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कितना खतरनाक है INS Aridhaman, जिसे नौसेना में किया जाएगा शामिल? दुश्मनों की उड़ जाएगी नींद

INS Aridhaman, भारत की तीसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली है. यह अपग्रेडेड Arihant-क्लास सबमरीन 8 लॉन्च ट्यूब और K-4 मिसाइल क्षमता के साथ भारत की समुद्री परमाणु ताकत को और मजबूत बनाएगी. 70% स्वदेशी तकनीक और उन्नत रिएक्टर के साथ यह भारत की Nuclear Triad को और भी अटूट बना देगी.

INS Aridhaman: भारतीय नौसेना अपनी समुद्री परमाणु क्षमता को एक नए मुकाम पर ले जाने वाली है. नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने पुष्टि की है कि देश जल्द ही अपनी तीसरी न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (SSBN) INS Aridhaman को इंडक्ट करने जा रहा है. यह भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है, जो अब अपने अंतिम ट्रायल फेज में पहुंच चुकी है और जल्द ही नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है.

INS Aridhaman का शामिल होना भारत की न्यूक्लियर ट्रायड को और मजबूत करेगा, जो जमीन, हवा और समुद्र तीनों माध्यमों से परमाणु प्रतिकार की क्षमता सुनिश्चित करता है. बढ़ते इंडो-पैसिफिक तनावों के बीच यह पनडुब्बी भारत की रणनीतिक सुरक्षा का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रही है.

Arihant-Class का तीसरा और सबसे एडवांस्ड वेरिएंट

INS Aridhaman, Arihant क्लास की पनडुब्बियों का तीसरा मॉडल है. इससे पहले INS Arihant को 2016 में और INS Arighaat को अगस्त 2024 में नौसेना में शामिल किया गया था. Arihant-Class पनडुब्बियां भारत के बेहद गोपनीय Advanced Technology Vessel (ATV) प्रोजेक्ट के तहत विकसित की गई हैं, यह वही प्रोजेक्ट है जिसने भारत को UNSC के P5 देशों के अलावा दुनिया का पहला ऐसा राष्ट्र बनाया जिसने खुद अपनी SSBN बनाई.

INS Aridhaman (कोडनेम S4) को नवंबर 2021 में लॉन्च किया गया था. तब से पनडुब्बी लगातार कठोर समुद्री ट्रायल्स से गुजर रही है, जिनमें इसकी प्रोपल्शन सिस्टम, हथियार क्षमता और स्टेल्थ तकनीक शामिल हैं. उम्मीद है कि इसे 2025 के अंत तक आधिकारिक रूप से Indian Navy में शामिल कर लिया जाएगा.

पूरी तरह अपग्रेडेड और ज्यादा खतरनाक

INS Aridhaman अपने पहले के दोनों मॉडल्स से काफी बड़ा और ज्यादा शक्तिशाली है.

बड़ा आकार और ज्यादा मिसाइल कैपेसिटी

पनडुब्बी की डिस्प्लेसमेंट क्षमता 7000 टन से अधिक है, यानी Arihant और Arighaat से करीब 1000 टन ज्यादा. इसका कारण है:

  • 10 मीटर लंबा हुल
  • बड़ा मिसाइल बे
  • ज्यादा ऑपरेशनल एंड्योरेंस

सबसे बड़ा अपग्रेड इसकी मिसाइल क्षमता है:

  1. INS Arihant / Arighaat: (लॉन्च ट्यूब)4 - (K-15 मिसाइल)12 - (K-4 मिसाइल)4
  2. INS Aridhaman: (लॉन्च ट्यूब)8 - (K-15 मिसाइल)24 - (K-4 मिसाइल)8

यानी INS Aridhaman दुश्मन पर दुगनी मारक क्षमता के साथ हमला करने में सक्षम होगी.

K-4 मिसाइल क्यों बेहद खास है?

  • रेंज: 3500 किमी
  • सबमर्ज्ड रहते हुए लॉन्च क्षमता
  • भारत से बाहर बैठे दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों को भेदने की क्षमता

यह क्षमता भारत को अपनी नो-फर्स्ट-यूज़ नीति के अनुरूप एक मजबूत सेकंड स्ट्राइक क्षमता प्रदान करती है.

नया 83 MW रिएक्टर: ज्यादा पावर, कम आवाज

पनडुब्बी को शक्ति देती है नया और अपग्रेडेड 83 MW Pressurized Water Reactor (PWR), जिसे BARC ने विकसित किया है.

इसके फायदे:

  • पहले से ज्यादा एफिशिएंसी
  • बेहद कम ध्वनि (कम acoustic signature)
  • दुश्मन की एंटी-सबमरीन तकनीकें इसे पकड़ नहीं पाएंगी
  • लगभग अनलिमिटेड रेंज, सीमित केवल भोजन और क्रू की जरूरतों से

पनडुब्बी की स्पीड:

  • सतह पर: 12–15 नॉट्स
  • पानी के अंदर: 24 नॉट्स तक

70% स्वदेशी तकनीक

INS Aridhaman की खास बात यह है कि इसमें तकरीबन 70% तकनीक स्वदेशी है.

इन भारतीय कंपनियों ने बड़ी भूमिका निभाई:

  • Larsen & Toubro (L&T)
  • Tata Power
  • Walchandnagar Industries

इससे न सिर्फ भारत की रक्षा इंडस्ट्री मजबूत हुई है, बल्कि विदेशी तकनीक पर निर्भरता भी कम हुई है, जो भारत की सुरक्षा रणनीति के लिए बेहद जरूरी है.

INS Aridhaman का इंडक्शन भारत के लिए सिर्फ एक सैन्य अपग्रेड नहीं, बल्कि एक रणनीतिक छलांग है. यह पनडुब्बी भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अधिक सुरक्षित, सक्षम और स्ट्रैटेजिकली मजबूत बनाएगी. आने वाले समय में यह भारतीय नौसेना की न्यूक्लियर डिटरेंस कैपेबिलिटी की रीढ़ बनने जा रही है.

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