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बांग्लादेश में फिर 2024 जैसे हालात, ढाका से चट्टोग्राम तक सड़कों पर हिंसा, हादी की मौत के बाद भड़का जनाक्रोश | देखें VIDEO

बांग्लादेश में जुलाई आंदोलन के आयोजक शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हालात बेकाबू हो गए हैं. ढाका और चट्टोग्राम समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन, मीडिया दफ्तरों पर हमले और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं. अंतरिम सरकार ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है, जबकि मोहम्मद यूनुस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

Bangladesh Protest: बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा और उथल-पुथल के दौर में पहुंच गया है. जुलाई आंदोलन के प्रमुख आयोजक और इंक़िलाब मंचा के संयोजक शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. राजधानी ढाका से लेकर चट्टोग्राम तक हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं. हादी की मौत सिंगापुर में इलाज के दौरान हुई, जहां उन्हें गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था.

सिंगापुर में इलाज के दौरान तोड़ा दम

सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर पुष्टि की कि डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद शरीफ उस्मान हादी को बचाया नहीं जा सका. मंत्रालय के मुताबिक, सिर में गोली लगने से उनकी हालत बेहद नाजुक थी और 18 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया. हादी को 12 दिसंबर को ढाका में गोली मारी गई थी, जिसके बाद पहले उन्हें ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल और फिर एवरकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालत बिगड़ने पर उन्हें सिंगापुर ले जाया गया था.

मौत की खबर के बाद भड़की हिंसा

हादी की मौत की खबर सामने आते ही बांग्लादेश के कई शहरों में उग्र प्रदर्शन शुरू हो गए। ढाका में द डेली स्टार और प्रोथोम आलो के दफ्तरों पर भीड़ ने हमला किया और तोड़फोड़ की. वहीं, चट्टोग्राम में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन हुआ. इसके अलावा, पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी के आवास में आग लगने की भी खबरें सामने आई हैं.

इन घटनाओं के बीच पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता पैदा हो गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय मीडिया से बात करने वाले पत्रकारों को कट्टरपंथी समूहों की ओर से धमकियां मिल रही हैं.

शाहबाग में गूंजे उग्र नारे

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी शाहबाग पुलिस स्टेशन के आसपास जमा हुए और उग्र नारे लगाए. भीड़ 'तुमी के, आमी के? हादी, हादी', 'दिल्ली ना ढाका? ढाका, ढाका', 'भारतीय दूतावास घेरो' और 'इंक़िलाब जिंदाबाद' जैसे नारे लगाती नजर आई. इसी दौरान राजशाही में अवामी लीग के कार्यालय में आग लगा दी गई, जबकि प्रोथोम आलो के दफ्तर में भी जमकर तोड़फोड़ हुई.

फेसबुक पोस्ट से भड़की थी चिंगारी

हादी के घायल होने के बाद इंक़िलाब मंचा ने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील की थी. पोस्ट में कहा गया था कि अगर हादी की मौत होती है तो आंदोलन को देश की संप्रभुता बचाने की लड़ाई के रूप में पेश किया जाएगा और उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाएगा. इसी अपील के बाद हालात तेजी से बिगड़ते चले गए.

कैसे हुई थी शरीफ उस्मान हादी की हत्या

शरीफ उस्मान हादी पर ढाका के पल्टन इलाके की कलवर्ट रोड पर उस वक्त हमला हुआ, जब वह बैटरी से चलने वाले ऑटो-रिक्शा में सफर कर रहे थे. अज्ञात हमलावरों ने उनके सिर में गोली मार दी. गंभीर रूप से घायल हादी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई.

मोहम्मद यूनुस का शांति की अपील, राष्ट्रीय शोक का ऐलान

हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देशवासियों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों को निष्पक्ष जांच का मौका दिया जाना चाहिए. यूनुस ने इस हत्या को निर्मम हत्या करार देते हुए कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी.

अंतरिम सरकार ने शरीफ उस्मान हादी की मौत पर एक दिन के राष्ट्रीय शोक का भी ऐलान किया है.

कौन थे शरीफ उस्मान हादी?

शरीफ उस्मान हादी, इंक़िलाब मंचा के प्रमुख सदस्य थे और फरवरी में होने वाले चुनावों में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे. इंक़िलाब मंचा पिछले साल हुए जुलाई आंदोलन के दौरान चर्चा में आया था, जिसने अंततः शेख हसीना की सत्ता से विदाई का रास्ता तैयार किया.

यह संगठन अवामी लीग को पूरी तरह खत्म करने की मुहिम चला रहा है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने मई में अवामी लीग को भंग कर दिया था और उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था. इंक़िलाब मंचा लगातार अवामी लीग से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है और तथाकथित जुलाई योद्धाओं की सुरक्षा पर जोर दे रहा है.

बांग्लादेश के लिए चुनौतीपूर्ण हालात

शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने बांग्लादेश की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है. सड़कों पर बढ़ता गुस्सा, मीडिया पर हमले और विदेशी मिशनों के बाहर प्रदर्शन, आने वाले दिनों में हालात और गंभीर होने के संकेत दे रहे हैं. देश अब एक बार फिर ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां एक छोटी चिंगारी बड़े संकट में बदल सकती है.

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