भारत और रूस में डील हुई पूरी, सैन्य अभ्यास के लिए सैनिकों और युद्धपोतों के एक्सचेंज पर सहमती, पढ़ें 10 POINTS
रूस ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की आगामी बैठक से पहले भारत के साथ reLOS रक्षा समझौते को औपचारिक मंजूरी दे दी है, जिससे दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे की लॉजिस्टिक सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति मिलेगी. इस मीटिंग में Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट्स और अतिरिक्त S-400 सिस्टम पर भी बड़े फैसले हो सकते हैं. पुतिन के भारत दौरे से पहले यह कदम भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई मजबूती देता है.
India-Russia Defence Deal: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को नई रफ्तार मिलने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4–5 दिसंबर को होने वाली बैठक से ठीक पहले रूस ने एक अहम सैन्य समझौते को औपचारिक मंजूरी दे दी है. रूस की संसद (State Duma) ने Reciprocal Exchange of Logistic Support (reLOS) समझौते को पास कर दिया है, जिससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच लॉजिस्टिक सपोर्ट और इंटरऑपरेबिलिटी मजबूत होगी. यह कदम बताता है कि मॉस्को भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्ते को और गहरा करना चाहता है.
नीचे पूरी खबर 10 पॉइंट्स में आसान भाषा में एक न्यूज आर्टिकल की तरह पढ़िए:
1. मोदी–पुतिन बैठक से पहले रूस का बड़ा रक्षा कदम
4–5 दिसंबर को होने वाली मोदी–पुतिन समिट से ठीक पहले रूस ने भारत के साथ reLOS रक्षा समझौते को मंजूरी देकर बड़ा संकेत दिया है कि दोनों देशों की रक्षा साझेदारी एक नए स्तर पर पहुंचने वाली है.
2. State Duma ने दी औपचारिक मंजूरी
रूस की निचली संसद State Duma ने रविवार को Reciprocal Exchange of Logistic Support (reLOS) समझौते को पास कर दिया. यह समझौता इस साल 18 फरवरी को साइन हुआ था.
3. समझौता क्यों अहम है?
reLOS के तहत दोनों देशों की सेनाएं सेना, नौसेना और वायुसेना एक-दूसरे की बेस सुविधाओं और लॉजिस्टिक संसाधनों का इस्तेमाल कर सकेंगी. इसमें फ्यूल, मेंटेनेंस, सप्लाई, बर्थिंग, ऑपरेशनल सपोर्ट शामिल है.
4. किसी भी मिशन में मिलेगी सुविधा
यह समझौता जॉइंट एक्सरसाइज, ट्रेनिंग मिशन, ह्यूमेनिटेरियन ऑपरेशन, डिजास्टर रिलीफ और उन सभी परिस्थितियों में लागू होगा जिन्हें दोनों देश मिलकर तय करेंगे.
5. एयरस्पेस और पोर्ट का इस्तेमाल अब होगा आसान
Duma की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी नोट के मुताबिक, ratification के बाद दोनों देशों के वॉरशिप और एयरक्राफ्ट आसानी से एक-दूसरे के एयरस्पेस और पोर्ट का उपयोग कर सकेंगे.
6. रूस ने बताया - क्यों इतना स्ट्रैटेजिक है यह कदम?
Duma स्पीकर वोलोडिन ने कहा कि यह कदम भारत और रूस की लॉन्ग-टर्म रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है और दोनों देशों के बीच रेसिप्रोकल सपोर्ट का नया अध्याय शुरू करता है.
7. मीटिंग में Su-57 और S-400 पर भी चर्चा तय
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि मोदी–पुतिन की इस बैठक में Sukhoi Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट्स और अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम पर बातचीत होना तय है.
8. Su-57: भारत एक समय प्रोजेक्ट का पार्टनर था
भारत पहले रूस के FGFA (Fifth Generation Fighter Aircraft) प्रोजेक्ट में पार्टनर था, जो Su-57 पर आधारित था. लेकिन कीमत, तकनीक साझा न होने और परफॉर्मेंस को लेकर भारत बाद में इससे बाहर आ गया था. इसके बावजूद Su-57 भारत-रूस के रणनीतिक संवाद का हिस्सा बना हुआ है.
9. S-400 डील का भी होगा रिव्यू
2018 में भारत ने रूस से 5 S-400 यूनिट्स की $5 बिलियन की डील साइन की थी. इनमें से तीन स्क्वॉड्रन भारत को मिल चुके हैं और दो बाकी हैं। इस पर भी उच्च-स्तरीय चर्चा होगी.
10. पुतिन का भारत दौरा, साझेदारी को और गहरा करने का संकेत
पुतिन 4–5 दिसंबर को नई दिल्ली आ रहे हैं. reLOS को इस समय मंजूरी देकर रूस ने साफ संदेश दिया है कि वह भारत को अपनी सबसे विश्वसनीय रक्षा साझेदारियों में से एक मानता है और दोनों देश आने वाले समय में और बड़े रक्षा सौदे कर सकते हैं.
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