AI और सैटेलाइट से लैस 'फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम' कैसे करता है काम, जिससे जंगलों की अवैध कटाई पर लगेगी रोक? खेती के लिए भी कारगार
AI Based Real-Time Forest Alert System: मध्य प्रदेश वन विभाग ने जंगलों की अवैध कटाई और अतिक्रमण रोकने के लिए एक AI आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लॉन्च किया है. इसे IFS अधिकारी और IIT रुड़की के पूर्व छात्र अक्षय राठौर ने खुद विकसित किया है, जिसमें उन्होंने Python कोडिंग और ChatGPT की मदद से सिस्टम तैयार किया। यह सैटेलाइट इमेज, मशीन लर्निंग और फील्ड फीडबैक के जरिए 10x10 मीटर क्षेत्र में भी बदलाव पकड़ सकता है और तुरंत संबंधित अधिकारियों को अलर्ट भेजता है.

AI Based Real-Time Forest Alert System: मध्य प्रदेश वन विभाग अब जंगलों की रक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सैटेलाइट तकनीक की मदद लेने जा रहा है. इस दिशा में सबसे बड़ा कदम है 'रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम', जिसे भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी और IIT रुड़की के पूर्व छात्र अक्षय राठौर ने खुद विकसित किया है. यह अत्याधुनिक प्रणाली चैटGPT की सहायता, सैटेलाइट इमेजरी और मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म के साथ मिलकर काम करती है.
फिलहाल इसे पांच जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है. भविष्य में इसमें ड्रोन, फुल ऑटोमेशन और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स जोड़े जाएंगे. यह मध्य प्रदेश में AI के जरिए जंगलों की निगरानी की पहली पहल है. यह सिस्टम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शिवपुरी, गुना, विदिशा, बुरहानपुर और खंडवा जैसे संवेदनशील जिलों में लागू किया जा रहा है, जहां अवैध कटाई और अतिक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आते हैं.
कैसे काम करता है AI आधारित 'फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम'?
इस क्लाउड-बेस्ड सिस्टम में सैटेलाइट डेटा, मशीन लर्निंग और फील्ड से रियल-टाइम फीडबैक को जोड़ा गया है. यह सिर्फ 10x10 मीटर के क्षेत्र में बदलाव को भी पहचान सकता है, जैसे कि खेती शुरू करना, निर्माण कार्य या भूमि उपयोग में परिवर्तन... जैसे ही सिस्टम को ऐसा कोई बदलाव दिखता है, डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) को तुरंत अलर्ट भेजा जाता है. इसके बाद ग्राउंड स्टाफ को मौके पर जाकर जांच करने का निर्देश मिलता है, जिससे त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित होती है.
पहली बार AI से जंगल की निगरानी
यह पहला मौका है जब मध्य प्रदेश में जंगलों की रक्षा के लिए AI तकनीक को सक्रिय रूप से लागू किया गया है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के पास देश में सबसे अधिक 85,724 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है, लेकिन सबसे ज़्यादा 612.41 वर्ग किलोमीटर जंगलों की क्षति भी यहीं दर्ज हुई है.
एक विवाद से मिली प्रेरणा, रिसर्च से बना समाधान
अक्षय राठौर बताते हैं कि उन्होंने यह सिस्टम तब विकसित करना शुरू किया जब उन्होंने जलवायु परिवर्तन के ज़मीनी प्रभाव को करीब से महसूस किया. खास तौर पर 2024 की दिवाली के आसपास गुना में दो समुदायों के बीच ज़मीन विवाद के कारण हुई हिंसा और एक समुदाय नेता की मौत ने उन्हें झकझोर दिया. उन्होंने कहा कि इस त्रासदी ने यह महसूस कराया कि भूमि प्रबंधन के लिए एक सक्रिय और वैज्ञानिक समाधान की सख्त जरूरत है.
खुद कोड लिखा, ChatGPT से ली मदद
अक्षय ने इस प्रोजेक्ट के लिए खुद Python में कोडिंग की, जिसमें स्क्रिप्टिंग में ChatGPT ने उनकी मदद की, लेकिन कोर आर्किटेक्चर उन्होंने खुद डिजाइन किया. उनका मकसद था टैबलेट आधारित सिस्टम के लिए इसे अनुकूल बनाना. उन्होंने कर्नाटक के एक मौजूदा अलर्ट सिस्टम का अध्ययन किया और पाया कि वहां अलर्ट 21 दिन में एक बार आता है, जबकि उनका सिस्टम हर 2-3 दिन में अलर्ट देगा.
भविष्य में ड्रोन और ऑटोमेशन की योजना
अक्षय का अगला लक्ष्य है सिस्टम को पूरी तरह से ऑटोमेट करना, जिसमें फील्ड स्टाफ की जगह ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए एक मजबूत टाइम-सीरीज़ डेटा बेस तैयार किया जाएगा, जो मौसमी बदलावों के प्रभाव को भी समझ सके. उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि सिस्टम 99% तक सटीकता हासिल कर ले, ताकि यह न सिर्फ रिएक्टिव बल्कि प्रेडिक्टिव टूल के रूप में काम कर सके.
जवाबदेही भी सुनिश्चित
फिलहाल इस सिस्टम के तहत फील्ड स्टाफ को अलर्ट जोन के भीतर से फोटो अपलोड करने होते हैं, जिससे जवाबदेही बनी रहती है. अक्षय का मानना है कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो यह सिस्टम जंगलों की निगरानी, अवैध गतिविधियों की रोकथाम, बजट आवंटन और मानव संसाधनों के प्रभावी उपयोग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.