Parag Jain कौन हैं, जिन्हें बनाया गया R&AW का नया चीफ? ऑपरेशन सिंदूर में संभाला था मोर्चा
Parag Jain RAW chief: अब जबकि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर भारत के खिलाफ साजिशें तेज कर रहे हैं और भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित कर दी है, रॉ की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है. ऐसे में पराग जैन की नियुक्ति को ग्राउंड इंटेलिजेंस मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

Parag Jain RAW chief: नरेंद्र मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 1989 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी पराग जैन को भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का नया सेक्रेटरी नियुक्त किया है. यह नियुक्ति दो साल के कार्यकाल के लिए की गई है। वे रवि सिन्हा की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है.
पराग जैन इस समय एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के प्रमुख हैं, जो हाल ही में चर्चित रहे ऑपरेशन सिंदूर में बेहद अहम भूमिका निभा चुका है. इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों और आतंकी शिविरों की जानकारी एकत्र की गई थी.
कौन हैं पराग जैन?
पराग जैन का करियर भारत की सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था से गहराई से जुड़ा रहा है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंजाब में आतंकवाद के दौर में की थी, जहां वे भटिंडा, मानसा और होशियारपुर जैसे संवेदनशील जिलों में तैनात रहे. वे चंडीगढ़ के एसएसपी और लुधियाना के डीआईजी भी रह चुके हैं.
इसके अलावा वे जम्मू-कश्मीर में भी तैनात रहे, जहां उन्होंने अनुच्छेद 370 के हटाए जाने और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे संवेदनशील अवसरों पर अहम खुफिया संचालन संभाला था.
इंटरनेशनल ऑपरेशन में सक्रिय भूमिका
पराग जैन कनाडा और श्रीलंका में भारत के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. खासतौर पर कनाडा में रहते हुए उन्होंने खालिस्तान समर्थक नेटवर्क को कड़ा जवाब दिया और समय रहते दिल्ली को इस बढ़ते खतरे के बारे में कई बार आगाह किया था.
उनकी इस वैश्विक दृष्टि और जमीनी अनुभव के कारण उन्हें एक 'अंडरस्टेटेड लेकिन बेहद प्रभावशाली अफसर' माना जाता है.
रॉ को क्यों चाहिए एक मजबूत नेतृत्व?
रवि सिन्हा का कार्यकाल अपेक्षाकृत फीका रहा है. मालदीव और बांग्लादेश संकट, 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला और पाकिस्तान की गतिविधियों पर कमजोर प्रतिक्रिया ने यह संकेत दिए कि भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी को एक रणनीतिक और ग्राउंड-फोकस्ड बदलाव की आवश्यकता है.
इस समय पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया गया है और वह भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को अपनी रणनीति का हिस्सा बना रहे हैं. ऐसे में रॉ की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम हो जाती है.
ज़रूरत है ज़मीनी खुफिया की
भारत ने हाल ही में सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इसके बदले आतंकी गतिविधियों के ज़रिए भारत पर हमला कर सकता है.
ऐसे में रॉ को सिर्फ तकनीकी सूचनाओं पर निर्भर रहने के बजाय ग्राउंड इंटेलिजेंस को और मजबूत करने की जरूरत है. पराग जैन का चयन इस दिशा में एक बड़ा और ठोस कदम माना जा रहा है. पराग जैन जैसे जमीनी अनुभव से लैस, सख्त लेकिन शांत स्वभाव के अधिकारी से देश को काफी उम्मीदें हैं.
पराग जैन की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत को अपनी बाहरी खुफिया क्षमताओं को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है. पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव जैसे पड़ोसी देशों में बदलती राजनीतिक परिस्थितियों, और वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए रॉ के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण लेकिन जरूरी मोड़ है.
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