BREAKING:
NHAI ने लॉन्च किया FASTag Annual Pass, 1.4 लाख लोगों ने पहले दिन खरीदा, जानिए फायदे       Aaj Ka Rashifal 15 August 2025: मेष से मीन तक सभी राशियों का आज का हाल, जानें शुभ-अशुभ संकेत       कैसे तय हुई भारत-पाकिस्तान की सीमाएं? जानें बंटवारे का जजमेंट और कैसे जजों ने खींची थी लकीर       Aaj Ka Rashifal 14 August 2025: मेष से मीन तक जानें आज किसका कैसा रहेगा दिन       Aaj Ka Rashifal 13 August 2025: मेष से मीन तक सभी राशियों का आज का जानें हाल       दुनिया को जब ज़रूरत होती है, भारत आगे आता... RSS चीफ ने बताया - कैसे बदली दुनिया की सोच?       MSME से लेकर आम टैक्सपेयर तक... नए बिल से टैक्स सिस्टम होगा S.I.M.P.L.E, आसान भाषा में समझें       Aaj Ka Rashifal 25 July 2025: मकर और सिंह सावधान, कर्क और धनु के लिए शुभ दिन, पढ़ें आज का राशिफल       रक्षा बंधन 2025 8 अगस्त को है या 9 अगस्त को? जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल की सही जानकारी       'मैं मरा नहीं हूं… मेरी ज़मीन लौटा दो', DM ऑफिस तक लाठी टेककर पहुंचा जिंदा बुज़ुर्ग, जानिए क्या है पूरा मामला      

क्या है रेपो रेट, जिसमें 50 बेसिस पॉइंट की हुई कटौती? जानिए इसका आम लोगों के जेब पर कैसे पड़ता है असर

RBI Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 7 जून 2025 को लगातार तीसरी बार ब्याज दर में कटौती करते हुए रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.5% कर दिया है. यह कटौती फरवरी और अप्रैल के बाद की गई है, जो अब तक की सबसे तेज गिरावट है जब से कोविड-19 काल में 75 बेसिस प्वाइंट की आपातकालीन कटौती हुई थी.

RBI Repo Rate Cut: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) ने शुक्रवार, 7 जून 2025 को बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की है. अब नई रेपो रेट 5.5% हो गई है. यह इस साल की तीसरी कटौती है और मार्च 2020 की कोविड आपातकालीन कटौती के बाद से अब तक की सबसे बड़ी एकमुश्त कमी है.

इसके साथ ही RBI ने अपनी नीतिगत रुख (Policy Stance) को 'अनुकूल (Accommodative)' से बदलकर 'तटस्थ (Neutral)' कर दिया है. इसका मतलब यह है कि RBI अब आगे ब्याज दरों को घटाने या बढ़ाने में सतर्कता बरतेगा. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने तीन दिन चली बैठक के बाद इस निर्णय की घोषणा की. उन्होंने कहा कि यह फैसला देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति, महंगाई दर और वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

आइए यहां रेपो रेट को यहां समझते हैं...

रेपो रेट एक ऐसा शब्द है जो अक्सर आर्थिक खबरों में सुनने को मिलता है, खासकर तब जब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति (Monetary Policy) की समीक्षा करता है. लेकिन आम लोगों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि यह दर क्या है, और इसका हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी पर क्या असर पड़ता है.

रेपो रेट क्या होता है?

रेपो रेट (Repo Rate) वह ब्याज दर है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक – भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) – वाणिज्यिक बैंकों (Commercial Banks) को अल्पकालिक ऋण (Short-term Loan) देता है. बदले में बैंक अपनी सरकारी प्रतिभूतियं (Government Securities) गिरवी रखते हैं.

यह एक मौद्रिक नीति का उपकरण है जिसका उपयोग करके RBI देश में नकदी प्रवाह (Liquidity), महंगाई (Inflation), और आर्थिक विकास (Economic Growth) को नियंत्रित करता है.

रेपो रेट कैसे काम करता है?

जब कोई वाणिज्यिक बैंक नकदी की कमी से जूझता है, तो वह RBI से पैसे उधार लेता है.

इसके बदले में वह कुछ सरकारी बॉन्ड गिरवी रखता है.

कुछ तय समय में, बैंक को वह बॉन्ड वापस खरीदने होते हैं – इसी लेनदेन पर RBI जो ब्याज लेता है, वही Repo Rate कहलाता है.

रेपो रेट के प्रमुख बिंदु:

  • यह केंद्रीय बैंक के द्वारा बैंकों को दिया गया अल्पकालिक ऋण है.
  • रेपो रेट के ज़रिए RBI बाजार में पैसे की उपलब्धता को नियंत्रित करता है.
  • रेपो रेट बढ़ाने से बैंक से कर्ज लेना महंगा हो जाता है, जिससे बाज़ार में खर्च कम होता है और महंगाई पर नियंत्रण आता है.
  • रेपो रेट घटाने से बैंक सस्ते कर्ज ले सकते हैं, जिससे खपत और निवेश बढ़ता है और आर्थिक विकास को गति मिलती है.

रेपो रेट का आम लोगों पर असर:

रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है:

जब रेपो रेट बढ़ता है:

  • होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन महंगे हो जाते हैं.
  • मासिक EMI बढ़ जाती है.
  • बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) पर ब्याज दर बढ़ा सकते हैं, जिससे बचत को फायदा हो सकता है.

जब रेपो रेट घटता है:

  • लोन लेना सस्ता हो जाता है.
  • EMI कम होती है.
  • FD और सेविंग अकाउंट पर ब्याज दर कम हो सकती है.

रेपो रेट का आर्थिक प्रभाव:

  • रेपो रेट का नियंत्रण देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है.
  • जब महंगाई बढ़ती है तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर बाज़ार में पैसे की आपूर्ति कम करता है.
  • जब अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो रेपो रेट घटाकर विकास को प्रोत्साहित किया जाता है.

रेपो रेट सिर्फ बैंकिंग टर्म नहीं है – यह आपकी EMI, FD रिटर्न और पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. इसलिए जब अगली बार आप समाचारों में RBI की मौद्रिक नीति की बैठक और रेपो रेट में बदलाव की खबर सुनें, तो जान लें कि इसका सीधा असर आपकी वित्तीय योजना पर पड़ सकता है.

ये भी देखिए: भूतों को मिल रही सैलरी! ₹230 करोड़ का घोटाला, फिल्मों की तरह इन 5 सीन में मध्य प्रदेश के 'सैलरी स्कैम' की पूरी कहानी