बिहार के 5 सबसे प्रसिद्ध मंदिर, दुनियाभर के आस्था का है केंद्र
Bihar Famous Temple: बिहार में रहस्यमय और विस्मयकारी मंदिरों हैं, जिनके दर्शन से आपको खास अनुभूति होती है. यूनेस्को विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर से लेकर दिव्य जल मंदिर तक, प्रत्येक मंदिर इतिहास और आध्यात्मिकता से भरा हुआ है. शांति और ज्ञान की गहन अनुभूति का अनुभव करने के लिए इन पवित्र स्थलों पर एक बार जरूर जाएं.

Bihar Famous Temple: बिहार आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध राज्य है. भले ही आज की राजनीति ने आर्थिक रूप से इसे गरीब बना दिया है. यह प्राचीन संस्कृति और ऐतिहासिक रीति-रिवाजों का एक अच्छा संयोजन है. गंगा के पवित्र तटों से लेकर नालंदा के शानदार खंडहरों तक, बिहार अपने कालातीत आकर्षण और शानदार इतिहास से पर्यटकों को आकर्षित करता है.
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से घिरा बिहार का आध्यात्मिक इतिहास यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध और आध्यात्मिक रूप से पुनर्जीवित महसूस कराता है.
तो यहां हम बिहार के 5 सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानते है.
1. महाबोधि मंदिर, बोधगया
यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है, जो बोधगया में निरंजना नदी के तट पर स्थित है. आध्यात्मिक शांति की तलाश करने वाले हर व्यक्ति के लिए यह एक पवित्र स्थान है. दुनिया भर से लाखों यात्री आध्यात्मिक ज्ञान के लिए इस क्षेत्र में आते हैं. यह बिहार के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.
इस मंदिर का निर्माण पहली बार सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था. अंग्रेजों ने 1880 के दशक के अंत में इसका जीर्णोद्धार किया और यह अपनी शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. मुख्य मंदिर के अलावा यहां प्रसिद्ध बोधि वृक्ष भी है, जहां लोग प्रकृति से जुड़ने के लिए घंटों ध्यान लगा सकते हैं. आप बोधगया जा सकते हैं जो बिहार की राजधानी पटना से केवल 115 किलोमीटर दूर है.
2. विष्णुपद मंदिर
बिहार के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक विष्णुपद मंदिर. यह चांद चौरा, गया में स्थित है. इस पवित्र स्थान का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है. नक्काशीदार स्तंभों की आठ पंक्तियों और भगवान विष्णु (धर्मशिला) के पैरों के निशान वाले एक अष्टकोणीय मंदिर के साथ, यह 100 फुट ऊंचा वास्तुशिल्प चमत्कार ग्रे ग्रेनाइट से बना है.
पितृ पक्ष के दौरान, लोग पूरे भारत से शहर में मृतकों की आत्माओं के लिए अंतिम संस्कार करने आते हैं, जिसे "पिंड दान" के रूप में जाना जाता है. सनातन धर्म में माना जाता है कि यह अनुष्ठान मानव आत्मा को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त करने के लिए आवश्यक है.
3. मंगला गौरी मंदिर
यदि आप पवित्र शहर गया में हैं, तो आप बिहार के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक को देखना न भूलें. मंगला गौरी मंदिर भारत के 18 शक्तिपीठों में से एक है. पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण जैसी पवित्र पुस्तकों में इसका उल्लेख है, यह पवित्र मंदिर सती को समर्पित है.
ऐसा माना जाता है कि देवी सती का वक्षस्थल यहीं गिरा था. मंदिर का इतिहास कई तीर्थस्थलों से जुड़ा है. मंदिर की वास्तुकला और भव्यता ऐसी है जो निश्चित रूप से आपको मोहित कर देगी. यहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए.
4. जल मंदिर
जल मंदिर बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में स्थित है. भव्य सफ़ेद संगमरमर से बना यह मंदिर जैन समुदाय के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों में से एक है. 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित, जल मंदिर को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि यह मंदिर पानी के बीच में स्थित है.
शानदार वास्तुकला और पवित्र आत्मा की दिव्य उपस्थिति इसे बिहार के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक बनाती है. जल मंदिर राजगीर से सिर्फ़ 19 किलोमीटर और राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर दूर है. किंवदंती के अनुसार, भगवान महावीर ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया था और जल मंदिर ठीक उसी स्थान पर स्थित है जहां अहिंसा के प्रतीक ने शून्य की स्थिति को प्राप्त किया था. मंदिर में भगवान महावीर की "चरण पादुका" भी है.
5. मिथिला शक्ति पीठ
मिथिला शक्ति पीठ भारत-नेपाल सीमा दरभंगा, बिहार में स्थित है. यह बिहार के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह 52 प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक है क्योंकि देवी सती का बायां कंधा (वाम स्कंध) यहीं गिरा था. हिंदू भक्त बड़ी संख्या में सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए यहां आते हैं. आप सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक मंदिर में जा सकते हैं.
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