मुंबई की लोकल ट्रेन या मौत की रेलगाड़ी! हर दिन 7 जानें कुर्बान, जानिए कितना खतरनाक होता जा रहा ये सफर?
Mumbai Local Train Accidents: मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीड़ के कारण एक और बड़ा हादसा हो गया। सीएसटी से ठाणे के कसारा जा रही लोकल ट्रेन से दिवा और कोपर स्टेशनों के बीच 10 से 12 यात्री गिर पड़े. हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई जबकि कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं. रेलवे ने इसे भीड़भाड़ के कारण हुई दुर्घटना बताया है. अब रेलवे बोर्ड ने सभी लोकल रेक्स में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाने का बड़ा फैसला लिया है.

Mumbai Local Train Accidents: मुंबई लोकल यानी कि रोज़ की सफर, मौत का सफर!... सुबह 9:30 बजे की वो चीख... जब जिंदगी और मौत की दूरी सिर्फ 1.5 मीटर रह गई! मुंबई... वो शहर जो कभी नहीं सोता। लेकिन सोमवार की सुबह, इस जागते शहर में एक डरावनी नींद उतर आई.
रोज़ की तरह CST से छूटी लोकल Kasara की ओर जा रही थी. भीड़ से भरी, दरवाज़ों पर लटकते लोग, फुटबोर्ड पर झूलती ज़िंदगियां... अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे शहर को हिला दिया. कोई हैरानी नहीं कि इनमें सफर करना जान जोखिम में डालने जैसा है.
एक पल... और ट्रेन की छतों से लुढ़कती लाशें!
सुबह 9:30 बजे, Central Railway के Diva और Koper स्टेशनों के बीच, जब दो लोकल ट्रेनें आमने-सामने गुज़र रही थीं — तभी भीड़ के बीच से चीखों का तूफ़ान उठा.
10 से 12 लोग अचानक ट्रेन से नीचे गिर पड़े! वो भी तब जब दोनों ट्रेनों के मुसाफिर, दरवाज़ों से लटक रहे थे, बैग टकरा रहे थे और एक झटके में कई ज़िंदगियां रेल की पटरियों पर बिखर गईं. वीडियो भी सामने आए — जिसमें लोग गिरते नज़र आए. हालांकि उनकी सत्यता Khabarpodcast ने स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है.
चार मौतें... और दर्जनों घायल!
जिनकी सांसें हमेशा के लिए थम गईं —
- केतन सरोज
- राहुल गुप्ता
- मयूर शाह
- ठाणे GRP कांस्टेबल विक्की मुख्याड
चार पुरुष और दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल. दो की हालत बेहद नाज़ुक है, जिन्हें Jupiter Hospital भेजा गया। बाक़ी Kalwa Hospital में भर्ती हैं.
रेलवे ने हाथ खड़े कर दिए
Central Railway के CPRO स्वप्निल धनराज निला ने हादसे का कारण बताया — 'ये कोई टक्कर नहीं थी. भीड़ के कारण यात्रियों के बैग दूसरी ट्रेन से टकराए. ट्रेनों के बीच 1.5-2 मीटर दूरी होती है, लेकिन घुमाव पर झुकाव भी बढ़ जाता है. शायद इसी वजह से हादसा हुआ.' रेलवे के बड़े अफसर घटनास्थल पर पहुंच गए. जांच शुरू हो गई है.
अब लोकल ट्रेन में लगेगा 'आटोमैटिक दरवाज़ा'
रेलवे बोर्ड ने तुंरत दो बड़े फैसले लिए —
- मुंबई की सभी नई लोकल में ऑटोमैटिक दरवाज़े लगेंगे.
- पुरानी सभी लोकल रेक्स को री-डिज़ाइन कर ऑटोमैटिक दरवाज़ों से लैस किया जाएगा.
लेकिन असली सवाल — मुंबई लोकल इतनी खचाखच क्यों है?
Western Railway रोज़ 1,394 लोकल चलाती है — 35 लाख मुसाफिर.
Central Railway रोज़ 1,810 लोकल — 40 लाख यात्री!
पिछले 20 साल में 51,802 मौतें!
सिर्फ 2024 में 2,468 लोग मरे। 2023 में 2,590 मौतें.
मतलब हर दिन 7 मौतें — सिर्फ लोकल ट्रेन में.
एक डब्बा जिसकी क्षमता 200 है — उसमें 600 लोग ठूंसे जाते हैं!
यहां लोग टिकट नहीं... किस्मत लेकर चढ़ते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये ट्रेनें आमतौर पर अपनी निर्धारित क्षमता से तीन गुना ज्यादा भीड़ के साथ चलती हैं. ThePhilox.org के अनुसार, एक ट्रेन कोच जो 200 लोगों के लिए बना होता है, उसमें 600 लोग यात्रा करते हैं.
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स से नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'हमें संदेह है कि बिना टिकट यात्रा करने वालों की संख्या 30 प्रतिशत से ऊपर हो गई है, जबकि यह सामान्यत: 15-20 प्रतिशत होती है. यह लोकल ट्रेनों में भारी भीड़ का एक कारण हो सकता है, हालांकि दैनिक सवारियों की संख्या अभी भी कोविड से पहले के स्तर से कम है.'
सियासी बवाल भी शुरू
CM एकनाथ शिंदे, डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार सबने घटना को लेकर शोक जाहिर की है. उन्होंने आधिकारिक तौर पर कहा है कि जांच होगी, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने X (ट्विटर) पर लिखा, 'दिवा-मुंब्रा स्टेशन के बीच लोकल ट्रेन से कुल आठ यात्रियों के गिरने और कुछ लोगों की मृत्यु की घटना अत्यंत दुखद है. मैं उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हम उनके परिवारों के दुख में सहभागी हैं. घायलों को तुरंत शिवाजी अस्पताल और ठाणे जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनका इलाज चल रहा है. रेलवे विभाग ने इस घटना के वास्तविक कारणों की जांच शुरू कर दी है.'
लेकिन विपक्ष भी पीछे नहीं —
आदित्य ठाकरे का तंज — ये रेल मंत्री हैं या Reel Minister? काम नहीं... बस इंस्टा रील बनाते हैं.
राहुल गांधी बोले — मोदी सरकार 11 साल सेलिब्रेट कर रही है, लेकिन असली भारत की सच्चाई मुंबई की पटरी पर बिखरी पड़ी है.
अब क्या?
- रेलवे ने जांच शुरू की.
- ऑटोमैटिक डोर का वादा.
- आरोप-प्रत्यारोप तेज़.
- मुसाफिरों का भरोसा कमज़ोर.
पर असली सवाल वहीं —
'क्या अगली लोकल में चढ़ना भी मौत का टिकट होगा?'
मुंबई लोकल: जहां घर पहुंचना भी किस्मत की बात है!
हर दिन लाखों लोग, हर दिन लाखों सपने... और हर दिन ज़िंदगी दांव पर. मुंबई की ट्रेन... जो हर सुबह उम्मीद देती है, हर शाम खौफ भी.
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