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'मैं मरा नहीं हूं… मेरी ज़मीन लौटा दो', DM ऑफिस तक लाठी टेककर पहुंचा जिंदा बुज़ुर्ग, जानिए क्या है पूरा मामला

मुजफ्फरपुर (बिहार) के 90 वर्षीय राज नारायण ठाकुर को उनके ही बेटे ने कागजों में मृत घोषित कर पुश्तैनी जमीन ₹2 लाख में बेच दी. पीड़ित पिता ने DM ऑफिस पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई. फर्जी रजिस्ट्री, जमीन की बिना जांच बिक्री और पारिवारिक धोखाधड़ी के इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

Bihar: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से इंसानियत को झकझोर देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां एक 90 वर्षीय बुज़ुर्ग अपने ही बेटे की धोखाधड़ी का शिकार हो गया. राज नारायण ठाकुर नाम के इस बुज़ुर्ग को उसके बेटे ने कागज़ों में मृत घोषित कर दिया और पारिवारिक जमीन को महज ₹2 लाख में बेच डाला.

शनिवार को चलने के लिए लाठी का सहारा लेने वाले इस बुज़ुर्ग ने अपनी पूरी हिम्मत जुटाकर जिला अधिकारी (DM) सुब्रत कुमार सेन के कार्यालय का दरवाजा खटखटाया और फूट-फूट कर अपनी व्यथा सुनाई.

क्या है पूरा मामला?

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, राज नारायण ठाकुर मुजफ्फरपुर जिले के महमदपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता मेथुरा ठाकुर के नाम पर पुश्तैनी जमीन दर्ज है, जो अभी तक कानूनी रूप से तीन भाइयों रामजिनिश, रामपुकार और खुद राज नारायण ठाकुर के बीच बंटी नहीं है। सिर्फ मौखिक रूप से जमीन का बंटवारा हुआ था.

लेकिन इसी बीच पांचवें बेटे दिलीप ठाकुर ने चालाकी से उन्हें दस्तावेजों में मृत घोषित कर, बिना किसी जानकारी और सहमति के जमीन को बेच डाला. मोतीपुर रजिस्ट्री ऑफिस में ₹2 लाख में यह जमीन सुमन सौरभ नामक व्यक्ति को बेची गई.

जाली रजिस्ट्री और धोखाधड़ी का आरोप

राज नारायण ठाकुर ने जो दस्तावेज़ प्रस्तुत किए, उसमें साफ देखा जा सकता है कि उनका नाम मृत घोषित किया गया है. उन्होंने कहा, 'मैं अभी जिंदा हूं, लेकिन बेटे ने मुझे कागज़ों में मार दिया. न मेरी सहमति ली, न कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई. यहां तक कि जमीन की कोई फिजिकल वेरिफिकेशन भी नहीं हुं.'

मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेल रहे बुज़ुर्ग की गुहार

राज नारायण ठाकुर ने कहा कि उन्हें इस धोखाधड़ी से भारी मानसिक तनाव और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने DM से दो प्रमुख मांगें की हैं:

  1. इस फर्जी रजिस्ट्री की गहन जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
  2. फर्जी तरीके से किए गए रजिस्ट्री को रद्द किया जाए और जमीन के हस्तांतरण को रोका जाए.

बेटे पर पुराने आरोप भी लगाए

राज नारायण ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि उनका बेटा दिलीप शराब और बुरी आदतों का शिकार है और पहले भी कई संपत्तियां बेच चुका है.

उन्होंने कहा कि अब तो कोई पूछता भी नहीं है कि मैंने खाना खाया या नहीं. कपड़े हैं या नहीं. बस मेरी जमीन हड़प ली गई.

प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सर्किल अधिकारी (CO) और थाना प्रभारी को जांच के आदेश दे दिए हैं. आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है.

न्याय की उम्मीद लिए DM दफ्तर पहुंचे बाबा

बुज़ुर्ग राज नारायण ठाकुर का चेहरा झुका हुआ था, लेकिन उम्मीद अब भी ज़िंदा है. उनका कहना है, 'अब यही प्रशासन ही मेरी आखिरी उम्मीद है. मैं चाहता हूं कि मेरी जमीन मुझे वापस मिले और जिसने मेरे साथ यह धोखा किया, उसे सजा मिले.'

ये मामला क्यों है अहम?

यह केस सिर्फ एक बुज़ुर्ग की निजी त्रासदी नहीं है, बल्कि यह बुज़ुर्गों के अधिकार, पारिवारिक धोखाधड़ी और प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण भी है. साथ ही यह सवाल भी उठाता है कि क्या भारत में बुज़ुर्गों की संपत्ति पर उनकी अंतिम सांस तक उनका हक सुरक्षित है?

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