SAARC वीज़ा एग्ज़ेम्प्शन स्कीम क्या है, जिसे पहलगाम टेरर अटैक के बाद भारत ने किया रद्द? जानिए पाकिस्तान पर इसका कितना पड़ेगा असर
Pahalgam Terror Attack 2025: भारत ने Pahalgam आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर नकेल कसी है. इसी तहत पाकिस्तान के लिए SAARC वीज़ा स्कीम रद्द कर दिया गया है और इसके साथ ही पाकिस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया गया है.

Pahalgam Terror Attack 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. बुधवार को कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति (CCS) की बैठक के बाद विदेश मंत्रालय (MEA) ने घोषणा की कि SAARC वीज़ा एग्ज़ेम्प्शन स्कीम के तहत पाकिस्तान के नागरिकों के भारत आने पर रोक लगा दी गई है.
इसके साथ ही भारत ने ये स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तानी नागरिक पहले से भारत में इस योजना के तहत रह रहे हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है. इसके साथ ही SAARC वीज़ा स्कीम के तहत पाकिस्तानियों के भारत आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और जारी किए गए सभी वीजा को रद्द कर दिया है. CCS बैठक में पीएम मोदी को आतंकी हमले और इसके 'क्रॉस-बॉर्डर लिंक' की जानकारी दी गई.
क्या है SAARC वीज़ा एग्ज़ेम्प्शन स्कीम?
1992 में शुरू की गई SAARC वीज़ा एग्ज़ेम्प्शन स्कीम का उद्देश्य था कि क्षेत्रीय देशों के नागरिकों को बिना वीज़ा यात्रा की सुविधा देना, जिससे आपसी संबंध बेहतर हो सकें. इस योजना के तहत 24 श्रेणियों में आने वाले लोग—जैसे राजनेता, पत्रकार, खिलाड़ी, अफसर आदि—एक विशेष स्टीकर के जरिए SAARC देशों में मल्टीपल एंट्री कर सकते थे. लेकिन अब MEA ने साफ कर दिया है कि यह सुविधा पाकिस्तानियों पर अब लागू नहीं होगी.
बिजनेस वीज़ा पर भी प्रभाव
2015 की नीति के मुताबिक, SAARC देशों के नागरिकों को भारत में पांच साल तक का बिजनेस वीज़ा मिल सकता था. हालांकि पाकिस्तान को कुछ विशेष प्रतिबंधों के साथ यह सुविधा दी गई थी. केवल कुछ वर्गों के व्यापारियों को ही एक साल के लिए मल्टीपल एंट्री वीज़ा मिलता था और वो भी केवल 10 से 15 शहरों तक सीमित. अब इस नई घोषणा के बाद यह सुविधा भी पूरी तरह बंद मानी जा रही .
SAARC वीज़ा एग्ज़ेम्प्शन स्कीम (SVES) के बंद होने से पाकिस्तान को कई अहम नुकसान होंगे, खासतौर पर कूटनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक और क्षेत्रीय जुड़ाव के स्तर पर.
1. राजनयिक और उच्च स्तरीय यात्राओं पर असर
SAARC वीज़ा स्कीम के तहत पाकिस्तान के राजनयिक, सांसद, अधिकारी और न्यायाधीश बिना लंबी प्रक्रिया के भारत आ-जा सकते थे. अब इस सुविधा के हटने से भारत-पाकिस्तान के कूटनीतिक संवाद और बैकचैनल बातचीत पर असर पड़ेगा. SAARC सम्मेलनों या क्षेत्रीय मीटिंग्स में पाकिस्तानी भागीदारी बाधित हो सकती है.
2. व्यापार और व्यवसायिक जुड़ाव पर सीधा असर
हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले ही व्यापार सीमित है, फिर भी पाकिस्तानी व्यापारी, जिन्हें भारत में व्यापारिक नेटवर्क और साझेदारी के लिए आने की अनुमति थी, अब नहीं आ सकेंगे. छोटे स्तर पर चल रहे क्रॉस-बॉर्डर कारोबार पर असर पड़ेगा, खासकर दवाइयों, कपड़ा, और कृषि उत्पादों से जुड़े क्षेत्रों में.
3. मीडिया और सांस्कृतिक संवाद बाधित
SAARC वीज़ा के तहत पाकिस्तानी पत्रकारों, कलाकारों और सांस्कृतिक प्रतिनिधियों को भारत आने की छूट थी. अब फिल्म, संगीत, साहित्य और कला के साझा मंच पर भागीदारी खत्म हो जाएगी. पाकिस्तानी मीडिया की ग्राउंड रिपोर्टिंग भारत से बंद हो जाएगी, जिससे एकपक्षीय रिपोर्टिंग बढ़ सकती है.
4. लोगों से लोगों का संपर्क (People-to-People Contact) कमजोर
भारत-पाकिस्तान के बीच सीमित ही सही, लेकिन शादी-ब्याह, तीर्थ यात्राएं और पारिवारिक मेल-मिलाप अब लगभग असंभव हो जाएंगे. इससे दोनों देशों के सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ेगा, खासकर उन परिवारों पर जिनके रिश्तेदार दूसरी ओर हैं।
5. पाकिस्तान की स्थिति और हो जाएगी कमजोर
SAARC के भीतर पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हो जाएगी. यदि अन्य देश भी पाकिस्तान से असहज महसूस करें, तो SAARC में उसका अलगाव और गहरा सकता है.
कुल मिलाकर SAARC वीज़ा स्कीम के निलंबन से पाकिस्तान को न केवल राजनयिक और व्यापारिक नुकसान होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक असहयोगी और आतंक समर्थक राष्ट्र की छवि और भी गहराएगी.
क्यों लिया गया ये फैसला?
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ सामने आने के बाद भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है. इस हमले में शामिल आतंकियों के पाकिस्तानी लिंक को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, 'इस हमले की जांच में सीमापार लिंक की पुष्टि हुई है. ऐसे में भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कोई कोताही नहीं बरतेगा.'
पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही बांग्कॉक में BIMSTEC समिट के दौरान पाकिस्तानी नेतृत्व के सामने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और आतंकवाद पर चिंता जताई थी. भारत लंबे समय से पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग करता रहा है.
भारत सरकार के इन फैसलों से यह स्पष्ट मैसेज गया है कि अब आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के साथ 'नॉर्मल' रिश्ते संभव नहीं हैं. SAARC जैसी क्षेत्रीय एकता की योजनाओं का दुरुपयोग यदि सुरक्षा को खतरे में डालता है, तो भारत उसे सख्ती से रोकने को तैयार है.