हमेशा के लिए प्यासा रहेगा पाक! अमित शाह का बड़ा एलान- पाकिस्तान को सिंधु जल संधि का पानी अब नहीं मिलेगा
Amit Shah on Indus Treaty: सिंधु जल संधि के निलंबन पर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कहा कि अब पाकिस्तान को भारत से बहने वाला पानी नहीं मिलेगा. यह पानी अब राजस्थान जैसे भारतीय राज्यों के लिए नहर बनाकर मोड़ा जाएगा.

Amit Shah on Indus Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) अब इतिहास बनने जा रही है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया कि भारत इस संधि को अब कभी बहाल नहीं करेगा. उन्होंने दो टूक कहा – 'अब पाकिस्तान को बहता हुआ पानी भी नसीब नहीं होगा.' अमित शाह ने बड़े ही सख्त अंदाज में कहा कि पाकिस्तान को जो पानी अनुचित रूप से मिल रहा था, अब वह राजस्थान की प्यास बुझाएगा.
Times of India को दिए एक इंटरव्यू में अमित शाह ने यह भी खुलासा किया कि वह पानी, जो दशकों से पाकिस्तान की ओर बहता जा रहा था, अब भारत के अपने राज्यों—खासकर राजस्थान—के लिए उपयोग में लाया जाएगा. इसके लिए एक बड़ी नहर बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है, ताकि इस बहुमूल्य संसाधन का इस्तेमाल देश के सूखे इलाकों में हो सके.
क्यों टूटा भारत का सब्र?
साल 1960 की इस ऐतिहासिक संधि के बावजूद भारत ने अपने अधिकारों का पूरी तरह उपयोग कभी नहीं किया. लेकिन कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए. इस हमले ने भारत के सब्र का बांध तोड़ दिया. शाह ने कहा कि पाकिस्तान चाहे इस हमले में अपनी भागीदारी से इंकार करता रहे, लेकिन अब भारत की नीति बिल्कुल साफ है – 'No More Water For Pakistan.'
बड़ी नहर का निर्माण जल्द
भारत सरकार अब इस पानी को देश के भीतर मोड़ने के लिए विशाल नहर परियोजना की तैयारी कर रही है. इससे राजस्थान के किसान लाभान्वित होंगे, जहां पानी की भारी कमी रहती है. यह योजना न केवल पाकिस्तान को झटका देगी बल्कि भारत के अंदर जल संकट को भी काफी हद तक कम कर देगी.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर लड़ाई की तैयारी में पाकिस्तान
पाकिस्तान ने धमकी दी है कि वह भारत के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में चुनौती देगा. लेकिन भारत का कहना है कि संधि को 'abeyance' यानी निलंबन में रखने का अधिकार उसके पास है क्योंकि पाकिस्तान लगातार सीमा पार से आतंक फैला रहा है.
भारत का कड़ा संदेश – 'अब सब्र खत्म'
अमित शाह का यह बयान भारत की बदलती नीति और बढ़ती आत्मनिर्भरता का साफ इशारा है. भारत अब पुराने 'soft diplomacy' के रास्ते पर नहीं रहेगा. चाहे पाकिस्तान नाराज़ हो या दुनिया कुछ कहे – भारत ने अब अपने जल संसाधनों का पूरा हक़ लेने का फैसला कर लिया है.
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