Bihar Land Survey: पुश्तैनी संपत्ति में बहन-बेटियों का भी नाम कराना होगा दर्ज, जानिए क्या कहता है हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम?
Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे की प्रक्रिया 1954 के बाद शुरू हो गई है. इतने सालों बाद जमीन के सर्वेक्षण से बिहार में पल रहे लाखों विवाद को समाप्त करने में सफलता हासिल होने की उम्मीद भी की जा रही है. इस सर्वे में बेटों के साथ बेटियों को भी बराबर का हिस्सेदार माना जाएगा.
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Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही लोगों के मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे हैं. हालांकि जमीन सर्वे में बेटियों के लिए खुशखबरी ये है कि खातियान में उनका नाम होगा भी कानूनी रूप से अनिवार्य होगा. दरअसल, बेटियों को ये अधिकार साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसला से ही मिल चुका था. जिसके के तहत हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 में संशोधन कर पुश्तैनी संपत्ति में बेटे के साथ बेटियों को भी समान अधिकार दे दिया गया था.
बिहार के सभी जिलों के गांव में जमीन सर्वे को लेकर जमीन मालिकों को जागरूक करने का काम सरकार की ओर से किया जा रहा है. इसके लिए ग्राम सभा एवं शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. इसी दौरान अधिकारियों ने बताया कि बिहार सरकार ने विशेष सर्वेक्षण में बेटियों को बराबर का हिस्सेदार माना है और खतियान में नाम दर्ज करने का आदेश जारी किया है.
क्या कहता है हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम?
हिन्दू उत्तराधिकार अक्या कहता है हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम?धिनियम (Hindu Succession Act), 1956 के तहत हिन्दू परिवारों के उत्तराधिकार और सम्पत्ति के वितरण से संबंधित मुद्दों को नियंत्रित करता है. यह अधिनियम हिन्दू धर्म के लोगों के लिए लागू होता है और इसके तहत संपत्ति का अधिकार, उत्तराधिकार और विरासत के नियम निर्धारित किए जाते हैं.
इस अधिनियम को तहत उत्तराधिकारियों को दो श्रेणियों में बांटा गया है
Class I Heirs: इसमें पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, मां, और कुछ अन्य संबंधी शामिल हैं.
Class II Heirs: इसमें अन्य रिश्तेदार जैसे भाई, बहन, दादा, दादी आदि शामिल होते हैं.
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 ने महिला उत्तराधिकारियों को संपत्ति पर समान अधिकार दिए हैं. इससे पहले महिलाओं को संपत्ति पर सीमित अधिकार थे लेकिन इस अधिनियम ने उन्हें भी बराबरी का अधिकार प्रदान किया है।
कृषि भूमि का अधिकार
यह अधिनियम कृषि भूमि के उत्तराधिकार को भी नियंत्रित करता है, हालांकि कुछ विशेष प्रावधान राज्य सरकारें लागू कर सकती है.
अधिनियम में 2005 किया गया संशोधन
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में साल 2005 में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया गया. जिसे हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 कहा जाता है. इस संशोधन ने महिलाओं को पुश्तैनी संपत्ति अधिकार प्रदान किए और उन्हें भी पिता की संपत्ति पर समान अधिकार दिया. यह कानून 20 दिसंबर 2004 से पहले के बंटवारे पर प्रभावी नहीं होगा. इसके बाद से इस नियम के तहत ही बंटवारा होगा.
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