शेयर बाजार में 'पंप-एंड-डंप' स्कीम क्या है, जिसके चलते एक्टर अरशद वारसी पर SEBI ने लगाया बैन? जानिए इससे कैसे रहें सुरक्षित
Pump And Dump Scheme In Stock Market: स्टॉक मार्केट में 'पंप एंड डंप' स्कीम एक धोखाधड़ी वाला तरीका है, जिसमें किसी सस्ते शेयर की कीमत झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाकर कृत्रिम रूप से बढ़ाई जाती है और फिर ऊंची कीमत पर शेयर बेचकर आम निवेशकों को भारी नुकसान में छोड़ दिया जाता है.

Pump And Dump Scheme In Stock Market: बॉलीवुड एक्टर अरशद वारसी और उनकी पत्नी मारिया गोरेटी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बड़ा झटका दिया है. SEBI ने दोनों पर साधना ब्रॉडकास्ट लिमिटेड (अब Crystal Business System Ltd) के शेयरों को लेकर भ्रामक प्रचार और बाजार में धोखाधड़ी का दोषी पाया है. इसके चलते दोनों को एक साल तक शेयर बाजार से ट्रेडिंग करने से बैन कर दिया गया है. इसमें कुल 57 अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं को दोषी पाया गया है.
SEBI की जांच के मुताबिक, अरशद वारसी, उनकी पत्नी और 57 अन्य लोगों ने मिलकर एक 'पंप एंड डंप' (Pump-and-Dump) स्कीम चलाई. इसमें पहले शेयर की कीमत को जानबूझकर बढ़ाया गया, फिर सोशल मीडिया और यूट्यूब के ज़रिए झूठा प्रचार किया गया और जब आम निवेशकों ने शेयर खरीदे तो इन लोगों ने मुनाफा कमाकर अपने शेयर बेच दिए, जिससे बाकी निवेशकों को भारी नुकसान हुआ.
क्या होता है 'पंप एंड डंप' स्कीम?
स्टॉक मार्केट में 'पंप एंड डंप' स्कीम एक तरह की धोखाधड़ी होती है. इसमें कुछ लोग किसी कंपनी के शेयर की कीमत को झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाकर जबरदस्ती बढ़ाते हैं.
जब शेयर की कीमत बहुत ऊपर पहुंच जाती है, तो वे लोग अपने शेयर ऊंचे दाम पर बेच देते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. लेकिन इसके बाद शेयर की कीमत तेज़ी से गिर जाती है, जिससे जो आम निवेशक बाद में शेयर खरीदते हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
ये स्कीम अक्सर छोटी कंपनियों (micro-cap और small-cap) के साथ होती है, क्योंकि इन कंपनियों की जानकारी कम होती है और उनके शेयरों की खरीद-बिक्री (trading) भी बहुत कम होती है, जिससे कीमत को आसानी से बढ़ाया या घटाया जा सकता है.
कैसे काम करती है पंप एंड डंप स्कीम?
1. सस्ते शेयरों को खरीदना
सबसे पहले इस स्कीम में शामिल लोग किसी छोटी कंपनी के बहुत सारे शेयर खरीदते हैं। ऐसे शेयरों को अक्सर 'पैनी स्टॉक्स' कहा जाता है, क्योंकि इनकी कीमत बहुत कम होती है और इन्हें खरीद-बेचने वाले भी कम होते हैं. इसलिए इनकी कीमत को आसानी से बढ़ाया जा सकता है.
2. झूठी तारीफ और प्रचार करना
इसके बाद इन शेयरों का जोरदार झूठा प्रचार किया जाता है. फर्जी ईमेल भेजे जाते हैं, न्यूज़लेटर में बढ़ा-चढ़ाकर तारीफ की जाती है और सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों पर भ्रामक पोस्ट और वीडियो डाले जाते हैं. इसका मकसद होता है नए निवेशकों को लुभाना और शेयर के बारे में हाई डिमांड का माहौल बनाना.
3. शेयर की कीमत बढ़ती है
जब प्रचार काम करने लगता है, तो लोग उस शेयर को खरीदने लगते हैं. जैसे-जैसे मांग बढ़ती है, शेयर की कीमत भी तेज़ी से ऊपर जाती है. कई बार धोखेबाज़ खुद भी बार-बार शेयर खरीदते हैं ताकि कीमत और भी तेज़ी से बढ़े. इस स्टेज पर शेयर की कीमत कृत्रिम रूप से बहुत ऊंचाई पर पहुंच जाती है और यह दिखाया जाता है कि ये कोई बहुत फायदेमंद निवेश है.
4. ऊंचे दाम पर शेयर बेचना
अब जब शेयर की कीमत बढ़ चुकी होती है तो स्कीम चलाने वाले लोग अपने सारे शेयर ऊंचे दाम पर बेच देते हैं। इससे उन्हें बहुत मुनाफा होता है.
5. कीमत गिरती है, निवेशक फंसते हैं
जैसे ही ये लोग शेयर बेचना शुरू करते हैं, बाजार में बेचने वालों की संख्या बढ़ जाती है और शेयर की कीमत तेज़ी से गिरने लगती है. आखिर में जिन आम निवेशकों ने प्रचार के झांसे में आकर ऊंचे दाम पर शेयर खरीदे थे, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि शेयर की कीमत फिर से अपनी असली (या उससे भी कम) स्थिति पर आ जाती है.
पंप एंड डंप स्कीम से खुद को कैसे बचाएं निवेशक?
पंप एंड डंप स्कीम से बचने के लिए निवेशकों को कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए.
1. अनजान जगहों से आए निवेश के सुझावों से सावधान रहें
अगर आपको किसी अनजान व्यक्ति या सोशल मीडिया चैनल से कोई शेयर खरीदने की सलाह मिलती है, तो उस पर भरोसा न करें. ऐसे सुझाव अक्सर पंप एंड डंप स्कीम का हिस्सा होते हैं. बिना मांगे आए (अनसॉलिसिटेड) ऑफर्स को नजरअंदाज़ करना ही समझदारी है.
2. खुद रिसर्च करें, सिर्फ प्रचार पर भरोसा न करें
किसी भी कंपनी में पैसे लगाने से पहले उसके बारे में खुद अच्छी तरह से जांच-पड़ताल (रिसर्च) करें. सिर्फ इसलिए किसी शेयर में निवेश न करें क्योंकि कोई सेलिब्रिटी या सोशल मीडिया प्रमोटर उसकी तारीफ कर रहा है. प्रचार के पीछे क्या मकसद है, ये समझना जरूरी है.
3. बहुत ज्यादा मुनाफा देने वाले ऑफर से सतर्क रहें
अगर कोई निवेश बहुत ही ज्यादा और असामान्य लाभ का वादा कर रहा है तो सावधान हो जाइए. आमतौर पर ऐसे वादे धोखाधड़ी की तरफ इशारा करते हैं.
4. रेगुलेटर को तकनीक के साथ अपडेट रहना होगा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार के रेगुलेटर जैसे SEBI को भी सोशल मीडिया की निगरानी करनी चाहिए ताकि इन स्कीमों को समय रहते पकड़कर आम लोगों की कमाई की सुरक्षा की जा सके.
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