांडिस भी प्रभावित हुए और उन्हें करगिल में जाने की अनुमति मिल गई.

नाना पाटेकर की देशभक्ति की मिसाल

नाना पाटेकर की यह पहल केवल एक अभिनेता का साहस नहीं थी बल्कि यह एक ऐसे इंसान की कहानी थी जिसने अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य को अपनी पहचान से ऊपर रखा. उनकी यह भावना आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है.

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