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सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आम जनजीवन पर कैसे पड़ेगा असर? पाकिस्तान के साथ टेंशन के बीच भारत की युद्ध तैयारी

India-Pakistan War: भारत सरकार ने 7 मई को पूरे देश के 259 सिविल डिफेंस जिलों में एक राष्ट्रीय स्तर की मॉक ड्रिल का आदेश दिया है. इसका मकसद यह देखना है कि अगर भारत पर दुश्मन देश (जैसे पाकिस्तान) से हवाई या जमीनी हमला होता है, तो सुरक्षा तंत्र और आम लोग कैसे प्रतिक्रिया देंगे. इस दौरान सायरन बजाना, लाइट बंद करना (ब्लैकआउट), लोगों को बंकर में भेजना, स्कूल-कॉलेजों में सुरक्षा प्रशिक्षण देना और महत्वपूर्ण सरकारी/सैन्य प्रतिष्ठानों को छिपाने (कैमुफ्लाज) जैसे अभ्यास किए जाएंगे.

India-Pakistan War: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव केंद्र सरकार ने देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल (Civil Defence Mock Drill) आयोजित करने का निर्देश दिया है. वार लेवल पर होने वाले इस प्रैक्टिस का उद्देश्य संभावित शत्रु के हमले की स्थिति में नागरिक सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करना और इसे मजबूत करना है.

मॉक ड्रिल का आम जनजीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है. हालांकि, युद्ध की संभावना में किसी देश के लिए ये सबसे जरूरी भी है. इसका मुख्य कारण नागरिकों को शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार करना है. मॉक ड्रिल के दौरान नागरिक युद्ध के दौरान की तैयारियों से रूबरू हो पाते हैं और युद्ध के दौरान बचने की रणनीति को समझ पाते हैं. 

क्या हैं सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स (Civil Defence Districts)?

सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स वे जिले होते हैं, जिन्हें रक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया जाता है. इन जिलों का चयन सीमा से निकटता, सामरिक महत्व की सुविधाओं (जैसे परमाणु संयंत्र, बिजलीघर, रक्षा प्रतिष्ठान आदि) और बुनियादी ढांचे की संवेदनशीलता के आधार पर किया जाता है.

सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल में क्या-क्या? 

वर्तमान में देशभर में 259 सिविल डिफेंस जिलों की अधिसूचना साल 2010 में की गई थी, जिन्हें तीन कैटिगरी में बांटा गया है:

1. कैटेगरी-I (13 जिले): पूर्ण सिविल डिफेंस प्रोग्राम लागू.

2. कैटेगरी-II (201 जिले): इसमें आंशिक तौर पर नागरिकों को ट्रेनिंग दी जाएगी.

3. कैटेगरी-III (45 जिले): इसमें न्यूनतम आवश्यकता के तौर पर नागरिकों को ट्रेंड किया जाएगा.२

इसमें सबसे अधिक जिले पश्चिम बंगाल (32) में हैं, उसके बाद राजस्थान (28), असम (20), पंजाब (20), और जम्मू-कश्मीर (20) का स्थान है. 

7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल में क्या होगा?

गृह मंत्रालय द्वारा 2 और 5 मई को भेजी गई अधिसूचनाओं के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से निम्नलिखित तैयारी सुनिश्चित करने को कहा गया है:

1. एयर रेड वार्निंग सायरन (Air Raid Sirens) की जांच और संचालन.

2. भारतीय वायुसेना के साथ हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन की व्यवस्था.

3. कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम की सक्रियता.

4. छात्रों और आम नागरिकों को ट्रेनिंग – यदि हवाई या जमीनी हमला हो, तो क्या करें.

5. ब्लैकआउट अभ्यास – किसी संभावित टारगेट की दृश्यता कम करने के लिए अचानक बिजली बंद करना.

6. महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का छुपाव (Camouflaging) जैसे पावर प्लांट्स.

7. बंकरों और खाइयों की सफाई.

8. निकासी योजनाओं (Evacuation Plans) का अभ्यास.

जनता की आम जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

इस ड्रिल के दौरान कुछ सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है, विशेषकर अधिसूचित सिविल डिफेंस जिलों में:

1. अचानक बिजली बंद की जा सकती है.

2. गाड़ियों की आवाजाही रोक दी जाएगी जब सायरन बजेगा.

3. स्कूलों और कॉलेजों में आपात अभ्यास किया जाएगा.

4. कुछ संवेदनशील इलाकों में लोगों को अस्थायी रूप से बंकरों में भेजा जा सकता है.

सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत सरकार को आपात स्थिति में कर्फ्यू, आवागमन पर रोक, संचार माध्यमों पर सेंसरशिप, आवश्यक सेवाओं और वस्तुओं की आपूर्ति नियंत्रित करने तक का अधिकार है.

सरकार ने इस अभ्यास की घोषणा क्यों की है?

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में सीधे किसी खतरे का ज़िक्र नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दुश्मन के हमले की स्थिति में नागरिकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अक्टूबर 2022 में ‘चिंतन शिविर’ के दौरान सिविल डिफेंस प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया था. उसी कड़ी में यह मॉक ड्रिल अब वास्तविक रूप से जमीन पर लागू की जा रही है. 

ड्रिल का समय भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल ही में पाकिस्तान ने दो मिसाइलों का परीक्षण किया है, और देश में हालिया पहलगाम आतंकवादी घटनाएं चिंता बढ़ा रही हैं. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत ने आतंकवाद और उसके आका पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रूख अपनाए हुए है.

भारत में सिविल डिफेंस की शुरुआत और इतिहास:

1. भारत में सिविल डिफेंस की शुरुआत ब्रिटिश राज में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी.

2. स्वतंत्र भारत में 1962 के चीन युद्ध और 1965 के पाक युद्ध के बाद इसकी आवश्यकता महसूस की गई.

3. 1968 में सिविल डिफेंस एक्ट लागू किया गया.

4. 1971 युद्ध के समय यह प्रणाली प्रभावी रही, जिससे नागरिकों की जान बचाने में मदद मिली.

5. बाद में 1985 तक यह केवल पारंपरिक हथियारों के खतरे तक सीमित थी, लेकिन फिर परमाणु और प्राकृतिक आपदाओं को भी इसमें शामिल किया गया.

विश्व में ऐसे अभ्यासों का इतिहास क्या रहा है?

1. द्वितीय विश्व युद्ध के समय से ही सिविल डिफेंस एक संगठित प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है.

2. यूके, अमेरिका, सोवियत संघ और जापान ने नागरिकों को हवाई हमलों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर शेल्टर और ट्रेनिंग की व्यवस्था की थी.

3. कोल्ड वॉर के दौरान परमाणु हमले की आशंका में सिविल डिफेंस योजनाएं और अधिक उभरकर सामने आई. 

4. हाल के सालों में दक्षिण कोरिया (2023) और यूक्रेन (रूस युद्ध से पहले) ने भी ऐसे अभ्यास किए हैं.

7 मई की मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा तंत्र की क्षमता की परीक्षा होगी, बल्कि यह आम नागरिकों को भी एक वास्तविक खतरे की स्थिति में सतर्क रहने का अभ्यास कराएगी. यह अभ्यास वर्तमान भू-राजनीतिक हालात में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब सीमा पार से संभावित खतरों की आशंका बनी हुई है.

ये भी देखिए: युद्ध के दौरान Crash Blackouts क्या है? पाकिस्तान के साथ बढ़ते टेंशन के बीच जानना है जरूरी