कितना ताकतवर है भारत का कावेरी इंजन, जिसने अमेरिका से लेकर फ्रांस तक की उड़ाई नींद?
Powerful Kaveri Engine: भारत का स्वदेशी कावेरी इंजन अब रूस में अंतिम उड़ान परीक्षणों से गुजर रहा है, जो इसे UCAV जैसे अत्याधुनिक ड्रोन के लिए तैयार करेगा. 80 kN थ्रस्ट क्षमता वाला यह इंजन अब आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र का प्रतीक बन चुका है. इसके सफल परीक्षण भारत को अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों की निर्भरता से मुक्त कर सकते हैं.

Powerful Kaveri Engine: भारत की स्वदेशी ताकत का एक और नज़ारा अब दुनिया के सामने है. रूस में इन दिनों भारतीय 'कावेरी जेट इंजन' के हवाई परीक्षण चल रहे हैं और इन परीक्षणों ने न केवल देशवासियों में गर्व की लहर पैदा कर दी है, बल्कि अमेरिका और फ्रांस जैसे रक्षा तकनीक में अग्रणी देशों की नींद भी उड़ा दी है.
दरअसल, भारत का यह घरेलू टर्बोफैन इंजन अब तेजस फाइटर जेट नहीं, बल्कि देश के नए स्टील्थ यूसीएवी 'घातक ड्रोन' को शक्ति देगा और यही बात पश्चिमी देशों को बेचैन कर रही है. ऐसे समय में जब भारत 'ऑपरेशन सिंदूर' और पाक सीमा पर तेजी से सैन्य कार्रवाई के कारण अंतरराष्ट्रीय रक्षा चर्चा में है. भारत का यह इंजन तकनीकी आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रहा है.
कितना ताकतवर है भारत का कावेरी इंजन?
भारत का 'कावेरी इंजन' सिर्फ एक टर्बोफैन इंजन नहीं है, बल्कि ये भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता और भविष्य की युद्धनीति का एक प्रतीक बन चुका है. आइए विस्तार से जानते हैं कि यह इंजन कितना ताकतवर है और क्यों इसे भारतीय रक्षा क्षेत्र में गेमचेंजर माना जा रहा है.
1. भारत की GTRE (गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट) द्वारा विकसित यह इंजन 80 किलो न्यूटन का थ्रस्ट देता है.
2. पांचवीं पीढ़ी की तकनीक से लैस है और फ्लैट-रेटेड डिज़ाइन इसे तेज़ गति व उच्च तापमान में भी प्रदर्शनशील बनाए रखता है.
3. यह अब घातक यूसीएवी के लिए री-डिज़ाइन किया जा रहा है जो भारत के भविष्य के स्टील्थ मिशनों में मुख्य भूमिका निभाएगा.
इंजन की ताकत (Thrust Power):
1. कावेरी इंजन 80 किलो न्यूटन (kN) तक का थ्रस्ट पैदा करता है.
2. इसके ड्राई थ्रस्ट की क्षमता करीब 48 kN है (बिना आफ्टरबर्नर के).
3. DRDO इसमें आफ्टरबर्नर जोड़कर इसे 73–75 kN तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है.
इस स्तर की शक्ति किसी भी हल्के से मीडियम क्लास लड़ाकू विमान या UCAV को उड़ान देने के लिए पर्याप्त होती है.
डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी:
1. Low-bypass twin-spool turbofan इंजन
2. Flat-rated design जो उच्च तापमान और गति में भी थ्रस्ट को स्थिर बनाए रखता है.
3. Full Authority Digital Engine Control (FADEC) के साथ दोहरी नियंत्रण व्यवस्था — यानी इंजन की परफॉर्मेंस को कंप्यूटर द्वारा सटीक रूप से नियंत्रित किया जाता है.
4. फिफ्थ जनरेशन इंजन की श्रेणी में आने वाले इसके कोर 'Kabini' में हाई प्रेशर टरबाइन, कम्बस्टर और कम्प्रेसर शामिल हैं.
पश्चिमी देशों को क्यों डर लग रहा है?
अमेरिका:
कावेरी इंजन की परीक्षण सफलता ने अमेरिका को रणनीतिक स्तर पर चिंता में डाल दिया है. अब तक भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए GE F404 जैसे अमेरिकी इंजन पर निर्भर था. लेकिन अब भारत अपने इंजन खुद बना रहा है, अमेरिका की हथियार बिक्री और तकनीकी पकड़ दोनों पर खतरा मंडरा रहा है.
फ्रांस:
2016 में भारत ने फ्रेंच कंपनी Safran के साथ साझेदारी कर कावेरी को पुनर्जीवित किया था. लेकिन अब भारत इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह घरेलू बना रहा है, जिससे फ्रांस को भी बड़ा झटका लग सकता है. भारत का यह कदम राफेल जैसी डील्स में भी फ्रांस की भविष्य की भूमिका को कमजोर कर सकता है.
रूस में क्यों हो रहे हैं परीक्षण?
भारत के पास हाई-एल्टीट्यूड इंजन परीक्षण सुविधाएं नहीं थीं, इसलिए रूस में ये परीक्षण किए जा रहे हैं. अब तक 25 घंटे की टेस्टिंग बाकी है और इंजनों की वास्तविक उड़ान स्थितियों में परख की जा रही है.
क्यों है ये भारत के लिए गेमचेंजर?
कावेरी इंजन भारत की आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) को मजबूत करता है. फाइटर जेट्स से लेकर स्टील्थ ड्रोन तक यह इंजन भारत की रणनीतिक और तकनीकी स्वतंत्रता का आधार बनेगा. 'Fund Kaveri Engine' जैसे ट्रेंड्स से जनता की उम्मीद और समर्थन साफ है.
कभी असफल घोषित किया गया कावेरी प्रोजेक्ट अब दुनिया के लिए चुनौती बन चुका है. यह सिर्फ एक इंजन नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक और सामरिक क्षमता का प्रतीक है. आज अमेरिका और फ्रांस जैसे देश जहां इसे लेकर फिर से सोच में पड़ गए हैं. वहीं भारत ने साबित कर दिया है कि अब हम किसी के मोहताज नहीं.