Delhi Liquor Case: सुप्रीम कोर्ट ने ED को अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर लगाई लताड़, पुछा- चुनाव से ठीक पहले गिरफ्तारी क्यों?
दिल्ली के शराब घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल पुछे हैं. दरअसल, आज अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

दिल्ली के शराब घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल पुछे हैं. दरअसल, आज अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस संजीव खन्ना ने आम चुनावों से पहले गिरफ्तारी के वक्त पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि आम चुनाव से पहले गिरफ्तारी क्यों ? अब इस मामले को लेकर ED शुक्रवार को सवालों का जवाब देगी. कोर्ट ने कहा, 'क्या न्यायिक कार्यवाही के बिना आप यहां जो कुछ हुआ है उसके संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं. इस मामले में अब तक कुर्की की कोई कार्यवाही नहीं हुई है और यदि हुई है तो दिखाएं कि मामले में केजरीवाल कैसे शामिल है?
गिरफ्तारी के समय पर कोर्ट का सवाल
कोर्ट ने कहा, 'जहां तक मनीष सिसौदिया मामले की बात है. पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं. तो हमें बताएं कि केजरीवाल मामला कहां है? उनका मानना है कि धारा 19 की सीमा, जो अभियोजन पर जिम्मेदारी डालती है, न कि आरोपी पर, काफी ऊंची है और इस प्रकार नियमित जमानत की मांग नहीं होती. क्योंकि वे धारा 45 का सामना कर रहे हैं और जिम्मेदारी उन पर आ गई है. तो हम इसकी व्याख्या कैसे करें. क्या हम सीमा को बहुत ऊंचा बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि जो व्यक्ति दोषी है उसका पता लगाने के लिए मानक समान हो. कार्यवाही शुरू होने और फिर गिरफ्तारी आदि की कार्रवाई के बीच का इतने समय का अंतराल क्यों ?
करोड़ो के घोटाले का है खेल
बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी. इस नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बांटा गया और हर जोन में 27 दुकानें खोलने की बात कही गई. इस तरह से पूरी दिल्ली में 849 शराब की दुकानें खोली जानी थीं. इस नीति के तरह सभी सरकारी ठेकों को बंद कर सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. जबकि इससे पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं. नई नीति लागू होने के बाद सभी 100 प्रतिशत शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. दिल्ली सरकार ने इससे पीछे तर्क दिया कि इससे 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा.