BREAKING:
NHAI ने लॉन्च किया FASTag Annual Pass, 1.4 लाख लोगों ने पहले दिन खरीदा, जानिए फायदे       Aaj Ka Rashifal 15 August 2025: मेष से मीन तक सभी राशियों का आज का हाल, जानें शुभ-अशुभ संकेत       कैसे तय हुई भारत-पाकिस्तान की सीमाएं? जानें बंटवारे का जजमेंट और कैसे जजों ने खींची थी लकीर       Aaj Ka Rashifal 14 August 2025: मेष से मीन तक जानें आज किसका कैसा रहेगा दिन       Aaj Ka Rashifal 13 August 2025: मेष से मीन तक सभी राशियों का आज का जानें हाल       दुनिया को जब ज़रूरत होती है, भारत आगे आता... RSS चीफ ने बताया - कैसे बदली दुनिया की सोच?       MSME से लेकर आम टैक्सपेयर तक... नए बिल से टैक्स सिस्टम होगा S.I.M.P.L.E, आसान भाषा में समझें       Aaj Ka Rashifal 25 July 2025: मकर और सिंह सावधान, कर्क और धनु के लिए शुभ दिन, पढ़ें आज का राशिफल       रक्षा बंधन 2025 8 अगस्त को है या 9 अगस्त को? जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल की सही जानकारी       'मैं मरा नहीं हूं… मेरी ज़मीन लौटा दो', DM ऑफिस तक लाठी टेककर पहुंचा जिंदा बुज़ुर्ग, जानिए क्या है पूरा मामला      

'अब पासपोर्ट के लिए पति की इजाजत और सिग्नेचर नहीं चाहिए', महिलाओं के हक में मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि पासपोर्ट बनवाने के लिए किसी भी विवाहित महिला को अपने पति की अनुमति या सिग्नेचर लेने की ज़रूरत नहीं है. मामला उस महिला से जुड़ा था जिसका तलाक का केस कोर्ट में लंबित है और पासपोर्ट ऑफिस उसके पति के सिग्नेचर की शर्त लगा रहा था.

Madras High Court: महिलाओं की आज़ादी को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी भी महिला को पासपोर्ट बनवाने के लिए अपने पति की अनुमति या उसके हस्ताक्षर की ज़रूरत नहीं है. कोर्ट ने इसे पुरुष वर्चस्व की सोच करार दिया है और साफ कहा कि इस तरह की शर्तें समाज में महिला सशक्तिकरण के खिलाफ हैं.

जस्टिस आनंद वेंकटेश ने हैरानी जताते हुए कहा कि पासपोर्ट अथॉरिटी का यह रवैया चौंकाने वाला है क्योंकि वे महिलाओं को शादी के बाद पति की 'जायदाद' की तरह मान रहे हैं. उन्होंने कहा कि शादी के बाद भी महिला अपनी स्वतंत्र पहचान रखती है और उसे पासपोर्ट के लिए किसी पुरुष की अनुमति की आवश्यकता नहीं है.

याचिका दायर करने वाली महिला ने बताई अपनी परेशानी

इस मामले में एक महिला ने याचिका दाखिल की थी. उसने बताया कि उसकी शादी 2023 में हुई थी और 2024 में एक बच्ची भी हुई. लेकिन पति-पत्नी के बीच मतभेद बढ़ गए और पति ने तलाक की अर्जी डाल दी, जो कोर्ट में लंबित है. इस बीच महिला ने अप्रैल 2025 में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया लेकिन पासपोर्ट ऑफिस ने उसके पति के हस्ताक्षर मांगे.

'असंभव शर्तें क्यों थोप रहे हैं?'

कोर्ट ने कहा कि जब पति-पत्नी के बीच रिश्ते पहले ही खराब हो चुके हैं और मामला कोर्ट में है तो महिला से यह उम्मीद करना कि वह पति से साइन करवाए, यह पूरी तरह से असंभव शर्त है. कोर्ट ने इसे गैरकानूनी और महिला अधिकारों का हनन बताया.

पासपोर्ट ऑफिस को दिया सख्त निर्देश

कोर्ट ने पासपोर्ट ऑफिस को आदेश दिया कि महिला का आवेदन बिना पति के सिग्नेचर के प्रोसेस किया जाए. बाकी जरूरी शर्तें पूरी होने पर चार हफ्ते के भीतर पासपोर्ट जारी करने का निर्देश भी दिया गया.

मद्रास हाईकोर्ट का यह आदेश महिलाओं के आत्मसम्मान और उनकी स्वतंत्र पहचान को मजबूती देने वाला है. इससे साफ हो गया कि शादी के बाद भी महिलाएं किसी की 'मालिकियत' नहीं होतीं और उन्हें हर कानूनी अधिकार अकेले इस्तेमाल करने का हक है.

ये भी देखिए: लालटेन वालों ने इतना लूटा कि गरीबी बिहार का दुर्भाग्य बन गई... सीवान में गरजें PM Modi | VIDEO