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'पलायन' क्यों बन रहा बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा? जानिए कितने % बिहारी नौकरी के लिए रह रहे बाहर

Bihar Assembly Election 2025: आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार प्रवासियों और नौकरियों के लिए दूसरे राज्यों में जाने वालों के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है और देश में सबसे अधिक बहुआयामी गरीबी दर इस राज्य में है.

Bihar Assembly Election 2025: बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके लिए सभी पार्टियों ने अपना कमर कसना भी शुरू कर दिया है. सरकार के अपने मुद्दे है, तो विपक्ष ने भी अपनी लिस्ट तैयार कर ली है. इसमें दो मुद्दे सबसे अधिक उभरकर सामने आ रहे हैं... एक बेरोजगारी और दुसरा इससे होने वाला पलायन. इसके कारण बिहार में गरीबी भी राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया हैं. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच रोजगार सृजन के दावों को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है. जहां कांग्रेस ने 'पलायन रोको, नौकरी दो' यात्रा निकाली, वहीं बीजेपी ने बिहार दिवस के 9 दिवसीय समारोहों के जरिए देशभर में फैले बिहारी प्रवासियों तक पहुंचने की कोशिश की. 

बिहार से देशभर में फैला पलायन के आंकड़ों पर नजर:

2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार से देश के 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कुल 74.54 लाख प्रवासी थे. केवल उत्तर प्रदेश (1.23 करोड़) ही इससे आगे था. भारत में कुल 5.43 करोड़ अंतर-राज्यीय प्रवासी हैं, जो देश की आबादी का लगभग 4.5% हैं, जबकि बिहार का योगदान 7.2% रहा.

बिहार के प्रवासियों का बाहर ठिकाना: 

  • झारखंड: 13.36 लाख
  • दिल्ली: 11.07 लाख
  • पश्चिम बंगाल: 11.04 लाख
  • उत्तर प्रदेश: 10.73 लाख
  • महाराष्ट्र: 5.69 लाख

बिहार से बाहर पलायन के कारण:

30% प्रवासियों ने रोजगार को पलायन का मुख्य कारण बताया जबकि 26.6% ने पारिवारिक कारण और 24.4% ने विवाह को वजह बताया. 

पलायन के ताजे आंकड़े: 

2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 1991-2001 के बीच बिहार से 11.35 लाख और 2001-11 के बीच 26.95 लाख युवा (20-29 वर्ष के बीच) बाहर गए. इससे साफ होता है कि बिहार से श्रमिक वर्ग का पलायन लगातार बढ़ा है. 

2023 में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की रिपोर्ट में भी रेलवे के अनारक्षित टिकटों के आंकड़ों के आधार पर यही रुझान सामने आया. बिहार से सबसे अधिक प्रवासी दिल्ली, पश्चिम बंगाल, यूपी और महाराष्ट्र की ओर गए. 2024 में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में बिहार के 39% प्रवासियों ने रोजगार को पलायन का कारण बताया.

बिहार की अर्थव्यवस्था: कृषि पर निर्भरता और कम आय

बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार:

  • प्राथमिक क्षेत्र (कृषि व कच्चा माल): राज्य के उत्पादन में 19.9% योगदान लेकिन 54.2% रोजगार.
  • सेकेंडरी क्षेत्र (उद्योग-निर्माण): उत्पादन में 21.5% और रोजगार में 23.6% हिस्सा.
  • तृतीयक क्षेत्र (सेवाएं): उत्पादन में 58.6% योगदान लेकिन रोजगार में सिर्फ 22.2%.

बिहार में प्रति व्यक्ति आय:

  • बिहार: ₹32,174 प्रति वर्ष (2023-24)
  • राष्ट्रीय औसत: ₹1.07 लाख प्रति वर्ष

बिहार देश में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाला राज्य है.

गरीबी और उपभोग का स्तर

नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार:

  • 2015-16 में गरीबी दर: 51.89%
  • 2019-21 में गरीबी दर: 33.76% (अब भी देश में सबसे ज्यादा)

2023-24 हाउसहोल्ड कंजम्प्शन सर्वे के अनुसार:

  • बिहार में ग्रामीण परिवार की औसत मासिक खर्च: ₹3,788
  • शहरी परिवार की औसत मासिक खर्च: ₹5,165 (दोनों राष्ट्रीय औसत से काफी कम)

श्रम बल भागीदारी और बेरोजगारी दर

PLFS जुलाई-सितंबर 2024 (केवल शहरी क्षेत्र):

  • लैबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (15+ वर्ष): 40.6% (देश में सबसे कम)
  • लैबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (15-29 वर्ष): 24.7%
  • बेरोजगारी दर (15+ वर्ष): 7.3% (राष्ट्रीय औसत 6.4%)
  • बेरोजगारी दर (15-29 वर्ष): 23.2% (राष्ट्रीय औसत 15.9%)

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