BREAKING:
OnePlus Pad 3: 12000mAh बैटरी और 80W चार्जिंग के साथ ताकतवर टैबलेट, फीचर्स कर देगा हैरान       भारत के लिए क्यों अहम है चिनाब पुल? जानिए दुनिया का सबसे ऊंचे रेल आर्च ब्रिज की खासियत       फ्यूजलेज क्या होता है? राफेल की रीढ़, जिसका निर्माण अब भारत में टाटा-डसॉल्ट करेगी? नहीं देखना होगा विदेशियों का मुंह       बेंगलुरु भगदड़ के लिए कौन जिम्मेदार है? RCB, कर्नाटक सरकार या फिर दोनों, सबक कब सिखेगी सरकारें?       Top Mobile Phones Under Rs 25000: ₹25000 से भी कम कीमत में मिल रहे हैं ये धांसू स्मार्टफोन, फीचर्स देखकर आप भी चौंक जाएंगे!       पिनाकी मिश्रा कौन हैं, जिनसे TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने जर्मनी में कर ली चुपचाप शादी? कुछ ऐसी रही दोनों की LOVE STORY       '9वीं फेल बेटे को बनाना चाहते हैं बिहार का राजा', PK का लालू यादव पर बड़ा हमला- यहां बिहारी ग्रेज्यूट को नहीं मिल रही नौकरी       अब अमेरिका नहीं जा सकेंगे इन 12 देशों के नागरिक, डोनाल्ड ट्रम्प ने क्यों लिया ये बड़ा फैसला?       Aaj Ka Rashifal 5 June 2025: बदलाव, रिश्ते और तरक्की का दिन, जानें किस राशि को मिलेगा लाभ       यात्रीगण कृपया ध्यान दें! बिना आधार कार्ड के अब नहीं मिलेगा तत्काल टिकट, बिचौलियों की छुट्टी के लिए रेलवे का बड़ा फैसला      

अब नहीं होगा 'शाही स्नान'! बदलेगा 800 साल पुराना नाम, नासिक कुंभ 2027 में बदलेंगे आस्था के मायने

Nashik Simhastha Kumbh Mela 2027: नासिक में 2027 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ में एक ऐतिहासिक परंपरा बदली जाएगी। अब तक जिस पवित्र स्नान को 'शाही स्नान' कहा जाता था, उसे अब 'अमृत स्नान' के नाम से जाना जाएगा, यह फैसला अखाड़ा परिषद और महाराष्ट्र सरकार की बैठक में लिया गया.

Nashik Simhastha Kumbh Mela 2027: भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक सिंहस्थ कुंभ मेला 2027 इस बार एक ऐतिहासिक परंपरा में बदलाव का गवाह बनने जा रहा है. सदियों पुरानी 'शाही स्नान' की परंपरा को अब 'अमृत स्नान' के नाम से जाना जाएगा. यह फैसला रविवार को नासिक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अखाड़ा परिषद और कुंभ मेला आयोजकों के बीच हुई अहम बैठक में लिया गया.

अब शाही नहीं, अमृत स्नान होगा

अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा के प्रवक्ता महंत भक्ति चरण दास ने बताया कि कुंभ मेला चार स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक - में आयोजित होता है, जहां-जहां समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें गिरी थीं. 'शाही स्नान' शब्द मुगल काल की देन है, जबकि इसका वास्तविक और पवित्र अर्थ 'अमृत स्नान' से जुड़ा है. इसलिए इस बार परंपरा में बदलाव कर इसे 'अमृत स्नान' के रूप में मनाया जाएगा.

आध्यात्मिकता की ओर वापसी

संत समाज ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह बदलाव कुंभ मेले को उसकी आध्यात्मिक और धार्मिक जड़ों से फिर से जोड़ने का एक प्रयास है. 'शाही स्नान' को अब तक शक्ति प्रदर्शन और भव्य जुलूसों से जोड़ा जाता था, जबकि 'अमृत स्नान' नाम इसे आत्मिक शुद्धि, तप और भक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है.

महंत भक्ति चरण दास के अनुसार, 'अमृत स्नान शब्द कुंभ के वास्तविक उद्देश्य के ज्यादा निकट है, जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग है.'

पौराणिक संदर्भ से जुड़ा है 'अमृत स्नान'

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, कुंभ स्नान से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. यह नाम 'अमृत स्नान' उस पौराणिक कथा से जुड़ा है, जिसमें समुद्र मंथन के समय अमृत की बूंदें धरती पर गिरी थीं और उन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है.

2027 कुंभ की तैयारियां जोरों पर

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि 2027 का नासिक कुंभ इस बार ज्यादा लंबा और भव्य होगा. उन्होंने कहा, '13 प्रमुख अखाड़ों के साथ बैठक कर हमनें आयोजन को लेकर अहम फैसले लिए हैं. इस बार कई विशेष अमृत स्नान तिथियां और धार्मिक उत्सव देखे जा सकेंगे.'

गोदावरी नदी की सफाई पर विशेष ध्यान

सीएम फडणवीस ने बताया कि गोदावरी नदी की स्वच्छता को लेकर भी सरकार पूरी तरह गंभीर है. इसे लेकर उन्होंने कहा, 'हमने गोदावरी मां के लिए ऐसा सिस्टम तैयार किया है जिससे वह अविरल और निर्मल बह सके. करीब 2000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं इसके लिए तैयार की गई हैं.'

कुंभ के लिए हाईलेवल इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान

सरकार ने कुंभ मेला 2027 के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का दावा किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वच्छता और जल प्रबंधन
  • यातायात और पार्किंग की व्यवस्था
  • सुरक्षा तंत्र की सुदृढ़ता
  • रहने, खाने और दर्शन के लिए सुविधाएं

'अमृत स्नान' के रूप में यह परिवर्तन न केवल शब्दों का बदलाव है, बल्कि यह कुंभ मेले के सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों की ओर वापसी का प्रतीक है. यह निर्णय भव्यता के बजाय आध्यात्मिकता और श्रद्धा को केंद्र में लाने का प्रयास है.

ये भी देखिए: Maha Shivratri: भगवान शिव को भांग क्यों चढ़ाई जाती है? जानिए इसके पीछे की खास वजह